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Major projects approved in the 61st Executive Committee meeting of National Mission for Clean Ganga (NMCG)
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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की 61वीं कार्यकारी समिति बैठक में प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी

प्रदूषण से निपटने और लाखों लोगों की जीवन रेखा को पुनर्जीवित करने के लिए निर्णायक कदम के रूप में, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने एक और परिवर्तनकारी काम किया है। एनएमसीजी महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की 61वीं कार्यकारी समिति (ईसी) की बैठक हुई। इस बैठक में गंगा नदी के संरक्षण और कायाकल्प के उद्देश्य से कई प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। ये पहल नदी को साफ रखने की दिशा में आगे बढ़ने, सतत विकास को बढ़ावा देने और गंगा की पर्यावरणीय और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के मिशन के लक्ष्यों के अनुरूप हैं। ये कदम गंगा के पानी को साफ रखने, इसके स्रोत स्थल पर होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने और हजारों वर्षों से नदी के साथ बहने वाली समृद्ध पारिस्थितिक और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कार्य हैं।

कार्यकारी समिति ने 900 करोड़ से अधिक की सीवरेज परियोजनाओं पर विचार-विमर्श किया और उन्हें मंजूरी दी। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में अवरोधन, धारा के मार्ग में परिवर्तन, एसटीपी और अन्य संबद्ध कार्यों से सम्बंधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट। “ रामगंगा नदी में प्रदूषण की रोकथाम” के लिए जोन-3 और जोन-4 को मंजूरी दी गई। 409.93 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य रामगंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त करना है। परियोजना के तहत जोन-3 में 15 एमएलडी और जोन-4 में 65 एमएलडी की क्षमता वाले आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही पांच बड़े नालों को रोकने के साथ उनका मार्ग परिवर्तन किया जाएगा।

बिहार के आरा शहर के लिए एक और महत्वपूर्ण पहल को मंजूरी दी गई है। यह परियोजना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के अवरोधन, मोड़ और निर्माण से सम्बंधित है और इसकी अनुमानित लागत 328.29 करोड़ रुपये है। इस परियोजना के तहत 47 एमएलडी क्षमता वाले अत्याधुनिक एसटीपी का निर्माण किया जाएगा, साथ ही 19.5 किलोमीटर लंबा सीवर नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। यह योजना हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल पर आधारित होगी, जिसमें 15 वर्षों तक संचालन और रखरखाव भी शामिल है। इस पहल का उद्देश्य न केवल आरा शहर की सीवेज समस्या का स्थायी समाधान प्रदान करना है, बल्कि नदी में गिरने वाले अनुपचारित पानी को शुद्ध करके गंगा में प्रदूषण के स्तर को प्रभावी ढंग से कम करना भी है।

बैठक में, 138.11 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से उत्तर प्रदेश के “कानपुर शहर में 14 अप्रयुक्त नालों को रोकने और मोड़ने” से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दी गई जो शहर की जल निकासी और सफाई व्यवस्था को एक नई दिशा देगी। इस परियोजना के तहत, नालों से सीधे नदी में गिरने वाले सीवेज को रोका जाएगा और प्रस्तावित सीवेज पंपिंग स्टेशनों और मैनहोल के माध्यम से ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाएगा। इस परियोजना में शहर के 14 प्रमुख नालों को रोकना शामिल है।

कार्यकारी समिति ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत पश्चिम बंगाल के पुजाली नगर पालिका क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल को मंजूरी दी। इस परियोजना के तहत, कुल 5.96 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली एक एकीकृत मल कीचड़ उपचार संयंत्र (एफएसटीपी) को मंजूरी दी गई है। इस परियोजना के तहत, एक अत्याधुनिक 8 किलो लीटर प्रतिदिन क्षमता वाला मल कीचड़ उपचार संयंत्र स्थापित किया जाएगा, जो न केवल शहरी स्वच्छता में सुधार करेगा बल्कि जल स्रोतों की शुद्धता बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

बैठक में, राष्ट्रीय राजधानी में यमुना के कायाकल्प पर केन्द्रित प्रकृति आधारित समाधान परियोजना की स्वीकृती एक प्रमुख पहल रही। कार्यकारी समिति ने शाहदरा नाले में तरल प्रदूषकों के समाधान के लिए पायलट कैमस-एसबीटी (निरंतर उन्नत माइट उपयोग प्रणाली – मृदा-आधारित उपचार) संयंत्रों की स्थापना को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) द्वारा निर्धारित जल गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करना है। इस परियोजना के तहत 5 एमएलडी की क्षमता वाले कैमस-एसबीटी संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के शोध कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए, कार्यकारी समिति ने कुशल नदी प्रणालियों और स्वच्छ यमुना (आईएनडी-रिवर्स) के लिए एनएमसीजी-आईआईटी दिल्ली-डच सहयोग की स्थापना को मंजूरी दी। यह अभिनव पहल भारत-नीदरलैंड्स जल रणनीतिक साझेदारी के तहत शुरू की गई है। इसका उद्देश्य शहरी नदियों और प्रकृति आधारित समाधान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित उत्कृष्टता केंद्र बनाना है। यह केंद्र एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान, सरकारी विभाग और एक अंतरराष्ट्रीय भागीदार का एक अनूठा संयोजन है जो क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के लिए कार्रवाई-उन्मुख अनुसंधान और व्यावहारिक समाधान पर ध्यान देने के लिए है।

कार्यकारी समिति ने गंगा बेसिन में सदियों से फल-फूल रही पारंपरिक लकड़ी की नाव बनाने की कला के अध्ययन और दस्तावेजीकरण को भी मंजूरी दी।

बैठक में डीडीए जैव विविधता पार्कों को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल संसाधन विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के लिए ज्ञान सह-कौशल विकास केंद्र के रूप में बनाने को मंजूरी दी गई। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 8.64 करोड़ रुपए है। इस पहल का उद्देश्य ज्ञान भागीदार के रूप में दिल्ली के यमुना जैव विविधता पार्क के साथ जैव विविधता पार्क विकसित करना है।

इन पहलों के सफल क्रियान्वयन के बाद गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता और पुनरुद्धार के प्रयासों को नई दिशा और गति मिलेगी। ये परियोजनाएं न केवल प्रदूषण नियंत्रण और जल संरक्षण में सहायक होंगी, बल्कि नदी विरासत को संरक्षित करने और टिकाऊ जल प्रबंधन प्रणालियों को विकसित करने में भी महत्वपूर्ण साबित होंगी। इन पहलों के माध्यम से नदियों से जुड़ी पारिस्थितिकी चुनौतियों का समाधान किया जा सकेगा, जिससे उन पर निर्भर समुदायों के लिए स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित हो सकेगा। यह व्यापक प्रयास नदियों को एक बार फिर जीवनदायिनी बनाने की दिशा में एक सशक्त और प्रेरक कदम है।

बैठक में विद्युत मंत्रालय के संयुक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार, जल शक्ति मंत्रालय में नदी विकास एवं गंगा संरक्षण, (अतिरिक्त प्रभार) महाबीर प्रसाद; एनएमसीजी के उप महानिदेशक नलिन श्रीवास्तव; कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) अनूप कुमार श्रीवास्तव; कार्यकारी निदेशक (परियोजनाएं) बृजेन्द्र स्वरूप; कार्यकारी निदेशक (प्रशासन) एसपी वशिष्ठ; कार्यकारी निदेशक (वित्त) भास्कर दासगुप्ता; पश्चिम बंगाल एसपीएमजी की परियोजना निदेशक नंदिनी घोष; बिहार बीयूआईडीसीओ के प्रबंध निदेशक अनिमेष कुमार पाराशर और उत्तर प्रदेश एसएमसीजी के अतिरिक्त परियोजना निदेशक प्रभास कुमार उपस्थित थे।

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