भीषण गर्मी के बीच दिल्ली के जल संकट से जूझने पर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इस समस्या से निपटने के लिए पांच जून को ‘अपर यमुना रिवर बोर्ड’ (यूवाईआरबी) की एक आपात बैठक बुलाने का आदेश दिया।
यूवाईआरबी का गठन 1995 में किया गया था और इसके मुख्य कार्यों में यमुना नदी के पानी का लाभार्थी राज्यों के बीच आवंटन को नियंत्रित करना और दिल्ली में ओखला बैराज समेत सभी परियोजनाओं की समीक्षा एवं प्रगति पर नजर रखना भी है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) दिल्ली शामिल हैं।
न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने सुनवाई शुरू होने पर पूछा, ‘‘सभी पक्षकारों की एक संयुक्त बैठक क्यों नहीं हो सकती?’’ केंद्र तथा हरियाणा सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यूवाईआरबी पहले ही इस मुद्दे पर विचार कर रहा है जहां हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली समेत सभी राज्य पक्षकार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस सवाल पर विचार किया जा रहा है। बोर्ड ने हिमाचल प्रदेश को जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा है कि उनके पास कितना अतिरिक्त पानी है।’’
पीठ ने कहा कि आपात स्थिति के मद्देनजर इस मुद्दे से निपटने के लिए बोर्ड की बैठक कल बुलाई जा सकती है। इसने कहा कि केंद्र तथा दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने इस पर सहमति जताई कि राष्ट्रीय राजधानी में पानी की कमी के मुद्दे से निपटने के लिए यूवाईआरबी की एक बैठक बुलाई जाए।
पीठ ने कहा, ‘‘सुनवाई के दौरान सभी पक्ष सहमत हुए कि दिल्ली के नागरिकों के समक्ष पानी की कमी की समस्या का ऐसा समाधान होना चाहिए जिसमें सभी पक्षों के अधिकतम हित पूरे होते हों।’’ इसने कहा कि वकील ‘‘सहमत हो गए हैं कि इस याचिका में उठाए मुद्दों का समाधान करने के लिए पांच जून को अपर यमुना रिवर बोर्ड की एक आपात बैठक होनी चाहिए और सभी अन्य संबंधित मुद्दों को गंभीरता से लिया जाए ताकि दिल्ली के नागरिकों के लिए पानी की कमी की समस्या का उचित तरीके से समाधान किया जा सके।’’
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