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Ramcharitmanas, Panchatantra included in UNESCO's 'Memory of the World Regional Register'
अंतर्राष्ट्रीय

रामचरितमानस, पंचतंत्र यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रीजनल रजिस्टर’ में शामिल

राम चरित मानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को ‘यूनेस्को के विश्‍व एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय अनुस्मरण रजिस्टर’ में शामिल किया गया है। संस्कृति मंत्रालय ने बताया है कि यह समावेशन भारत के लिए एक गौरव का क्षण है, जिससे देश की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत की पुष्टि होती है। यह वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में हो रहे प्रयासों को और आगे ले जाने का प्रतीक है, जो हमारी साझा मानवता को आकार देने वाली विविध कथाओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों को पहचानने और सुरक्षित रखने के महत्व पर प्रकाश डालता है। इन साहित्यिक उत्कृष्ट कृतियों का सम्मान करके, समाज न केवल उनके रचनाकारों की रचनात्मक प्रतिभा को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उनका गहन ज्ञान और कालजयी शिक्षाएं भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहें और उनकी जानकारियां बढ़ाती रहें।

‘रामचरितमानस’, ‘पंचतंत्र’ और ‘सहृदयालोक-लोकन’ ऐसी कालजयी रचनाएं हैं जिन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है। इन कृतियों ने देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है। इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह पाठकों और कलाकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। ‘सहृदयालोक-लोकन’, ‘पंचतंत्र’ और ‘रामचरितमानस’ की रचना पंडित आचार्य आनंदवर्धन, विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास ने की थी।

इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केन्‍द्र – आई जी एन सी ए ने एशिया-प्रशांत विश्‍व समिति की दसवीं अनुस्मरण बैठक के दौरान इस ऐतिहासिक क्षण को सुरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चालीस पर्यवेक्षकों और नामितों के अलावा सदस्‍य राज्‍यों के 38 प्रतिनिधियों ने उलानबटोर की इस बैठक को संचालित किया। इन तीन नामांकनों को समर्थन देकर आई जी एन सी ए ने यूनेस्को के विश्‍व एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय अनुस्मरण रजिस्टर में इन साहित्यिक कृतियों के स्‍थान को सु‍निश्चित किया।

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