महाकुंभ को ‘एकता के महायज्ञ’ की संज्ञा देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आज कहा कि भारत को अपनी विरासत पर गर्व
महाकुंभ को ‘एकता के महायज्ञ’ की संज्ञा देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि भारत को अपनी विरासत पर गर्व है और वह नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन के युग का शुभारंभ है जो देश के लिए एक नया भविष्य लिखने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में भागीदारी करने वाले श्रद्धालुओं की भारी संख्या न केवल एक रिकॉर्ड है, बल्कि इसने हमारी संस्कृति और विरासत को सुदृढ़ और समृद्ध बनाए रखने के लिए कई शताब्दियों तक एक सशक्त नींव रखी है। एकता के महाकुंभ के सफल समापन पर संतोष जताते हुए और नागरिकों को उनकी अथक मेहनत, प्रयासों और दृढ़ संकल्प के लिए धन्यवाद देते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने एक ब्लॉग में अपने विचार लिखे और इसे एक्स पर साझा किया।
“महाकुंभ संपन्न हुआ…एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है! महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का प्रयास किया है…”
“महाकुंभ में जिस भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भागीदारी की है वो सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और विरासत को सुदृढ़ और समृद्ध रखने के लिए कई सदियों की एक सशक्त नींव भी रख गया है।“
“प्रयागराज का महाकुंभ आज दुनियाभर के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के साथ ही प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए भी रिसर्च का विषय बन गया है।“
“आज अपनी विरासत पर गौरव करने वाला भारत अब एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। ये युग परिवर्तन की वो आहट है, जो देश का नया भविष्य लिखने जा रही है।“
“समाज के हर वर्ग और हर क्षेत्र के लोग इस महाकुंभ में एक हो गए। ये एक भारत श्रेष्ठ भारत का चिर स्मरणीय दृश्य करोड़ों देशवासियों में आत्मविश्वास के साक्षात्कार का महापर्व बन गया।“
“एकता के महाकुंभ को सफल बनाने के लिए देशवासियों के परिश्रम, उनके प्रयास, उनके संकल्प से अभिभूत मैं द्वादश ज्योतिर्लिंग में से प्रथम ज्योतिर्लिंग, श्री सोमनाथ के दर्शन करने जाऊंगा। मैं श्रद्धा रूपी संकल्प पुष्प को समर्पित करते हुए हर भारतीय के लिए प्रार्थना करूंगा। मैं कामना करूंगा कि देशवासियों में एकता की ये अविरल धारा, ऐसे ही बहती रहे।“