विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुम्भ 2025 में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आज महाकुम्भ का तीसरा अमृत स्नान पर्व संपन्न हो गया। अविरल और निर्मल त्रिवेणी संगम में करोड़ो श्रद्धालुओं ने तीसरा अमृत स्नान किया। महाकुंभ का आयोजन न केवल आस्था, विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि एकता, समता और सांस्कृतिक विविधता के अद्भुत उदाहरण के रूप में भी है।
संगम के तट पर श्रद्धालु बसंत पंचमी के अवसर पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे। इस अवसर पर भारतीयों के साथ-साथ भारी संख्या में विदेशियों ने भी त्रिवेणी संगम पर अमृत स्नान किया ।
प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी आंकड़ो के अनुसार बंसत पंचमी के अवसर पर शाम 6 बजे तक कुल 2.33 करोड़ श्रद्दालुओं ने पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना के साथ देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य स्नान किया। दुनिया के कई देशों से आए साधु-संत, योगी, विद्वान और श्रद्धालु इस दिव्य आयोजन का हिस्सा बने। भारत के सभी राज्यों से आए श्रद्धालुओं की मौजूदगी ने इसे एक अखिल भारतीय महोत्सव बना दिया।
बसंत पंचमी के पावन अवसर पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। पंचांग के अनुसार, इस शुभ तिथि पर स्नान का विशेष महत्व है, और इसी कारण रात से ही संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं की कतारें लग गईं।
महाकुम्भ मेला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ पुलिस प्रशासन, स्वच्छताकर्मियों, स्वयंसेवी संगठनों, नाविकों और केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों का योगदान रहा, जो इस ऐतिहासिक आयोजन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने में लगा हुये हैं।
बसंत पंचमी के तीसरे अमृत स्नान के अवसर पर महाकुंभ मेला क्षेत्र में स्वच्छता के विशेष इंतजाम किए गए, जिससे पूरे क्षेत्र को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने का संकल्प साकार होता दिखा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाये गये 44 घाटों की सफाई में 15,000 सफाई मित्र और 2,500 से अधिक गंगा सेवा दूत दिन-रात जुटे रहे। अखाड़ों के मार्गों की विशेष सफाई का प्रबंध किया गया, ताकि संतों और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। पूरे मेला क्षेत्र में क्विक रिस्पांस टीम (क्यूआरटी) सक्रिय रही, जो तुरंत सफाई सुनिश्चित कर कूड़ा मेला क्षेत्र के बाहर भेजती रही। विशेष रूप से अखाड़ों के मार्गों को स्वच्छ रखने के साथ पानी का छिड़काव भी किया गया, जबकि नाविकों और स्टीमर की सहायता से गंगा और संगम की सफाई सुनिश्चित की गई। इस व्यवस्थित सफाई व्यवस्था की श्रद्धालुओं ने सराहना की, हरिद्वार से आए साहिल मेहता ने घाटों की स्वच्छता और पूरे क्षेत्र में कूड़ा मुक्त वातावरण की प्रशंसा की।
महाकुम्भ 2025 का आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने में सफल रहा है। महाकुम्भ मेला प्रशासन द्वारा आयोजन को सुरक्षित एवं सफल बनाने के लिय सभी ज़रुरी इंतजाम किये गये है। महाकुम्भ की लोकप्रियता और सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया भर में पहचान मिल रही है। महाकुम्भ में आने वाले विदेशी श्रद्धालु भारतीय संस्कृति से प्रभावित हुए और गंगा स्नान के साथ-साथ भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का अनुभव लिया।
महाकुम्भ 2025 का यह आयोजन आस्था, एकता और विविधता का प्रतीक है। यह आयोजन केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति की महानता का एहसास करा रहा है। महाकुम्भ मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।
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