गृह मंत्री अमित शाह ने आज मझगांव डॉक, मुंबई में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत ‘गहन सागरीय मत्स्य नौकाओं’ का लोकार्पण किया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज मझगांव डॉक, मुंबई में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत ‘गहन सागरीय मत्स्य नौकाओं’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार, तथा केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल भी उपस्थित थे।
अपने सम्बोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में यह भारत के समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र के आधुनिकीकरण और तटीय क्षेत्रों में सहकारिता-आधारित विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने और ब्लू इकोनॉमी को मजबूत कर सहकारिता क्षेत्र की क्षमता का उपयोग करने के लिए कटिबद्ध है।
अमित शाह ने कहा कि आज जिन 2 ट्रॉलर का लोकार्पण हुआ है उससे आने वाले दिनों में न केवल भारत की मत्स्य संपदा संभावनाओं का दोहन करने की क्षमता बढ़ेगी बल्कि सहकारिता के माध्यम से मत्स्य उघोग का मुनाफा मेहनत करने वाले हमारे गरीब मछुआरों के घर में पहुंचेगा।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि अभी ट्रॉलर पर मछली पकड़ने का कार्य करने वाला व्यक्ति तन्खवाह पर काम करता है लेकिन अब कॉपरेटिव बेसिस पर ट्रॉलर से मछली पकड़ने से होने वाला पूरा मुनाफा पर हर मछली पकड़ने वाले के घर में पहुंचेगा। अमित शाह ने कहा कि अभी तो इस तरह के 14 ट्रॉलर दिए जाऐंगे परन्तु केन्द्र सरकार, सहकारिता मंत्रालय और मत्स्य विभाग आने वाले समय में और भी ट्रॉलर मछली पकड़ने वाले भाइयों को कॉपरेटिव बेसिस पर देंगे। उन्होंने कहा कि ये ट्रॉलर 25 दिन तक गहरे समुंद्र में रह सकेगा और 20 टन तक मच्छलियां ढ़ो सकेंगे। इनके बीच में कुछ बड़े जहाज भी रहेंगे जो कॉरडिनेशन का काम करेंगे और बीच से मच्छली को उठा कर किनारे तक लाऐंगे। उन्होंने बताया कि ट्रॉलर के अंदर रहने और खाने-पीने की सुविधाजनक व्यवस्था भी है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि करीब 11 हजार किलोमीटर लंबे समुद्री तट पर मछली पकड़कर अपनी आजीविका चलाने वाले गरीब भाई-बहनों के लिए आने वाले दिनों में बहुत बड़ी योजना बनने वाली है। उन्होंने कहा कि सहकारिता का कोन्सेप्ट यही है, चाहे दूध का उत्पादन हो, मंडी या मत्स्य पालन हो, इसके मुनाफे का मालिक मेहनतकश इंसान है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाला एक गरीब जब आर्थिक रुप से संपन्न होता है तभी सही अर्थ में देश समृद्ध होता है। अमित शाह ने कहा कि जो लोग देश की समृद्धि को जीडीपी की दृष्ट्रिकोण से देखते है वो इतने बड़े देश की सामाजिक व्यवस्थाओं को नहीं समझते है। जिस देश की जनसंख्या 130 करोड़ से आगे बढ़ चुकी हो उसका ड्राइ जीडीपी देश को पूर्ण विकसित नहीं बनाता, हमें इसमें मानवीय दृष्ट्रिकोण भी लाना पड़ता है। हर व्यक्ति और हर परिवार को समृद्ध बनाने के लक्ष्य के बगैर देश समृद्ध नहीं बन सकता है।
अमित शाह ने कहा कि मत्स्य पालन में भी सहकारिता हमारे सभी भाइयो-बहनों के जीवन का आधार बने इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे है। उन्होंने बताया कि बाद में प्रोसेसिंग, एक्सपोर्ट और कलेक्शन करने वाले बड़े जहाज की भी योजना है। उन्होंने कहा प्रोसेसिंग भी वो करेंगे, चिलींग सेंटर उनके होंगे और एक्सपोर्ट भी हमारी मल्टीस्टेट एक्सपोर्ट कॉपरेटिव के माध्यम से होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मत्स्य पालन के लिए ढ़ेर सारे कार्यक्रम शुरु किए है और जिनके साकारात्मक परिणाम आये है । 2014-15 में भारत का कुल मत्स्य संपदा का उत्पादन 102 लाख टन था जो आज बढ़कर 195 लाख टन तक पहुंच गया है। घरेलू उत्पादन 67 लाख टन था जो अब 147 लाख टन हो गया है। मैरीटाइम उत्पादन 35 लाख टन से बढ़कर 48 लाख टन पहुंचा है। मीठे पानी में मत्सय पालन 119 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 67 लाख टन से 147 लाख टन हो गया है जबकि मैरीटाइम में यह 35 लाख टन से बढ़कर 48 लाख टन हो गया है। उन्होंने कहा कि करीब 11 हजार किलोमीटर लंबी हमारी कोस्टलाइन मैरीटाइम उत्पादन बढ़ाने की संभावना से भारी पड़ी है। सहकारिता मंत्रालय ने उसका दोहन कर कॉपरेटिव बेसिस पर मुनाफा हमारे मछुआरे भाइयो-बहनों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहां कि मोदी सरकार एक ऐसा तंत्र बनाएगी जो डेयरी, चीनी मिलों और बाजार समितियों की तरह मछुआरों के लिए काम करेगा और उनकी आर्थिक समृद्धि का कारण भी बनेगा।
अमित शाह ने कहा कि देश समृद्ध सहीं मायने में तभी होता है जब हर परिवार बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके, अच्छा संतुलित आहार दे सके, परिवार के बूढ़े और बच्चों के अरोग्य की चिंता कर पाए और वो आत्मनिर्भर हो तभी देश संपन्न हो सकता है। ये मानवीय दृष्ट्रिकोण वाली जीडीपी पूर्ण करने के लिए कॉपरेटिव से बड़ा कोई दूसरा साधन नहीं है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के गांव को समृद्ध करने में महाराष्ट्र की गन्ना मिलों का सबसे बड़ा योगदान है । शुगर मिल का पूरा मुनाफा किसान के बैंक अकाउंट में जाता है, इसी तरह से गुजरात में आज कई लाख महिलाएं, 80 हजार करोड़ का व्यपार अमूल के माध्यम से करते है। ये 80 हजार करोड़ का पूरा मुनाफा वो अनपढ़, पशुपालन करने वाली महिला के घर में जाता है और अब तो ग्रेजूयेट बहने और ज्यादा पढ़ी-लिखी बहने भी प्रोफेशनल तरीके से पशुपालन के व्यवसाय में आगे आई, यही विचार हमारे पुरखों का था, यही विचार भारत का मूल विचार है।




