भारत के विशाल कोयला भंडार, जिनका अनुमान 378 बिलियन टन है तथा जिनमें से लगभग 199 बिलियन टन को ‘प्रमाणित’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है, ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। वर्तमान में, भारत के लगभग 80% कोयले का उपयोग ताप विद्युत संयंत्रों में किया जाता है। जैसे-जैसे देश स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को अपना रहा है और नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा मिल रहा है, कोयला मंत्रालय सक्रिय रूप से कोयले के सतत उपयोग को सुनिश्चित कर रहा है। 2020 में, कोयला गैसीकरण मिशन का शुभारंभ किया गया था, जिसका लक्ष्य 2030 तक 100 मिलियन टन कोयले को गैसीकृत करना है, जिससे इस महत्वपूर्ण संसाधन के मूल्य और उपयोगिता अधिकतम हो सकेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न के अनुरूप, यह पहल 2027 तक ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने के लक्ष्य का समर्थन करती है।
कोयला गैसीकरण एक ताप-रासायनिक प्रक्रिया है, जो कोयले को संश्लेषण गैस या “सिनगैस” में परिवर्तित करती है, जिसमें मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन होते हैं। भारत अपने तेल का लगभग 83%, मेथनॉल का 90% से अधिक और अमोनिया का 13-15% आयात करता है, इसलिए कोयला गैसीकरण, विशेष रूप से तेल, गैस, उर्वरक और पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों में, आयात पर निर्भरता कम करने और विदेशी मुद्रा का बचत करने का अवसर प्रदान करता है। गैसीकरण परियोजनाओं से विविध उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे तेल और गैस का आंशिक आयात प्रतिस्थापन और भारत के प्रचुर कोयला भंडार का स्वच्छ उपयोग होना सुनिश्चित हो सकेगा।
24 जनवरी, 2024 को, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा बीएचईएल और जीएआईएल के साथ संयुक्त उद्यम कंपनियाँ बनाने के लिए इक्विटी निवेश को मंजूरी दी, जो 30% इक्विटी सीमा से आगे बढ़ाया जा सकता था। इस योजना का उद्देश्य गैसीकरण परियोजनाओं की वित्तीय और तकनीकी व्यवहार्यता को प्रदर्शित करना, डाउनस्ट्रीम उत्पादों के लिए बाजारों को प्रोत्साहित करना और नई आर्थिक मूल्य श्रृंखलाएँ स्थापित करना है।
इसके अलावा, कोयला गैसीकरण को बढ़ावा देने के लिए, मंत्रालय गैसीकरण कोयले के लिए वाणिज्यिक नीलामी नीतियों में राजस्व हिस्सेदारी में 50% छूट प्रदान करता है, सिंथेटिक गैस उत्पादन के लिए एक नया उप-क्षेत्र तैयार हुआ है और गैसीकरण संयंत्रों को दीर्घकालिक कोयला आवंटन प्रदान करता है।
कोयला गैसीकरण योजना की मुख्य विशेषताएं:
संयुक्त उद्यमों और सहयोग के माध्यम से चल रही कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाएँ इस प्रकार हैं:
कोयला मंत्रालय ने झारखंड के कस्ता कोल ब्लॉक में भूमिगत कोयला गैसीकरण (यूसीजी) के लिए भारत की पहली पायलट परियोजना भी शुरू की है। यह पायलट पहल कोल इंडिया लिमिटेड (सी आई एल) और इसकी सहायक कंपनियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जिसने भारत को अत्याधुनिक भूमिगत कोयला गैसीकरण तकनीकों को अपनाने में सबसे आगे रखा है।
कोयला मंत्रालय ने सभी श्रेणियों में सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र की संस्थाओं से कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं, जिससे आर्थिक क्षमता का दोहन होगा, राजस्व में वृद्धि होगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। बोली जमा करने की अंतिम तिथि 11 नवंबर 2024 है।
कोयला गैसीकरण एक अत्यधिक आशाजनक पहल के रूप में उभर रहा है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिल रही है। यह परियोजना न केवल कोयले को मूल्यवान उत्पादों में बदलने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित कर रही है, बल्कि निवेशकों में भी रुचि पैदा कर रही है। बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित करने तथा आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की क्षमता के साथ, कोयला गैसीकरण उद्योग जगत में क्रांति लाने के लिए तैयार है, जो ऊर्जा सुरक्षा में सतत व समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
कोयला मंत्रालय कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिनमें कोयले को विभिन्न मूल्यवान उत्पादों में बदलने की अपार संभावनाएं हैं। यह योजना तथा इसके प्रोत्साहन सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों तथा निजी क्षेत्र को आकर्षित करने के लिए तैयार किए गए हैं, जिससे कोयला क्षेत्र में नवाचार, निवेश तथा सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा। कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण योजना स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों को अपनाकर कोयला क्षेत्र को बदलने के हमारे प्रयास का एक महत्वपूर्ण बिंदु है तथा सरकार कोयला गैसीकरण परियोजनाओं की सफलता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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