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Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chauhan interacted with 731 Krishi Vigyan Kendras across the country
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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देशभर के 731 कृषि विज्ञान केंद्रों से संवाद किया

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में देशभर के सभी 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से वर्चुअल संवाद किया। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह की पहल पर आयोजित इस अभिनव संवाद कार्यक्रम में सभी केवीके के चल रहे प्रयासों, उनकी भूमिका और भावी कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को लेकर व्यापक चर्चा हुई। इस दौरान, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने सभी केवीके से किसान उन्मुख प्रयासों में तेजी लाने की बात कही, साथ ही कहा कि खेती-किसानी की उन्नति में केवीके सशक्त माध्यम के रूप में भूमिका निभाएं। शिवराज सिंह का कहना रहा कि केवीके कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं। वहीं, शिवराज सिंह ने कहा कि खरीफ की बुआई से पहले सभी केवीके और आईसीएआर, राज्य सरकारों के साथ मिलकर किसान जागरूकता अभियान चलाएं। शिवराज सिंह ने प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और किसानों के हितों के मद्देनजर उत्पादकता बढ़ाने पर भी जोर दिया। उत्कृष्ट कार्य करने वाले केवीके को पुरस्कृत किए जाने के प्रस्ताव पर भी विचार हुआ।

इस संवाद में देशभर के विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रमुखों के साथ ही कृषि वैज्ञानिक शामिल हुए, जिनमें से कुछ ने केवीके की उपलब्धियां बताई, वहीं अपने सुझाव भी दिए। आईसीएआर-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) जोधपुर (राजस्थान), अटारी हैदराबाद (आंध्र प्रदेश), अटारी पटना (बिहार), अटारी जबलपुर (मध्य प्रदेश) के अलावा मंडी (हिमाचल प्रदेश), नंदूरबार (महाराष्ट्र), खुर्दा (ओडिशा), मोरीगांव (असम) और लक्षद्वीप के केवीके प्रमुखों ने अपने-अपने क्षेत्र विशेष के अनुसार अपने कामकाज, उपलब्धियों और भावी कार्य योजनाओं के बारे में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह को जानकारी दी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट और उप महानिदेशक (प्रसार) डॉ. राजबीर सिंह ने प्रारंभ में केवीके के संबंध में रूपरेखा बताई।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अभियान स्वरूप कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कृषि व्यापक क्षेत्र है। प्रत्यक्ष रूप से लगभग 45% आबादी कृषि से जुड़ी है और हमारी जीडीपी का लगभग 18% हिस्सा कृषि क्षेत्र से ही आता है, इसलिए इस व्यापक भूमिका को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए हमें लगातार प्रभावशाली प्रयास करने होंगे।

केवीके प्रमुखों को संबोधित करते हुए उन्होंने किसानों के क्षमता निर्माण प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अच्छे प्रशिक्षण और जागरुकता के माध्यम से हम किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बना सकते है। साथ ही शिवराज सिंह ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड और किसान जागरुकता को जोड़ते हुए कार्य करने की नई पहल करने संबंधी विचार भी साझा किए। किसानों को मृदा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उवर्रक के संतुलित इस्तेमाल की मात्रा के अनुसार उचित एडवाइजरी देते हुए खेती करवाने की दिशा में आगे काम करने के लिए कहा।

शिवराज सिंह चौहान ने कृषि के लिए 6 सूत्रीय रणनीति, जिसमें उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, फसलों के ठीक दाम, नुकसान की भरपाई, खेती का विविधिकरण और प्राकृतिक खेती शामिल है पर भी मार्गदर्शन दिया। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि प्राकृतिक खेती में हमें उच्च मापदंड स्थापित करके दिखाना है।

शिवराज सिंह चौहान ने खाद्यान उत्पादन के लिए बेहतर बीजों, नए शोध, नई तकनीकों के प्रयोग पर बल दिया और इसी क्रम में और अधिक मॉडल फार्म बनाने और नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से भी किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रयास करने को कहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को दृष्टिगत रखते हुए जल संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि “प्रति बूंद अधिक फसल” के लिए और अधिक प्रभावशाली रूप से भूमिका निभाने की आवश्यकता है। कम से कम पानी में अधिक से अधिक खेती की कोशिश होनी चाहिए।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है और सभी को कार्य प्रदर्शन के पायदान पर ऊपर बने रहने के लक्ष्य के साथ कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छा कार्य करने वाले केवीके को अगले वर्ष से पुरस्कृत करने की व्यवस्था पर भी विचार की आवश्यकता है।

बैठक के अंत में, केंद्रीय मंत्री ने केवीके प्रमुखों से कार्य को पूजा के रूप में स्वीकार करते हुए परिणाम उन्मुख होकर कार्य करने की बात कही। एक अभिनव पहल के रूप में इस वर्ष 15 जून 2025 को खरीफ फसल की बुआई से पहले किसानों की जागरुकता के लिए व्यापक जन अभियान चलाए जाने संबंधी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया और विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से खरीफ बुआई संबंधित जानकारी देने के लिए सूचना प्रवाह माध्यम से अधिकतम किसानों को जोड़ने संबंधी रूपरेखा पर चर्चा हुई।

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