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वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा, निर्यात एक दशक में 30 गुना बढ़ा

गुजरात के वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) परिसर में 28 अक्टूबर, 2024 को टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन होना रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। सी-295 सैन्य परिवहन विमान के निर्माण के उद्देश्य से प्रारंभ हुआ यह सुविधा परिसर भारत में सैन्य विमानों के लिए निजी क्षेत्र की पहली पूर्ण असेंबली लाइन (एफएएल) बन गई है, जो स्वदेशी उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। इस परियोजना के अंतर्गत 56 सी-295 विमान तैयार किए जाएंगे, जिनमें से आरंभिक 16 विमान स्पेन स्थित एयरबस से आएंगे और शेष 40 विमानों का उत्पादन घरेलू स्तर पर किया जाएगा। यह पहल रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर भारत के आगे बढ़ने का उदाहरण है, जिसका उद्देश्य प्रक्रिया संबंधी तत्परता को विस्तार देना तथा विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करना है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रति भारत की वचनबद्धता, एक प्रमुख हथियार आयातक से स्वदेशी उत्पादन के उभरते केंद्र के रूप में इसके सामने आने से और अधिक स्पष्ट होती है। यह बदलाव रणनीतिक स्तर पर सरकारी नीतियों से प्रेरित होकर वित्त वर्ष 2023-24 में एक मील का पत्थर साबित होगा, जब रक्षा मंत्रालय ने घरेलू रक्षा उत्पादन में अभूतपूर्व 1.27 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की है। भारत कभी विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहता था और अब अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आत्मनिर्भर विनिर्माण को उच्च प्राथमिकता दे रहा है, जिससे राष्ट्रीय लचीलेपन को सशक्त करने तथा बाहरी स्रोतों पर निर्भरता में कमी लाने के उसके दृष्टिकोण को बल मिल रहा है।

भारत के रक्षा उत्पादन में वृद्धि

भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान मूल्य के संदर्भ में स्वदेशी रक्षा उत्पादन में अब तक की सबसे अधिक बढ़त हासिल की है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के सफल कार्यान्वयन से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है। सभी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू), रक्षा उपकरण बनाने वाली अन्य सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों और निजी कंपनियों के आंकड़ों के अनुसार, रक्षा उत्पादन की राशि बढ़कर 1,27,265 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, जो 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये से लगभग 174% की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है।

भारत ऐतिहासिक रूप से अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए विदेशों पर बहुत अधिक निर्भर रहा है और लगभग 65-70% रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे। हालांकि, यह परिदृश्य अब महत्वपूर्ण रूप से बदल गया है, क्योंकि लगभग 65% रक्षा उपकरण भारत में ही तैयार किए जाते हैं। यह परिवर्तन इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रति देश की उत्सुकता को दर्शाता है और इसके रक्षा औद्योगिक आधार की सामर्थ्य को रेखांकित करता है, जिसमें 16 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयां (डीपीएसयू), 430 से अधिक लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और लगभग 16,000 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) शामिल हैं। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इस उत्पादन का 21% हिस्सा निजी क्षेत्र से आता है, जो आत्मनिर्भरता की ओर भारत की यात्रा को बल देता है।

मेक इन इंडिया पहल के हिस्से के रूप में धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस), मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) अर्जुन, हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस, पनडुब्बियां, फ्रिगेट, कॉरवेट और हाल ही में कमीशन किए गए आईएनएस विक्रांत जैसे प्रमुख रक्षा प्लेटफॉर्म विकसित किए गए हैं, जो भारत के रक्षा क्षेत्र की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाते हैं।

इन सबके परिणामस्वरूप, वार्षिक रक्षा उत्पादन न केवल 1.27 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, बल्कि यह चालू वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य तक पहुंचने की ओर अग्रसर है। साल 2029 तक रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ रुपये तक की उपलब्धि हासिल करने की आकांक्षाओं के साथ, भारत रक्षा के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में अपनी स्थिति सशक्त बना रहा है।

भारत का रक्षा निर्यात अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 686 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले दशक की तुलना में निर्यात मूल्य में 30 गुना से अधिक की सराहनीय वृद्धि को दर्शाता है।

यह उपलब्धि भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित प्रभावी नीतिगत सुधारों, गतिविधियों और व्यापार करने में आसानी में सुधार से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य रक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। उल्लेखनीय है कि रक्षा निर्यात में भी पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32.5% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो 15,920 करोड़ रुपये से बढ़ गई।

भारत के एक्सपोर्ट पोर्टफोलियो में उन्नत रक्षा उपकरणों की विविध श्रेणियां शामिल है, जिसमें बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट, डोर्नियर (डीओ-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज गति की इंटरसेप्टर नौकाएं और हल्के वजन वाले टारपीडो प्रमुख रूप से आते हैं। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि रूसी सेना के उपकरणों में ‘मेड इन बिहार’ जूते को शामिल किया गया है, जो वैश्विक रक्षा बाजार में भारतीय उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और देश के उच्च विनिर्माण मानकों को प्रदर्शित करता है।

वर्तमान में, भारत 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात करता है, 2023-24 में रक्षा निर्यात के लिए शीर्ष तीन गंतव्य अमरीका, फ्रांस और आर्मेनिया होंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार, 2029 तक रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य है। यह बढ़ती हुई अंतर्राष्ट्रीय पहचान वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय रक्षा साझेदार बनने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है और साथ ही रक्षा उत्पादन तथा निर्यात में वृद्धि के माध्यम से अपनी आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा देता है।

प्रमुख सरकारी पहल

भारत सरकार ने हाल के वर्षों में देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से कई परिवर्तनकारी योजनाओं को क्रियान्वित किया है। ये कार्यक्रम निवेश आकर्षित करने, घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने और खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए तैयार किए गए हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमाओं को उदार बनाने से लेकर स्वदेशी उत्पादन को प्राथमिकता देने तक, ये सभी पहल भारत के रक्षा औद्योगिक आधार को विस्तृत करने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। निम्नलिखित बिंदु उन प्रमुख सरकारी गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, जो रक्षा क्षेत्र में विकास और नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रही हैं।

उदारीकृत एफडीआई नीति: रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 2020 में नए रक्षा औद्योगिक लाइसेंस चाहने वाली कंपनियों के लिए स्वचालित मार्ग के माध्यम से 74% तक बढ़ा दिया गया और आधुनिक तकनीक तक पहुंच की संभावना वाली कंपनियों के लिए सरकारी व्यवस्था के माध्यम से 100% तक बढ़ा दिया गया। 9 फरवरी, 2024 तक रक्षा क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों द्वारा 5,077 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त होने की सूचना मिली है।

बजट आवंटन: चालू बजट सत्र के दौरान संसद में प्रस्तुत “अनुदान मांग” के हिस्से के रूप में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा मंत्रालय के लिए 6,21,940.85 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

घरेलू खरीद को प्राथमिकता: रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)-2020 के तहत घरेलू स्रोतों से पूंजीगत उपकरणों की खरीद पर जोर दिया गया है।

पूर्ण स्वदेशीकृत सूचियां : सेवाओं की कुल 509 वस्तुओं की पांच ‘पूर्ण स्वदेशीकृत सूचियों’ और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) की 5,012 वस्तुओं की पांच सूचियों की अधिसूचना, जिसमें निर्दिष्ट समयसीमा से परे आयात पर प्रतिबंध शामिल किये गए हैं।

सरलीकृत लाइसेंसिंग प्रक्रिया: लंबी वैधता अवधि के साथ औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाया गया है।

आईडेक्स योजना का शुभारंभ: रक्षा नवाचार में स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को शामिल करने के उद्देश्य से रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडेक्स) योजना शुरू की गई।

सार्वजनिक खरीद वरीयता: घरेलू निर्माताओं को सहयोग देने के लिए सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को वरीयता) आदेश 2017 का कार्यान्वयन किया गया है।

स्वदेशीकरण पोर्टल: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों सहित भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा स्वदेशीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए संयुक्त कार्रवाई के माध्यम से आत्मनिर्भर पहल (सृजन) पोर्टल का शुभारंभ किया गया।

रक्षा औद्योगिक गलियारे: रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना की गई है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को रक्षा उद्योग और स्टार्टअप के लिए खोल दिया गया है ताकि नवाचार व सहभागिता को बढ़ावा दिया जा सके।

घरेलू खरीद आवंटन: पूंजी अधिग्रहण (आधुनिकीकरण) खंड के तहत 1,40,691.24 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से, 2024-25 के बजट अनुमान में घरेलू खरीद के लिए 1,05,518.43 करोड़ रुपये (75%) निर्धारित किए गए हैं।

निष्कर्ष

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भारत की यात्रा आयात पर निर्भरता से आत्मनिर्भर विनिर्माण केंद्र बनने की ओर एक परिवर्तनकारी बदलाव को दर्शाती है। घरेलू उत्पादन और निर्यात में रिकॉर्ड उपलब्धियां राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को विस्तार देने और सशक्त रक्षा गतिविधियों के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं। रणनीतिक नीतियों, स्वदेशीकरण पर बढ़ते जोर और जीवंत रक्षा औद्योगिक कार्यक्रमों के साथ, भारत न केवल अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार है, बल्कि वैश्विक हथियार बाजार में एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरने के लिए भी तैयार है। भविष्य के उत्पादन और निर्यात के लिए निर्धारित भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य, विश्व भर में एक विश्वसनीय रक्षा साझेदार के रूप में देश की स्थिति को सुदृढ़ करने के मजबूत संकल्प को दर्शाते हैं। चूंकि भारत विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और सहयोग जारी रखे हुए है, ऐसे में देश वैश्विक रक्षा विनिर्माण में एक  ताकतवर राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को सशक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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