सरकार ने सशस्त्र बलों की गरिमा और कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए उन अधिकारी कैडेटों को पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) सुविधा प्रदान करने को मंज़ूरी दे दी है, जो सैन्य प्रशिक्षण की वजह से या उसके कारण उत्पन्न चिकित्सा आधार पर प्रशिक्षण से वंचित (बोर्ड-आउट) रह जाते हैं। देश की सेवा करने की आकांक्षा से एनडीए, ओटीए और आईएमए जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शामिल होने वाले कैडेट अक्सर आजीवन विकलांगता का सामना करते हैं, लेकिन वर्तमान में वे ईसीएचएस के लिए पात्र नहीं हैं क्योंकि उन्हें पूर्व सैनिक (ईएसएम) का दर्जा नहीं दिया जाता है।
यह कदम उन कैडेटों पर लागू है जिन्हें प्रशिक्षण पूरा होने से पहले ही चिकित्सा आधार पर प्रशिक्षण से वंचित कर दिया गया है। भविष्य में इसी तरह के मामलों में भी इसका विस्तार किया जा सकता है। मानवीय प्रकृति और परिवारों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने अन्य श्रेणियों के लिए कोई मिसाल कायम किए बिना ऐसे कैडेटों के लिए गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल को मंजूरी दी है। ईसीएचएस सुविधाओं की मंजूरी निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी :
ईसीएचएस योजना में शामिल होने के लिए अधिकारी कैडेटों से एकमुश्त सदस्यता शुल्क (अर्थात् ईएसएम अधिकारियों के लिए वर्तमान में लागू 1.20 लाख रुपये) नहीं लिया जाएगा।
यद्यपि प्रतिवर्ष कुछ कैडेट प्रभावित होते हैं, फिर भी उनके परिवारों पर आर्थिक और भावनात्मक बोझ काफी अधिक होता है। ऐसे मामलों में, ऐसे कैडेटों को मासिक अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, विकलांगता की सीमा (20 प्रतिशत से 100 प्रतिशत) के आधार पर, ऐसे कैडेटों को मासिक अनुग्रह राशि भी प्रदान की जाती है। इस अनुमोदन के साथ, ये कैडेट अब ईसीएचएस के अंतर्गत कैशलेस और कैपलेस स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने के पात्र होंगे।
ईसीएचएस की शुरुआत अप्रैल 2003 में पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए सशस्त्र बलों तथा देश भर के निजी सूचीबद्ध/सरकारी अस्पतालों के विद्यमान चिकित्सा ढांचे का उपयोग करके की गई थी। इसके पूरे भारत में 30 क्षेत्रीय केंद्र (आरसी) और 448 पॉलीक्लिनिक्स (पीसी) हैं, जिनका कुल लाभार्थी आधार लगभग 63 लाख है। इसके नेटवर्क में 3000 से अधिक सूचीबद्ध स्वास्थ्य सेवा संगठन शामिल हैं।
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