insamachar

आज की ताजा खबर

Anna Maria Bernini, Minister of Universities and Research of Italy meets Union Minister Dr. Jitendra Singh
भारत

इटली की विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान मंत्री अन्ना मारिया बर्निनी ने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट की

द्विपक्षीय वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए, भारत की यात्रा पर आईं इटली की विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान मंत्री अन्ना मारिया बर्निनी ने केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान और पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के साथ नॉर्थ ब्लॉक में एक उच्च स्तरीय बैठक के लिए भेंट की।

बैठक के दौरान दोनों मंत्रियों ने सहयोग के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। दोनों गणमान्य व्यक्तियों के बीच चर्चा क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य उभरते क्षेत्रों में संयुक्त पहल को आगे बढ़ाने पर केंद्रित रही।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने ब्राजील में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के बीच हुई द्विपक्षीय चर्चा का स्मर्ण किया। इसका समापन संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-2029 की घोषणा के साथ हुआ। इस योजना में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोगात्मक नवाचार के लिए साझा दृष्टिकोण की रूपरेखा दी गई है।

इस दृष्टिकोण के अंतर्गत, दोनों देशों ने वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए और वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के लिए 2025-2027 कार्यकारी कार्यक्रम को कार्यान्वित करने पर सहमति व्यक्त की, जिसका उद्देश्य एआई और डिजिटलीकरण जैसी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देना है।

द्विपक्षीय अनुसंधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने 10 अप्रैल 2025 को संयुक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति की बैठक के दौरान 2025-2027 के लिए भारत-इटली कार्यकारी सहयोग कार्यक्रम (ईपीओसी) पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की। ईपीओसी प्रारूप के तहत, दोनों देशों ने आज तक 150 से अधिक संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया है।

वर्तमान कार्यक्रम में 10 अनुसंधान गतिशीलता प्रस्तावों और वैज्ञानिक विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला में 10 महत्वपूर्ण सहयोगी अनुसंधान पहलों के लिए संयुक्त वित्त पोषण शामिल है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी), बिग डेटा और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भारत की मजबूत प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत के रणनीतिक निवेश और नीतियां देश को उभरती प्रौद्योगिकियों का वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं।

प्रमुख उपलब्धियों को साझा करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत द्वारा डीएनए-आधारित कोविड-19 वैक्सीन के अग्रणी विकास का उल्लेख किया, जिसे बाद में कई ज़रूरतमंद देशों को भेंटस्वरूप दिया गया। इसके अलावा एचपीवी वैक्सीन और श्वसन संक्रमण के लिए स्वदेशी एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन का विकास और शुभारंभ। देश का पहला जीन थेरेपी परीक्षण, जो सफल रहा और इसके साथ-साथ व्यक्तिगत चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान का समर्थन करने के लिए एक राष्ट्रीय जीनोम डेटा बैंक का निर्माण।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम का उल्लेख किया यह अब वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम है, जिसमें एग्रो-बायोटेक स्टार्टअप का महत्वपूर्ण योगदान है। अरोमा मिशन (जिसे पर्पल रिवोल्यूशन के नाम से भी जाना जाता है) जैसी पहल कृषि और फूलों की खेती में नवाचार का उदाहरण है।

उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड और स्वामित्व योजना जैसी प्रौद्योगिकी-संचालित योजनाओं के प्रभाव का भी उल्लेख किया, जिन्होंने ड्रोन प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि में क्रांति ला दी है।

आधुनिक विज्ञान के माध्यम से प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, डॉ. सिंह ने पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) के संदर्भ में चर्चा की। यह एक ऐसी अनूठी पहल जो अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके पारंपरिक भारतीय ज्ञान को डिजिटल बनाती है और उसकी रक्षा करती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रतिनिधिमंडल को भारत के महत्वाकांक्षी डीप ओशन मिशन के बारे में जानकारी दी, जिसका उद्देश्य समुद्र में 6,000 मीटर गहराई तक एक भारतीय पनडुब्बी भेजना है। 500 मीटर तक की गहराई तक जाने का परीक्षण अगले वर्ष शुरू होने वाला है।

दोनों देशों ने संक्रामक रोगों, क्वांटम प्रौद्योगिकियों, हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा, सांस्कृतिक विरासत संरक्षण प्रौद्योगिकियों और सतत नीली अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालिक सहयोग के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

उन्होंने उद्योग 4.0, स्वच्छ ऊर्जा जैसे नए सहयोगी क्षेत्रों का पता लगाने पर भी सहमति व्यक्त की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोनों देशों के एसएमई और स्टार्टअप को शामिल करते हुए शैक्षणिक और औद्योगिक साझेदारी सहित अन्य पारस्परिक क्षेत्रों की भी पहचान की।

इस उच्च स्तरीय बैठक में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. अभय करंदीकर भी शामिल थे।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *