रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: 270 करोड़ रुपये की लागत वाले 6 मेगावाट मध्यम गति के समुद्री डीजल इंजन के डिजाइन और विकास के लिए परियोजना स्वीकृति आदेश पर हस्ताक्षर किए गए
भारतीय नौसेना के उपयोग हेतु 6 मेगावाट मध्यम गति के समुद्री डीजल इंजन के डिजाइन एवं विकास के लिए नौसेना और किर्लोस्कर ऑयल इंजन्स लिमिटेड के बीच मेक-I श्रेणी के अंतर्गत परियोजना स्वीकृति आदेश पर हस्ताक्षर हुए हैं। सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार और नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन की उपस्थिति में 02 अप्रैल, 2025 को नई दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इस प्रोटोटाइप डीजल इंजन का विकास 270 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा, जिसमें 50% से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल होगा और इसका 70% वित्त पोषण भारत सरकार द्वारा किया जाएगा। इस अनुबंध में 3-10 मेगावाट डीजल इंजन के लिए विस्तृत डिजाइन का विकास भी शामिल है। विकसित इंजनों का उपयोग भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के जहाजों पर मुख्य प्रपल्शन तथा विद्युत उत्पादन के लिए किया जाएगा।
उच्च क्षमता वाले अधिकांश डीजल इंजन अब तक विदेशी मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) से आयात किए जा रहे थे। यह परियोजना देश में समुद्री इंजन विकास में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की प्रक्रिया का शुभारंभ करेगी।
यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी बनाने और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे स्वदेशी क्षमताएं और भी बेहतर होंगी, विदेशी मुद्रा की बचत होगी तथा विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं पर निर्भरता कम होगी। यह पहल देश में रक्षा औद्योगिक इकोसिस्टम के विकास के लिए उत्प्रेरक का कार्य करेगी।