आज नई दिल्ली में सीएससी और यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ने साथ मिलकर साइबर सिक्युरिटी कॉन्क्लेव आयोजित किया। इसके तहत साइबर सिक्युरिटी के लिए जरूरी रणनीतियों की चर्चा भी की गई।
साइबर सिक्युरिटी एक गंभीर और संवेदनशील मामला है। दुनिया भर में साइबर खतरा तीव्र गति से विकसित हो रहा है, हर साल डेटा उल्लंघनों की संख्या बढ़ रही है। हर दिन आईटी सर्विस प्रोवाइडर के यहां से साइबर सुरक्षा में सेंध के मामले बढ़ रहे हैं। कंपनियों के लिए अपने ग्राहकों को बनाए रखने के लिहाज से एक मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचे को बनाए रखना काफी महत्त्वपूर्ण है। डेटा सुरक्षा में किसी भी तरह की सेंध लगने से भरोसा और प्रतिष्ठा को धक्का लगने के अलावा कारोबार में भारी नुकसान हो सकता है।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए एस कृष्णन, सचिव-इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा, “भारत के दूर दराज इलाकों में प्रौद्योगिकी की पहुंच बढ़ाने और समाज के हर तबके तक जानकारी साझा करने में सीएससी की महत्वपूर्ण भूमिका है। सुरक्षा चिंताएं सिर्फ केवल सिस्टम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि व्यवहार, ज्ञान और आदतों के बारे से भी संबंधित हैं। हमारे सामने आने वाले प्रमुख जोखिमों में से एक अंतिम यूजर है जो साइबर सुरक्षा के महत्व को नजरअंदाज करता है। ऐसा अक्सर देखने में आया है कि लोग पिन नंबर साझा करते हैं और साइबर जोखिम के शिकार हो जाते हैं।”
उन्होंने कहा, “सीएससी और यूएसआई के बीच साझेदारी हमारे डिजिटल परिदृश्य को बेहतर बनाती है। डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से न केवल उत्पादकता बढ़ाती है बल्कि इससे डेटा आधारित मजबूत डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। धोखाधड़ी से बचने के लिए साइबर जोखिमों के बारे में जागरूक रहना सभी के लिए महत्वपूर्ण है। व्यवहारिक और दृष्टिकोण संबंधी विशेषताओं को संबोधित करके, हम प्रभावी ढंग से जागरूकता फैला सकते हैं।”
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए संजय राकेश, एमडी और सीईओ-सीएससी एसपीवी ने कहा, “ सीएससी साइबर सुरक्षा कॉन्क्लेव 2024 में, हम साइबर सुरक्षा की व्यापक श्रेणियों पर जोर दे रहे हैं जो सीएससी जैसी यूजर एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। हमें साइबर चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक तैयार होना चाहिए और लागत प्रभावी विकल्प तलाशने चाहिए। यह सम्मेलन हमें साइबर खतरों और चोरी को रोकने के लिए मजबूत डेटा प्रबंधन और रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए साइबर सुरक्षा में सुधार के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। साइबर थिंक टैंक विकसित करके, हमारा लक्ष्य नवीन समाधानों को बढ़ावा देना और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल साइबर सिस्टम बनाना है।”
सम्मेलन के दौरान उभरती हुई साइबर चुनौतियां-ट्रेंड और सोल्यूशंस पर एक पैनल परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें साइबर क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया- मेजर जनरल (डॉ.) पवन आनंद, (सेवानिवृत्त), मेजर विनीत कुमार, संस्थापक साइबर पीस फाउंडेशन, कर्नल राहुल मोदगिल, सीआईएसओ, ईपीएफओ, राकेश माहेश्वरी, वरिष्ठ निदेशक (सेवानिवृत्त), एमईआईटीवाई, हीरल शर्मा, प्रमुख- फोर्टिनेट, अनुराग चंद्रा, सीआईएसओ-रक्षा और विमानन सेवा।
कार्यक्रम के दौरान साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सीएससी और यूएसआई के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए।
कार्यक्रम को संबोधित करने वाले अन्य प्रमुख वक्ता थे: राज अरोड़ा, प्रोफेसर- आईआईटी दिल्ली, आशुतोष बहुगुणा, वैज्ञानिक ‘एफ’, सर्टिफिकेट-आईएन, संजय कुमार दास, एमडी, पश्चिम बंगाल इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड, रोहित भूरानी, सॉल्यूशन आर्किटेक्ट- फोर्टिनेट, विकास अवस्थी, निदेशक सरकारी और पीएसयू बिजनेस-चेकप्वाइंट, अंकित गुगलानी, वरिष्ठ प्रधान सलाहकार-ट्रेंडमाइक्रो।
साइबर सुरक्षा सीएससी के एजेंडे में हमेशा से एक प्राथमिक विषय रहा है. हमने दुनिया भर की प्रमुख आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के साथ मिलकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में साइबर रक्षक कार्यक्रम शुरू किया है। साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण से संबंधित इस पहल ने महिलाओं को नई प्रौद्योगिकी से जुड़े कौशल से लैस किया है और उन्हें साइबर सुरक्षा राजदूत के रूप में उभरने में मदद की है।
सीएससी के बारे में
सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) डिजिटल इंडिया मिशन का एक अभिन्न अंग हैं। वे देश भर के ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में डिजिटल इंडिया सेवाओं की डिलीवरी करते हैं। ये सीएससी केंद्र डिजिटल इंडिया के विज़न को हासिल करने और डिजिटल और वित्तीय रूप से समावेशी समाज के लिए सरकार के लक्ष्य को पूरा करने में योगदान देते हैं। सीएससी गवर्नेंस को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में ई-सेवाएं मुहैया कराते हैं। जरूरी सरकारी और सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं प्रदान करने के अलावा, सीएससी कई सामाजिक कल्याण योजनाएं, वित्तीय सेवाएं, शैक्षिक पाठ्यक्रम, कौशल विकास पाठ्यक्रम, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि सेवाएं और डिजिटल साक्षरता भी प्रदान करते हैं।
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