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Union Jal Shakti Minister C.R. Patil inaugurated the 2nd Conference of State Water Ministers on Water Security with the traditional Jal Kalash ceremony
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केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने जल सुरक्षा पर राज्य के जल मंत्रियों के दूसरे सम्मेलन का पारंपरिक जल कलश समारोह के साथ उद्घाटन किया

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की मौजूदगी में जल सुरक्षा पर राज्य के जल मंत्रियों के दूसरे सम्मेलन का पारंपरिक जल कलश समारोह के साथ उद्घाटन किया। उद्घाटन भाषण में केन्द्रीय मंत्री सी आर पाटिल ने 2047 तक विकसित भारत की कल्पना पर जोर दिया, जिसमें जल सुरक्षा इस लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत 2047 तक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) एक प्रमुख उपलब्धि रहा है, जिसके तहत 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया, 60 करोड़ लोगों की आदतों में बदलाव आया, बेहतर स्वच्छता के माध्यम से 3 लाख लोगों की जान बचाई गई और स्वास्थ्य सेवा लागत में 8 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई। सी आर पाटिल ने समुदाय संचालित जल संरक्षण प्रयास, जल संचय जन भागीदारी पर प्रकाश डाला, जिसके कारण पूरे भारत में 1 मिलियन कृत्रिम वर्षा जल संचयन संरचनाएं तैयार की गई हैं। इसके अलावा, “खेत का पानी खेत में” दृष्टिकोण को अपनाते हुए सामुदायिक भागीदारी के तहत 6 लाख से अधिक जल संरक्षण कार्य पूरे किए गए हैं। इस समुदाय संचालित प्रयास के माध्यम से राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में क्रमशः 60000, 1 लाख और 2.29 लाख कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाएं बनाई गई हैं। सी आर पाटिल ने जल शक्ति अभियान – कैच द रेन पहल के बारे में भी बात की, जिसने पारंपरिक जल निकायों को पुनर्जीवित करने और कुशल जल उपयोग पर ध्यान केन्द्रित करते हुए दो चीजों को मिलाने के माध्यम से 1.67 करोड़ से अधिक जल संरक्षण कार्यों को पूरा किया है।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि केन-बेतवा लिंक (एमपी-यूपी) और संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईआरसीपी (एमपी-राजस्थान) जैसी नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाएं भारत के जल परिदृश्य को बदल रही हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई और 62 लाख लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराएगी, जबकि संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईआरसीपी 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई और 50 लाख लोगों के लिए पीने का पानी उपलब्ध कराएगी। केन्द्रीय मंत्री ने जल सुरक्षा के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की कल्पना का भी उल्लेख करते हुए कहा कि नदी जोड़ो परियोजनाओं में पर्याप्त प्रगति हुई है।

अंत में, सी.आर. पाटिल ने इस बात पर जोर दिया कि “जल है तो कल है” – जल सुरक्षा एक मजबूत भविष्य सुनिश्चित करती है। धन संचय महत्वपूर्ण है, लेकिन जल संरक्षण भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि समय हमारे पक्ष में है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत अपने जल भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सही रास्ते पर है।

राज्य के जल मंत्रियों के दूसरे अखिल भारतीय सम्मेलन में भाग लेने वाले मुख्य अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों को राष्ट्रीय जल मिशन (एनएमडब्ल्यू) का शुभंकर ‘पीकू’ स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट किया गया। ‘पीकू’ भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर का प्रतिनिधित्व करता है, जो जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन का प्रतीक है। इस अनोखे स्मृति चिन्ह को उदयपुर और आसपास के क्षेत्रों की आदिवासी महिला कलाकारों ने खूबसूरती से तैयार किया है, जिसमें उनकी पारंपरिक शिल्पकला और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया गया है। यह पहल न केवल स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा देती है बल्कि जल संरक्षण में सार्वजनिक भागीदारी को भी मजबूत करती है। इसके अलावा, यह “जल शक्ति अभियान: नारी शक्ति से जल शक्ति” की विषय वस्तु के अनुरूप है, जो जल संरक्षण प्रयासों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है।

ओडिशा और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों तथा हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्रियों ने सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में अपनी उपस्थिति से इसकी शोभा बढ़ाई।

2047 तक जल सुरक्षा और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रयासों को और मजबूत करने के लिए 18-19 फरवरी 2024 को उदयपुर में अखिल भारतीय राज्य जल मंत्रियों का सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में इन दो दिनों के दौरान केन्द्र और राज्य सरकारों के 30 मंत्री और 300 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे। सम्मेलन में छह विषयों पर लगभग 35 प्रस्तुतियाँ, 5 ई-लॉन्च और प्रमुख हस्तक्षेपों पर प्रकाश डालने वाले 15 वीडियो दिखाए जाएंगे।

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