केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने मुख्य आयुक्त निधि खरे और आयुक्त अनुपम मिश्रा की अध्यक्षता में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के उल्लंघन के संबंध में आदेश जारी कर जुर्माना लगाया है। यूपीएससी सीएसई 2022 और 2023 के परिणामों के बारे में भ्रामक दावों वाले विज्ञापन के लिए वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट और स्टडीआईक्यू आईएएस पर 7-7 लाख रुपये और एज आईएएस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के लिए यह कार्रवाई की गई है। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले किसी भी सामान या सेवा के लिए कोई गलत या भ्रामक विज्ञापन न किया जाए।
वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट ने अपने विज्ञापन में निम्नलिखित दावे किए-
सीसीपीए ने पाया कि वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट ने सफल उम्मीदवारों के नाम और तस्वीरें प्रमुखता से प्रदर्शित कीं और साथ ही साथ अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर विभिन्न प्रकार के सशुल्क पाठ्यक्रमों का विज्ञापन भी किया। हालाँकि, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 में उक्त सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के संबंध में जानकारी उपर्युक्त विज्ञापन में जारी नहीं की गई थी।
सीसीपीए ने पाया कि दावा किए गए सभी 617 सफल उम्मीदवार साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रम के अंतर्गत नामांकित थे। यह उपभोक्ता का अधिकार है कि उसे इस बारे में जानकारी मिले कि सफल उम्मीदवारों ने सीएसई के अंतिम चयन में जगह बनाने के लिए कोचिंग संस्थान से कौन सा विशिष्ट पाठ्यक्रम लिया था। संभावित उपभोक्ताओं के लिए, यह जानकारी सीएसई में उनकी सफलता के लिए चुने जाने वाले पाठ्यक्रम के बारे में निर्णय लेने में सहायक होगी।
प्रत्येक सफल उम्मीदवार द्वारा चुने गए विशिष्ट पाठ्यक्रम के बारे में जानबूझकर छिपाकर, वाजीराव एंड रेड्डी संस्थान ने ऐसा दिखाया कि उसके द्वारा पेश किए गए सभी पाठ्यक्रमों की सफलता दर उपभोक्ताओं के लिए समान थी, जो सही नहीं था। ये तथ्य संभावित छात्रों के लिए उन पाठ्यक्रमों पर निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण हैं जो उनके लिए उपयुक्त हो सकते हैं और विज्ञापन में इन्हें छिपाया नहीं जाना चाहिए था।
स्टडीआईक्यू आईएएस ने अपने विज्ञापन में निम्नलिखित दावे किए-
यह संस्थान लगभग 60 से अधिक पाठ्यक्रम प्रदान करता है। हालांकि, सीसीपीए ने संस्थान के उत्तर और जांच रिपोर्ट की जांच करने के बाद पाया कि इन 134 में से 126 छात्रों ने साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रम (आईडीपी) का विकल्प चुना, 3 ने एथिक्स और एसै क्रैश कोर्स में दाखिला लिया, 2 ने एमआरपी (मुख्य आवासीय कार्यक्रम पाठ्यक्रम) में दाखिला लिया, 2 ने मॉक में दाखिला लिया, 1 ने फाउंडेशन, ऑनलाइन एमआरपी, डीएएफ विश्लेषण में दाखिला लिया। स्टडीआईक्यू आईएएस ने जानबूझकर सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के विशिष्ट नाम को छिपाकर उपभोक्ताओं पर एक भ्रामक प्रभाव डाला, जिससे विज्ञापित पाठ्यक्रमों के बारे में इसकी सेवा की गुणवत्ता के बारे में एक अनजान विकल्प बना, जिसमें आईजीपी का विज्ञापन बिल्कुल भी नहीं किया गया है।
स्टडीआईक्यू आईएएस अपने दावे ” सेक्सेस पक्का ऑफर ऑफर” और ” सलेक्शन पक्का ऑफर” को प्रमाणित करने में विफल रहा और यूपीएससी सीएसई 2023 के सफल उम्मीदवारों के आवेदन/नामांकन/पंजीकरण फॉर्म और शुल्क रसीदें जमा करने में भी विफल रहा।
इन परिस्थितियों के मद्देनजर, सीसीपीए ने युवा और संवेदनशील उम्मीदवारों/उपभोक्ताओं के हित में, ऐसे झूठे या भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार व्यवहार से निपटने के लिए जुर्माना लगाना आवश्यक समझा।
सीसीपीए ने यूपीएससी सीएसई 2023 के परिणामों के बारे में भ्रामक दावों का विज्ञापन करने के लिए एज पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। एज आईएएस ने अपने प्रकाशित विज्ञापन में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 के 13 सफल उम्मीदवारों की तस्वीरें और नाम प्रमुखता से छापे, जबकि उनके द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम जैसी महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाया गया । सीसीपीए ने पाया कि 11 उम्मीदवारों को इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम (आईजीपी) में नामांकित किया गया था और 2 को मेंटरिंग कोर्स और आईजीपी में नामांकित किया गया था, जो प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास करने के बाद ही लागू होता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(28) (iv) भ्रामक विज्ञापनों को परिभाषित करती है, जिसमें वे विज्ञापन भी शामिल हैं जिनमें “जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई जाती है”। सीसीपीए ने पाया है कि कई कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापनों में एक ही सफल उम्मीदवार के नाम और फोटो का उपयोग करते हैं, जबकि जानबूझकर उनके द्वारा चुने गए विशिष्ट पाठ्यक्रमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाते हैं। इससे यह भ्रम पैदा होता है कि सफल उम्मीदवार कोचिंग संस्थान में नियमित कक्षा के छात्र थे या विज्ञापन में पेश किए गए कई पाठ्यक्रमों के छात्र थे। इसलिए, सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए विशिष्ट पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी उपभोक्ताओं के ज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है ताकि वे दाखिला लेने के लिए पाठ्यक्रम और कोचिंग संस्थान/प्लेटफ़ॉर्म का निर्णय लेते समय सूचित विकल्प बना सकें।
कोचिंग संस्थानों द्वारा भ्रामक विज्ञापन देने के खिलाफ सीसीपीए ने कार्रवाई की थी। इस संबंध में सीसीपीए ने अब तक विभिन्न कोचिंग संस्थानों को भ्रामक विज्ञापन देने के लिए 45 नोटिस जारी किए हैं। सीसीपीए ने 22 कोचिंग संस्थानों पर 71 लाख 60 हजार का जुर्माना लगाया है और उन्हें भ्रामक विज्ञापन बंद करने के निर्देश दिए हैं।
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