वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तथा राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने आज नई दिल्ली में भारत में लॉजिस्टिक्स लागत के मूल्यांकन एवं रूपरेखा के विकास के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन पर एनसीएईआर के सचिव एवं परिचालन निदेशक डॉ. अनिल शर्मा तथा डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव डॉ. एस के अहिरवार ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर डीपीआईआईटी के सचिव राजेश कुमार सिंह भी उपस्थित थे।
एमओयू के प्रमुख उद्देश्य हैं: i) देश में लॉजिस्टिक्स लागत के आकलन के लिए एक विस्तृत रूपरेखा विकसित करना ii) वर्ष 2023-24 के दौरान लॉजिस्टिक्स लागत के आकलन के लिए एक व्यापक अध्ययन करना। iii) मार्ग, माध्यम, उत्पाद, कार्गो का प्रकार और सेवा संचालन आदि में लॉजिस्टिक्स लागत में अंतर का आकलन करना। iv) विभिन्न क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स पर प्रभाव के साथ-साथ प्रमुख निर्धारकों की पहचान करना आदि।
श्री राजेश कुमार सिंह ने लॉजिस्टिक्स लागत के डेटा-आधारित मूल्यांकन के महत्व के बारे में बात की। उक्त सेमिनार के दौरान इस विषय पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें डीपीआईआईटी और जीएसटीएन के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों तथा बहुपक्षीय संस्थानों, उद्योग जगत, शिक्षा जगत आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के हितधारकों और उद्योग संघों के साथ खुली चर्चा के दौरान, प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक थी और यह सुझाव दिया गया कि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र प्रकृति में बहुत विविध है, इस अध्ययन के उद्देश्य के लिए उच्च मूल्य और उच्च मात्रा वाले वस्तुओं/उत्पादों की पहचान की जानी चाहिए। लॉजिस्टिक्स लागत के अस्पष्ट और अप्रत्यक्ष तत्वों, जिसमें देरी की लागत भी शामिल है, पर गौर करने के लिए भी सुझाव दिए गए। यह भी विचार पेश किया गया कि निवेशक के दृष्टिकोण से व्यवसाय स्थापित करने की सुविधा को भी लागत को प्रभावित करने वाले तत्व के रूप में माना जा सकता है।
इस समझौता ज्ञापन में एनसीएईआर द्वारा उपरोक्त विस्तृत अध्ययन करने और एक वर्ष के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की परिकल्पना की गई है। इस अध्ययन के परिणामस्वरूप भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
भारत सरकार ने 17 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) का शुभारंभ किया था। एनएलपी का एक प्राथमिक उद्देश्य जीडीपी में लॉजिस्टिक्स लागत के प्रतिशत को कम करना था। इसके अनुरूप, डीपीआईआईटी के लॉजिस्टिक्स प्रभाग ने पहले दिसंबर 2023 में भारत में लॉजिस्टिक्स लागत: मूल्यांकन और दीर्घकालिक रूपरेखा शीर्षक से एक रिपोर्ट लांच की थी। यह रिपोर्ट एनसीएईआर द्वारा तैयार की गई थी, जिसमें एक आधारभूत समेकित लॉजिस्टिक्स लागत अनुमान और दीर्घकालिक लॉजिस्टिक्स लागत गणना के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई थी।
देश की लॉजिस्टिक्स लागत का नियमित रूप से मूल्यांकन किया जाना चाहिए और निगरानी की जानी चाहिए, ताकि लागत भिन्नता के आंकड़ों से उद्योग और नीति निर्माताओं दोनों को लाभ हो। इस प्रक्रिया में व्यापार प्रवाह, उत्पाद प्रकार, उद्योग के रुझान और मूल डेटा युग्मों के डेटा का उपयोग करना शामिल है। विस्तृत द्वितीयक सर्वेक्षण करने के अलावा, इसके लिए व्यवस्थित और आवधिक तरीके से डेटा संग्रह की प्रक्रिया हेतु एक संस्थागत व्यवस्था की आवश्यकता होती है।
अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के खोडलधाम मैदान में 5,400 करोड़ रुपये की लागत…
भारत और जापान, जापान-भारत स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी के अंतर्गत ऊर्जा क्षेत्र में अपनी साझेदारी को…
फिजी गणराज्य के प्रधानमंत्री सिटिवेनी लिगाममादा राबुका ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु…
भारत और फिजी ने स्वास्थ्य एवं मानकीकरण, क्षमता निर्माण तथा कई बड़ी परियोजनाओं के संबंध…
मौसम विभाग ने आज जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में मूसलाधार वर्षा का रेड अलर्ट…
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने 2016 में अपनी स्थापना के बाद से संचयी सकल व्यापारिक मूल्य…