राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने आज सभी सात राष्ट्रीय आयोगों की वैधानिक पूर्ण आयोग की बैठक आयोजित की, जिनके अध्यक्ष इसके पदेन सदस्य हैं। इसका उद्देश्य कमजोर और हाशिए के वर्गों के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने के मुद्दे पर चर्चा करना और इस संबंध में सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और वार्षिक कार्य योजनाओं को साझा करना था।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा कि, देश में समाज के विभिन्न वर्गों के मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मजबूत कानून हैं और सभी आयोग, जो व्यापक अधिकार क्षेत्र वाले एनएचआरसी के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रीय अधिकारों के मुद्दों को देख रहे हैं, एक साथ काम कर सकते हैं, संयुक्त रणनीति बना सकते हैं और इन कानूनों/योजनाओं के अधिक प्रभावी कार्यान्वयन के तरीके ढूंढ सकते हैं।
जस्टिस मिश्रा ने कहा कि यह विचार करने योग्य है कि लोगों की आवश्यकताओं और उनके मानव अधिकारों का संरक्षण कैसे सुनिश्चित किया जाए। हमें एक-दूसरे के अनुभवों से सीखना चाहिए और एससी-एसटी समुदायों, महिलाओं और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए समानता और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि सेप्टिक टैंकों को यांत्रिक रूप से साफ किया जाना चाहिए और इस संबंध में एनएचआरसी की परामर्शी का पालन किया जाना चाहिए। केंद्र ने यांत्रिक सफाई को लेकर एक योजना बनाई है, जिसे राज्यों और स्थानीय निकायों को लागू करना चाहिए।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना ने कहा कि चुनौती यह है कि नई शिक्षा नीति और उभरती तकनीक का लाभ लोगों तक कैसे पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि लोगों की मानसिकता में बदलाव केवल कानूनों के जरिये नहीं, बल्कि करुणा और संवेदनशीलता से लाया जा सकता है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि आयोग बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। इस संबंध में वह 8 पोर्टलों की निगरानी कर रहे हैं। आयोग द्वारा एक लाख से अधिक अनाथ बच्चों की निगरानी की गई है। उन्हें परिवारों में पुनर्वासित किया गया है। यह सुनिश्चित किया गया कि उन्हें अनाथालयों में रहने के लिए मजबूर न किया जाए। आयोग केमिस्ट की दुकानों में सीसीटीवी कैमरों की स्थापना सुनिश्चित कर रहा है ताकि बच्चों को मादक द्रव्यों के सेवन के लिए निर्धारित दवाएं न दी जाएं। आयोग ने पिछले कुछ वर्षों में 19 शोध रिपोर्ट तैयार करने के अलावा बाल अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 9 दिशानिर्देश और एसओपी जारी की हैं।
दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त राजेश अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ‘दिव्यांगजनों’ के बीच अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ संबंधित चुनौतियाँ भी बढ़ी हैं। स्कूलों में प्रवेश और दिव्यांग विद्यार्थियों को परीक्षा में सहायता संबंधी समस्याएँ बनी हुई हैं। दृष्टिबाधितों को ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करते समय कैप्चा कोड की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
एनएचआरसी, भारत के सदस्य डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले ने कहा कि आयोगों के बीच सहयोग की काफी गुंजाइश है। हालाँकि, इसे समाज के विभिन्न वर्गों के अधिकारों के संरक्षण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए और अधिक संरचित किया जाना चाहिए।
एनएचआरसी के सदस्य राजीव जैन ने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि एससी-एसटी अधिनियम के तहत मुआवजे का प्रावधान होने के बावजूद इसके भुगतान में देरी होती है। शिकायतों के पंजीकरण और मुआवज़े के वितरण में बहुत समय बर्बाद होता है। यह जानने के लिए कि क्या ये क़ानून के अनुरूप हैं या नहीं, सभी राज्यों में पीड़ित मुआवजा योजनाओं का अध्ययन करने की आवश्यकता है। इसी तरह, उन्होंने कहा, एनएएलएसए के तहत मुआवजे को भी बढ़ाने की जरूरत है। संबंधित जिला अधिकारियों को यह समझने की आवश्यकता है कि एससी-एसटी समुदाय का पीड़ित बच्चा एससी-एसटी अधिनियम, पोक्सो अधिनियम के साथ-साथ एनएएलएसए योजना के तहत मुआवजे के लिए पात्र है।
राजीव जैन ने कहा कि राज्य निजी स्कूलों में बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में केवल इस आधार पर हस्तक्षेप करने से इनकार नहीं कर सकते कि ये निजी संस्थाओं के स्वामित्व में हैं क्योंकि सभी संस्थान राज्य की उचित अनुमति के तहत संचालित होते हैं और इसलिए उनके वैध कामकाज को सुनिश्चित करने की भी जिम्मेदारी बनती है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सचिव मीनाक्षी नेगी ने कहा कि दोहराव से बचने के लिए शोध के लिए सभी आयोगों के बीच परस्पर सहयोग बेहतर होगा क्योंकि कई साझा विषय हैं जिन पर एनएचआरसी और एनसीडब्ल्यू शोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चिंता का एक अन्य विषय यह है कि देश में महिलाओं के लिए संपत्ति के अधिकार में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए राज्य वैधानिक प्रावधानों की अनुकूलता पर काम करना होगा।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सचिव गुडे श्रीनिवासन और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संयुक्त सचिव कोनथांग तौथांग ने भी अपने संबंधित आयोगों द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में बात की।
इससे पहले, एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने बैठक और देश के अद्वितीय संस्थागत मानव अधिकार संरक्षण ढांचे का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों के बीच इस तरह की बातचीत मानव अधिकारों के कुछ प्रमुख मुद्दों पर एक साझा मंच बनाने में उपयोगी है और सामूहिक रूप से पीड़ितों को त्वरित राहत सुनिश्चित करती है। वे विभिन्न अधिकारों के मुद्दों पर परामर्शी तैयार करने में सहयोग और उनके कार्यान्वयन के साथ-साथ मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए निवारक कदम भी सुनिश्चित कर सकते हैं। केवल शोध करने और इसे व्यावहारिक अनुप्रयोग के साथ जमीनी स्तर पर नहीं ले जाने से उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि 7 राष्ट्रीय आयोग तालमेल बढ़ाने और मामलों के दोहराव को रोकने और उन्हें हल करने के प्रयासों के लिए एनएचआरसी के एचआरसीनेट पोर्टल को शामिल कर सकते हैं।
एनएचआरसी के महानिदेशक (अन्वेषण) अजय भटनागर ने कहा कि मानव अधिकारों के उल्लंघन के बाद कार्रवाई करने से ज्यादा इसकी रोकथाम पर ध्यान देने का समय आ गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी आयोग लोगों तक आसान पहुंच के लिए एक-दूसरे की वेबसाइटों के लिंक अपनी-अपनी वेबसाइटों पर साझा करें। उन्होंने लोगों के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने की दिशा में एक साझा लक्ष्य के लिए राष्ट्रीय आयोगों के बीच विशेषज्ञता के आदान-प्रदान का भी सुझाव दिया।
अनीता सिन्हा, संयुक्त सचिव, एनएचआरसी ने 2023-24 के दौरान एनएचआरसी की गतिविधियों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आयोग मानव अधिकारों के संरक्षण और मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहा है।
बैठक में एनएचआरसी सदस्या, विजया भारती सयानी, संयुक्त सचिव, देवेन्द्र कुमार निम, प्रजेंटिंग ऑफिसर्स एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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