विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 14 अगस्त 2024 को मंकीपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किए जाने को दृष्टि में रखते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने आज यहां मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में मंकीपॉक्स की स्थिति और तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की।
भारत में अब तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पूर्ण रूप से सावधानी बरतने के लिए कुछ विशेष उपाय (जैसे कि सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और ग्राउंड क्रॉसिंग पर स्वास्थ्य इकाइयों को संवेदनशील बनाना; परीक्षण प्रयोगशालाओं (कुल 32) को तैयार करना; किसी भी मामले का पता लगाना, उसे आइसोलेट करना और उसका प्रबंधन करने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को तैयार करना, आदि) किए जाएं।
बैठक में यह बात सामने आई कि मंकीपॉक्स संक्रमण आमतौर पर 2-4 सप्ताह तक चलने वाला स्व-सीमित संक्रमण होता है और रोगी आमतौर पर सहायता संबंधी प्रबंधन से ठीक हो जाते हैं। संक्रमण के लिए संक्रमित व्यक्ति के साथ दीर्घ समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है और यह आमतौर पर यौन मार्ग, शरीर/घाव द्रव के साथ सीधे संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़े/चादर का इस्तेमाल करने से होता है।
डब्ल्यूएचओ ने इससे पूर्व जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया था और बाद में मई 2023 में इसे रद्द कर दिया था। 2022 से वैश्विक स्तर पर डब्ल्यूएचओ ने 116 देशों से मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 लोगों की मृत्यु की सूचना दी है। डब्ल्यूएचओ द्वारा 2022 की घोषणा के बाद से भारत में कुल 30 मामले पाए गए, जिनमें से अंतिम मामला मार्च 2024 में सामने आया।
स्थिति की समीक्षा के लिए 16 अगस्त 2024 को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों से मिलकर एक संयुक्त निगरानी समूह की बैठक आयोजित की गई। बैठक में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम केंद्र (एनवीबीडीसीपी), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीटीई.जीएचएस), केंद्र सरकार के अस्पताल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स आदि के विशेषज्ञों ने भाग लिया। हालांकि आने वाले हफ्तों में कुछ आयातित मामलों का पता चलने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया गया है, लेकिन यह आकलन किया गया कि निरंतर संचरण के साथ बड़े प्रकोप का जोखिम वर्तमान में भारत के लिए कम है।
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