केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज ‘भारत के डीपटेक का समय काल: डिजिटल नेतृत्व से तकनीकी संप्रभुता तक’ विषय पर आयोजित टीआईईसीओएन दिल्ली-एनसीआर (द इंडस एंटरप्रेन्योर्स) सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस विषय पर जोर दिया कि भारत के लिए स्वदेशी तकनीकें विकसित करना और प्रमुख इनपुट के लिए कुछ भौगोलिक क्षेत्रों पर निर्भरता कम करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी की भावना केवल भारत में निर्माण, डिजाइन या सेवाएं देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में दीर्घकालिक विकास, संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित करने से भी संबंधित है। पीयूष गोयल ने कहा कि भारत ने एक राष्ट्र के रूप में दुनिया का सिर्फ बैक ऑफिस या सॉफ्टवेयर निर्माण करने वाला बनने से आगे बढ़कर नवाचार के एक वैश्विक इंजन के रूप में उभरने का संकल्प लिया है, जो भविष्य के लिए नए विचारों, उत्पादों और तकनीकों को प्रेरित करेगा।
पीयूष गोयल ने हाल के वैश्विक उथल-पुथल से सीखे गए सबक पर सबका ध्यान खींचा और तन्यकशील आपूर्ति श्रृंखलाओं, स्वदेशी नवाचार और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर नियंत्रण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्ष में, कोविड-19 महामारी से शुरू होकर, राष्ट्रों को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तन्यकशीलता, आत्मनिर्भरता और आवश्यक आपूर्ति पर नियंत्रण की आवश्यकता के बारे में कई बार सचेत किया गया है।
मंत्री ने युवा नवप्रवर्तकों और उद्यमियों को गहन प्रौद्योगिकी से जुड़ने के लिए प्रेरित करने में टीआईई के प्रयासों की सराहना की और इस सम्मेलन को भारत के गहन प्रौद्योगिकी उत्थान का अग्रदूत बताया।
मंत्री जी ने 2014 में डिजिटल इंडिया पहल की शुरुआत का ध्यान करते हुए, बीते दशक में भारत के उल्लेखनीय डिजिटल बदलाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब सरकार ने कार्यभार संभाला था, तब भारत में लगभग 250 मिलियन इंटरनेट यूजर्स थे, जबकि आज, देश में एक बिलियन से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हुए हैं। पीयूष गोयल ने कहा कि प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी की शक्ति पर आधारित इस परिवर्तन ने सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों, जैसे जन धन योजना और आधार से लेकर डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर और पीएम-किसान तक, को पारदर्शिता, दक्षता और लाभों का सीधा वितरण सुनिश्चित करने में सक्षम बनाया है।
उन्होंने कहा कि भारत की डिजिटल यात्रा, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से लेकर दो वर्षों के भीतर तीसरे स्थान पर पहुंचने की राह पर, और 2047 तक 30-32 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने तक, इसकी आर्थिक प्रगति का अभिन्न हिस्सा रही है। उन्होंने कहा कि भारत के विकास की नींव प्रौद्योगिकी और नवाचार की शक्ति पर टिकी है।
डीपटेक इकोसिस्टम के लिए सरकार के दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा करते हुए, पीयूष गोयल ने कहा कि डीपटेक में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग, रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां, सेमीकंडक्टर मिशन और भारत के बौद्धिक संपत्ति इकोसिस्टम को मजबूत करना शामिल है। उन्होंने कहा कि डीपटेक एक समग्र यात्रा का प्रतिनिधित्व करता है, जो व्यक्तिगत तकनीकों से आगे बढ़कर पूरे देश में जिज्ञासा, पूछताछ और नवाचार की भावना को प्रोत्साहन देने के प्रयास को शामिल करता है। मंत्री ने कहा कि सरकार, साफ नीयत वाले लोगों और संगठनों के साथ मिलकर, न केवल वित्तीय संसाधनों में निवेश कर रही है, बल्कि भारत में डीपटेक इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देने के लिए प्रयास भी कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि अब देश भर के युवाओं, पुरुषों और महिलाओं के बीच ‘डीपटेक’ शब्द की गहरी गूंज है, जो अग्रणी तकनीकों के प्रति बढ़ती रुचि और जुड़ाव को प्रतिबिंबित करता है।
मंत्री जी ने घोषणा की कि स्टार्टअप फंड ऑफ फंड्स का दूसरा संस्करण मुख्य रूप से डीपटेक उद्यमों में प्रारंभिक चरण के निवेश पर केंद्रित होगा, जिससे इनोवेटर्स को स्वामित्व बनाए रखने और स्वदेशी तकनीकों को विकसित करने में मदद के लिए जोखिम पूंजी उपलब्ध होगी। उन्होंने बदलावकारी परियोजनाओं के लिए अनुसंधान, नवाचार और दीर्घकालिक वित्तपोषण को प्रोत्साहन देने के लिए लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी ₹1 लाख करोड़ के अनुसंधान कोष के शुभारंभ की भी जानकारी दी।
पीयूष गोयल ने इस विषय पर जोर दिया कि यह पहल प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिन्होंने देश से विदेशी तकनीकों, हथियारों, ऊर्जा स्रोतों और महत्वपूर्ण आदानों पर निर्भरता कम करने का आह्वान किया है।
मंत्री महोदय ने भारत के विशाल प्रतिभा भंडार पर भरोसा जताते हुए कहा कि देश हर साल 15 लाख इंजीनियर और 24 लाख एसटीईएम स्नातक तैयार करता है, जो कि दुनिया में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय अब भारत को प्रतिभा और कौशल की राजधानी के तौर पर देखता है, और भारतीय डीपटेक स्टार्टअप्स को पहले से ही दुनिया के अग्रणी नवप्रवर्तकों में मान्यता मिल रही है।
भारतीय उद्यमियों को साहसपूर्वक और वैश्विक रूप से सोचने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, पीयूष गोयल ने भारत की तुलना एक ऐसे जहाज से की, जो बंदरगाह में सुरक्षित रूप से लंगर डाले रहने के बजाय, नई सीमाओं की खोज करने और नौकायन के लिए बना है। उन्होंने कहा कि भारत के 1.4 बिलियन नागरिकों में उद्यमशीलता, जोखिम उठाने और नवाचार की भावना, देश को एक वैश्विक प्रौद्योगिकी नेता के रूप में उभरने में मदद करेगी।
मंत्री जी ने भारत की सामूहिक क्षमताओं का दोहन करने के लिए निवेशकों, स्टार्टअप्स, टीआईई जैसे उद्योग निकायों और आईआईटी एलुमिनाई नेटवर्क जैसे संस्थानों के बीच सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने नवप्रवर्तकों के प्रति सरकार के सहयोग की पुष्टि करते हुए कहा कि भारत की तकनीकी नींव को मजबूत करने वाले विचारों के लिए उनके दरवाजे चौबीसों घंटे खुले हैं।
पीयूष गोयल ने अपने भाषण के अंत में सभी हितधारकों से भारत को गहन तकनीकी नवाचार का केंद्र बनाने और भविष्य की तकनीकों को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।
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