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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए भारत का प्रयास रणनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण: CDS जनरल अनिल चौहान

रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए भारत भारत के रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण और उसकी आत्मनिर्भरता का प्रयास महत्वपूर्ण है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने 21 जून, 2024 को नई दिल्ली में पहली सशस्त्र सेना बीईएमएल सिनर्जी मीट 2024 को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस कार्यक्रम में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी के साथ-साथ सेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के उद्देश्यों के बारे में चर्चा करते हुए जनरल अनिल चौहान ने कहा, “आत्मनिर्भरता की अवधारणा रक्षा उत्पादन में स्वायत्तता प्राप्त करने और एक ऐसा इकोसिस्टम स्थापित करने के हमारे उद्देश्य को रेखांकित करती है, जो भारत को रक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी निर्यातक के रूप में स्थापित करता है।”

अपनी तरह के इस पहले आयोजन का उद्देश्य निकट भविष्य में सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए समझ को गहरा करना और अत्याधुनिक समाधान प्रदान करना तथा रक्षा में आत्मनिर्भर भारत को और मजबूत करना था।

जनरल अनिल चौहान ने बीईएमएल के प्रयासों की सराहना की तथा स्वदेशी रक्षा उपकरणों के सहयोगात्मक विकास का समर्थन किया। उन्होंने सैन्य आधुनिकीकरण के लिए भारत सरकार के एजेंडे के अनुरूप तालमेल हासिल करने के लिए संयुक्त एकीकरण के महत्व पर जोर दिया।

यह आयोजन खुली बातचीत के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जिससे बीईएमएल और सशस्त्र बलों के बीच संबंध मजबूत होते हैं। इन चर्चाओं का उद्देश्य आपसी विकास को बढ़ावा देना तथा यह सुनिश्चित करना था कि रक्षा क्षेत्र बीईएमएल जैसे रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम के समान सहयोग से आधुनिक सैन्य अभियानों की उभरती चुनौतियों और मांगों को पूरा कर सके।

बीईएमएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) शांतनु रॉय ने अपने संबोधन में सेना के वाहनों और समाधानों में देश के स्वदेशीकरण से जुड़े प्रयासों को बढ़ाने के लिए रक्षा क्षेत्र से संबंधित सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, तालमेल बैठक सेना, नौसेना और वायु सेना की उभरती जरूरतों के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करेगी और हम इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी अनुसंधान और निष्पादन क्षमताओं के साथ तैयार हैं।

इस तालमेल बैठक ने भविष्य के सहयोग, रक्षा समाधानों की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाया तथा देश की सुरक्षा और तकनीकी उन्नति में योगदान का मार्ग प्रशस्त किया।

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