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President Draupadi Murmu addressed the joint sitting of Lok Sabha and Rajya Sabha in Parliament
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद में लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि सरकार पेपर लीक की निष्पक्ष जांच और दोषियों के लिए कड़ी सजा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। संसद की संयुक्त बैठक में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए देश भर में ठोस कदम उठाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार परीक्षा-संबंधित निकायों, उनके कामकाज और परीक्षा प्रक्रिया के सभी पहलुओं में बड़े सुधारों की दिशा में काम कर रही है। राष्‍ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संसद ने परीक्षाओं में अनुचित साधनों के खिलाफ भी सख्त कानून बनाया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में पेपर लीक के कई मामले पहले भी सामने आए हैं और सरकार का यह निरंतर प्रयास है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए सही अवसर प्रदान किए जाएं। राष्ट्रपति ने कहा कि चाहे प्रतियोगी परीक्षाएं हों या सरकारी भर्ती की प्रक्रिया, सब में पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में रिकॉर्ड मतदान दर्ज कर देश के दुश्मनों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में वोटिंग का एक दशक पुराना रिकॉर्ड टूट गया है। उन्होंने कहा कि पिछले चार दशकों से कश्मीर में शटडाउन और हड़तालों के बीच कम मतदान हुआ और देश के दुश्मनों ने इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर की राय के रूप में प्रचारित किया। लेकिन इस बार कश्मीर घाटी ने ऐसी सभी ताकतों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि देश में छह दशकों के बाद पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार बनी है और लोग जानते हैं कि केवल यही सरकार उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकती है। राष्ट्रपति ने कहा कि नई सरकार आगामी संसद सत्र में अपना पहला आम बजट पेश करने जा रही है, जो उसकी दूरगामी नीतियों और भविष्यवादी दृष्टिकोण का एक प्रभावी दस्तावेज होगा और सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि दस साल में देश 11वें स्थान से उठकर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि देश ने महामारी और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष के बावजूद यह उपलब्धि हासिल की। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के संकल्प ने आज भारत को विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना दिया है। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार के कदमों पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि केंद्र विनिर्माण, सेवाओं और कृषि को समान महत्व दे रहा है। उन्होंने कहा कि देश सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर पर्यटन और स्वास्थ्य से लेकर वेलनेस तक हर क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभर रहा है और इससे बड़ी संख्या में रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। कृषि क्षेत्र को दी गई प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि गांवों में कृषि आधारित उद्योगों, डेयरी और मत्स्य पालन आधारित उद्योगों का विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छोटे किसानों की एक बड़ी समस्या भंडारण से संबंधित है और केंद्र ने सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण क्षमता बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती और इससे संबंधित उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत कर रही है। हरित पहल पर राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमताओं में भी कई गुना वृद्धि की है और देश अपने जलवायु संबंधी लक्ष्यों को तय समय से पहले ही हासिल कर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र हरित उद्योगों में निवेश बढ़ा रहा है, जिससे नौकरियों में वृद्धि होगी। उन्होंने भारतीय शहरों को दुनिया में सर्वोत्तम रहने की जगह बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई। अपने लगभग एक घंटे के संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार की पहल पर भी प्रकाश डाला और कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पिछले दस वर्षों में तीन लाख 80 हजार किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति दोगुनी से अधिक हो गई है। उन्होंने कहा कि सरकार अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाई-स्पीड रेल इकोसिस्टम पर भी काम कर रही है और उसने देश के उत्तर, दक्षिण और पूर्व में बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए व्यवहार्यता अध्ययन करने का निर्णय लिया है। पूर्वोत्तर राज्यों के विकास पर राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में क्षेत्र के विकास के लिए आवंटन चार गुना से अधिक बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत इस क्षेत्र को रणनीतिक प्रवेश द्वार बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, रोजगार सहित हर क्षेत्र में विकास कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि असम में 27 हजार करोड़ रुपये की लागत से सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित किया जा रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डालते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए काम कर रहा है और पिछले दस वर्षों में क्षेत्र से संबंधित कई समस्याओं का समाधान किया गया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि क्षेत्र में तेजी से प्रगति के बाद अशांति वाले क्षेत्रों में अफस्पा को चरणबद्ध तरीके से हटाने का काम चल रहा है। महिला सशक्तिकरण पर, राष्ट्रपति ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के आरक्षण के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम का हवाला देते हुए महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास का एक नया युग शुरू हो गया है।

उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान चार करोड़ पीएम आवासों में से अधिकांश आवास महिला लाभार्थियों को आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही तीन करोड़ नए घरों के निर्माण को मंजूरी दी गई है। सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के बारे में बात करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में रक्षा क्षेत्र में कई सुधार पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सुधारों के कारण, भारत अब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा उपकरण बना रहा है और पिछले एक दशक में रक्षा निर्यात 18 गुना से अधिक बढ़कर 21 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

अपने संबोधन में उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में की गई पहलों के बारे में भी बात की और कहा कि सरकार डिजिटल यूनिवर्सिटी स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में सात नए आईआईटी, 16 आईआईआईटी, 7 आईआईएम, 15 नए एम्स, 315 मेडिकल कॉलेज और 390 विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी को और बढ़ाने के लिए सरकार ने ‘मेरा युवा भारत’ अभियान शुरू किया है। उन्होंने बताया कि अब तक एक करोड़ पचास लाख से अधिक युवा पंजीकरण करा चुके हैं।यह पहल युवाओं में नेतृत्व कौशल विकसित करेगी और सेवा की भावना का बीजारोपण करेगी। उन्होंने वैश्विक मंचों पर रिकॉर्ड संख्या में पदक जीतने के लिए भारतीय खिलाड़ियों की सराहना भी की। पेरिस ओलंपिक से पहले उन्होंने कहा कि भारत को ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रत्येक एथलीट पर गर्व है। उन्होंने कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ भी 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी की तैयारी कर रहा है। अगले महीने की पहली तारीख से लागू होने वाली भारतीय न्याय संहिता के बारे में बात करते हुए राष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि अब सजा पर न्याय को प्राथमिकता मिलेगी, जो संविधान की भावना के अनुरूप भी है। उन्होंने कहा कि इन नए कानूनों से न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी।

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देना शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि देश के लोगों ने हमेशा लोकतंत्र में पूर्ण विश्वास प्रदर्शित किया है और चुनावी संस्थानों में पूर्ण विश्वास व्यक्त किया है और मजबूत लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए लोगों के विश्वास को बनाए रखने और संरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की विश्वसनीयता को कमजोर करने के हर प्रयास की सामूहिक रूप से निंदा करने का आह्वान करते हुए कहा कि किसी को वह समय याद रखना चाहिए जब मतपत्र छीन लिए गए थे और लूट लिए गए थे। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए ईवीएम का उपयोग करने का निर्णय लिया गया और पिछले कुछ दशकों में ईवीएम ने सर्वोच्‍च न्‍यायालय से लेकर जनता की अदालत तक हर परीक्षा पास की है।

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत का संविधान पिछले दशकों में हर चुनौती, हर कसौटी पर खरा उतरा है, यहां तक कि संविधान लागू होने के बाद इस पर कई बार हमले भी हुए। 1975 में आपातकाल लगाए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था।

संसद सदस्यों की जिम्मेदारी की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नीतियों का विरोध और संसदीय कामकाज में बाधा डालना दो अलग-अलग चीजें हैं। उन्होंने कहा कि जब संसद अपना कामकाज सुचारु रूप से चलाती है, जब यहां स्वस्थ विचार-विमर्श होता है, जब दूरगामी फैसले लिए जाते हैं, तो लोग न केवल सरकार पर बल्कि पूरी व्यवस्था पर भरोसा जताते हैं। राष्ट्रपति ने कहा, 21वीं सदी के इस तीसरे दशक में वैश्विक व्यवस्था एक नया आकार ले रही है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व-बंधु के रूप में दुनिया को नया आत्मविश्वास दे रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अपने मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के कारण, भारत आज किसी भी संकट में पहला उत्तरदाता है और विकासशील और अर्धविकसित देशों की एक मजबूत आवाज बन गया है। हमारे संवाददाता ने बताया है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों ने नीट परीक्षा, मणिपुर हिंसा और अन्य मुद्दों पर शोर-शराबा किया।

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