भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय कुमार सूद और यूनाइटेड किंगडम के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सलाहकार डॉ. डेविड वॉरेन स्मिथ ने 4 नवंबर 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित एक द्विपक्षीय बैठक में भारत-यूनाइटेड किंगडम विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी (आईएन-यूके-एसटीपी) डैशबोर्ड के पायलट संस्करण का अनावरण किया। बैठक में पीएसए कार्यालय में वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी और भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, पीएसए कार्यालय, यूके विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसआईटी) और भारत में ब्रिटिश उच्चायोग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
आईएन-यूके-एसटीपी डैशबोर्ड का पायलट संस्करण, जो भारत में पीएसए कार्यालय और ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है, में 2018 से भारत और ब्रिटेन के विभिन्न हितधारकों द्वारा संयुक्त रूप से समर्थित और कार्यान्वित 143 द्विपक्षीय परियोजनाएं शामिल हैं। डैशबोर्ड परियोजनाओं को वित्तपोषण मूल्य, कार्यान्वयन साझेदारों और दोनों पक्षों की वित्तपोषण एजेंसियों के संदर्भ में दर्शाता है।
भारत-यूके विज्ञान एवं नवाचार परिषद (एसआईसी) के लक्ष्यों, 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और प्रौद्योगिकी सहयोग के व्यापक क्षेत्रों के संबंध में भी परियोजना मानचित्रण किया गया है जिससे उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय प्राथमिकताओं के साथ रणनीतिक संरेखण और तालमेल को समझा जा सके।
स्वागत भाषण में वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी ने इन-यूके-एसटीपी डैशबोर्ड पहल की अवधारणा को एक साक्ष्य और नीति उपकरण के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों तथा ब्रिटेन सरकार के साथ सफल साझेदारी पर जोर दिया ताकि इस पहल को सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सके।
पीएसए प्रोफेसर सूद ने अपने संबोधन में कहा कि भारत-यूके प्रौद्योगिकी सुरक्षा (टीएसआई) पहल और द्विपक्षीय व्यापार समझौते सहित द्विपक्षीय साझेदारी में हाल ही में प्राप्त की गई विभिन्न उपलब्धियों को इस डैशबोर्ड से काफी बल और अंतर्दृष्टि मिलेगी। पीएसए ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह डैशबोर्ड, दोनों पक्षों के निर्णयकर्ताओं को प्राथमिकताओं को संरेखित करने, कमियों की पहचान करने और साझेदारी को विकसित करने की दिशा निर्धारित करने में मदद कर सकता है ताकि दोनों समाजों में स्थायी प्रभाव पैदा हो सके।
यूके एनटीए के डॉ. स्मिथ ने इस डैशबोर्ड पहल के माध्यम से भारत-यूके विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी साझेदारी की गहराई को दर्शाने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। डॉ. डेविड ने कहा कि डैशबोर्ड से प्राप्त अंतर्दृष्टि और विश्लेषण हाल ही में घोषित भारत-यूके अनुसंधान एवं नवाचार कॉरिडोर (आरआईसी) को आकार देने में मदद करेंगे।
आगे बढ़ते हुए, चर्चा के दौरान निम्नलिखित सिफारिशें की गईं:
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