केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में लिवरपूल विश्वविद्यालय को आशय पत्र (एलओआई) सौंपे जाने के समारोह की अध्यक्षता की। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग- यूजीसी द्वारा भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन विनियम, 2023 के तहत आशय पत्र प्राप्त करने वाला दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय है।
भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त, सीबी ओबीई लिंडी कैमरून, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अंतरिम अध्यक्ष और शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग सचिव, डॉ. विनीत जोशी, लिवरपूल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टिम जोन्स, लिवरपूल विश्वविद्यालय में वैश्विक जुड़ाव और भागीदारी के प्रो-वाइस चांसलर प्रो. तारिक अली के साथ-साथ विदेश मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। रॉयल कॉलेज ऑफ़ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (आरसीओजी), एस्ट्राज़ेनेका फार्मा इंडिया लिमिटेड, यूवीकैन और ड्रीम11 सहित कंपनियों और संगठनों के साथ भविष्य में सहयोगी के रूप में काम करने के अवसरों का पता लगाने के लिए आज तीन महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए।
इस अवसर पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आशय पत्र वैश्विक उच्च शिक्षा में भारत के एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभरने की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि यह कदम अग्रणी वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ अकादमिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में भारत की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह एक ऐसी आकांक्षा है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण में दृढ़ता से अंतर्निहित है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों को दोहराते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 का पूरी तरह क्रियान्वयन इस महत्वाकांक्षा को सच कर दिखाने की कुंजी है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 की प्राथमिक सिफारिशों में जमीनी, भविष्योन्मुखी और वैश्विक शिक्षा प्रमुख है और इनका उद्देश्य वैश्विक नागरिक तैयार करना है।
धर्मेंद्र प्रधान ने अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार जैसे क्षेत्रों में ध्यान केन्द्रित करने का भी आग्रह किया तथा प्रसन्नता व्यक्त की कि लिवरपूल विश्वविद्यालय नवाचार को बढ़ावा देने वाले विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) – सम्बंधित अनुसंधान पर ध्यान केन्द्रित करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक नागरिकों की नई पीढ़ी तैयार करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत में नवाचार केन्द्र विश्वविद्यालय तथा समाज दोनों के लिए परस्पर लाभकारी होगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि लिवरपूल विश्वविद्यालय भारत में अपनी शाखा की सार्वजनिक घोषणा करने वाला चौथा विदेशी विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा कि इस शैक्षणिक वर्ष तक 15 विदेशी विश्वविद्यालय भारत आएंगे, विशेष रूप से एसटीईएमबी में।
केंद्रीय मंत्री ने विश्वास जताया कि बेंगलुरु में लिवरपूल विश्वविद्यालय का परिसर एक वैश्विक परिसर होगा जो अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाएगा और वैश्विक कल्याण साथ ही समृद्धि में योगदान देने के लिए वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि स्थिरता, स्वास्थ्य और कल्याण तथा समृद्धि आज दुनिया का साझा एजेंडा है और विश्वविद्यालय इसके केंद्र हैं। उन्होंने कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत के साथ भारत वैश्विक एजेंडा को आगे बढ़ाने और वैश्विक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए उपयुक्त स्थान है।
डॉ. विनीत जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि आशय पत्र सौंपा जाना केवल औपचारिकता भर नही है, बल्कि यह भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में चल रहे व्यापक और गहरे परिवर्तन को दर्शाता है। यह रणनीतिक सुधार, अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव और एक मजबूत नीतिगत आधार द्वारा संचालित है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नई शिक्षा नीति 2020 ने भारतीय शिक्षा को अधिक समावेशी, विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और भविष्य के अनुरूप तैयारी के लिए लक्षित सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के परिवर्तनकारी एजेंडे में निहित, अंतर्राष्ट्रीयकरण एक मुख्य प्राथमिकता बन गया है। इसमें वैश्विक संपर्क, उच्च मानकों और संस्थागत लचीलेपन पर जोर दिया गया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल को बेंगलुरु में पहला विदेशी विश्वविद्यालय परिसर खोलने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से औपचारिक स्वीकृति मिल गई है। अगस्त 2026 में स्नातक और स्नातकोत्तर विषयों के पहले समूह के लिए शुरुआत में छात्र व्यवसाय प्रबंधन, लेखा और वित्त, कंप्यूटर विज्ञान और जैव चिकित्सा विज्ञान में कार्यक्रम दाखिला ले सकेंगे। उल्लेखनीय रूप से, यह गेम डिज़ाइन में एक कार्यक्रम भी शुरू करेगा – भारत में ब्रिटिश विश्वविद्यालय परिसर के लिए यह अभिनव विषय पेश करने की एक अनूठी पेशकश है। नया परिसर समृद्ध वैश्विक आदान-प्रदान के अवसर भी पैदा करेगा, जिससे ब्रिटेन के छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के लिए एक रोमांचक नया गंतव्य मिलेगा।
बेंगलुरु परिसर में शोध-केंद्रित माहौल तैयार किया जाएगा। महत्वपूर्ण मौलिक, अनुप्रयुक्त और उद्योग-संचालित शोध बेंगलुरु परिसर पर आधारित होंगे जो वैश्विक और स्थानीय चुनौतियों और जरूरतों की एक श्रृंखला के लिए समाधान प्रदान करेंगे। नियोक्ताओं, सफल पूर्व छात्रों और उद्यम और उद्यमिता गतिविधियों के लिए बेहतर समर्थन के साथ विश्वविद्यालय के सुस्थापित सम्बंध यह सुनिश्चित करेंगे कि छात्रों में सफल करियर या आगे की पढ़ाई के लिए आवश्यक कौशल विकसित हो।
सच्चे अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में यहां भारतीय छात्रों को वैश्विक गतिशीलता योजना तक भी पहुंच प्राप्त होगी। यह लिवरपूल और दुनिया भर में शैक्षणिक, व्यावसायिक और व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण अवसर और सफल होने के लिए आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करेगी। वैश्विक उद्योग मानकों को पूरा करने के लिए तैयार किए गए पाठ्यक्रम और विविध संकाय से पढ़ने वाले छात्र अंतरराष्ट्रीय नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने और वैश्विक कार्यबल में सार्थक योगदान देने के लिए पूरी तैयार होकर स्नातक की डिग्री प्राप्त करेंगे।
कार्यक्रम के दौरान ‘मुक्त व्यापार समझौता और उसके आगे’ तथा ‘एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) की भारत-ब्रिटेन चुनौती’ शीर्षक से दो पैनल चर्चाएं भी आयोजित की गईं।
लिवरपूल विश्वविद्यालय के बारे में
1881 में मूल ‘लाल ईंट’ से स्थापित, लिवरपूल विश्वविद्यालय ब्रिटेन के अग्रणी शोध-गहन उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक है और इसका वार्षिक कारोबार 708.3 मिलियन पाउंड है। दुनिया भर में शीर्ष 175 विश्वविद्यालयों में लगातार शामिल रहने वाला यह ब्रिटेन के अग्रणी शोध विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित रसेल समूह का सदस्य है। देश के सबसे बड़े नागरिक संस्थानों में से एक के रूप में शैक्षणिक विरासत को दर्शाने वाले इस विश्वविद्यालय की पहुंच और प्रभाव वैश्विक हैं।
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