भारत

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने स्मार्ट नदी प्रबंधन पर चर्चा के लिए एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

’नमामि गंगे’ कार्यक्रम के अंतर्गत देश भर में नदियों के पुनरुद्धार हेतु प्रौद्योगिकी और नवाचारों के उपयोग पर चर्चा के लिए दिल्ली में एक महत्वपूर्ण उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सामान्य रूप से नदियों, विशेषकर छोटी नदियों के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी और नवाचारों के भविष्य पर विस्तृत चर्चा हुई।

केंद्रीय मंत्री पाटिल ने टीमों द्वारा प्रदर्शित सहयोगात्मक भावना, तकनीकी नवाचार और वैज्ञानिक गहराई की सराहना की। उन्होंने इन शोध परिणामों को जमीनी स्तर पर कार्रवाई योग्य बनाने के महत्व पर ज़ोर दिया। “अविरल और निर्मल गंगा” के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, सी.आर. पाटिल ने सभी हितधारकों को इन पहलों के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने और महत्वपूर्ण नदी प्रणालियों में इनका विस्तार करने का निर्देश दिया, जिससे राष्ट्र का भविष्य स्वच्छ, स्वस्थ और जल-सुरक्षित हो सके।

इस अवसर पर, डेनमार्क के सहयोग से विकसित स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (एसएलसीआर) के तत्वावधान में आईआईटी (बीएचयू) और नीदरलैंड के सहयोग से विकसित आईएंडडी-रिवर्स के तत्वावधान में आईआईटी दिल्ली की टीमों ने दो प्रमुख नवाचार पहलों – शहरी नदियों पर केंद्रित आईएंडडी-रिवर्स और वरुणा नदी पर केंद्रित नदी पुनरुद्धार एवं प्रबंधन हेतु निर्णय सहायता प्रणाली – पर विस्तृत प्रस्तुतियां दीं। दोनों संस्थानों ने प्रदर्शित किया कि कैसे उनके शोध और तकनीकी प्रयास सतत नदी संरक्षण के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने में मददगार साबित होंगे।

बैठक के दौरान, वरुणा नदी पर केंद्रित एक निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) के रूप में लघु नदी प्रबंधन उपकरण (एसआरएमटी) की प्रगति प्रस्तुत की गई, जिसे अन्य नदियों और जलग्रहण क्षेत्रों के लिए भी विकसित किया जा सकता है। नीति निर्माताओं के लिए एक वैज्ञानिक और त्वरित प्रतिक्रिया उपकरण के रूप में डिज़ाइन किया गया, एसआरएमटी नदी प्रबंधन हेतु निर्णय सहायता प्रणाली का मूल है। डीएसएस में जनसंख्या पूर्वानुमान, जल मांग और आपूर्ति अनुमान, सीवेज भार विश्लेषण और एसटीपी के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान के लिए उन्नत मॉड्यूल शामिल हैं। डीएसएस के एक डेमो के दौरान, केंद्रीय मंत्री को इसकी मज़बूत लॉगिन सुरक्षा और उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस के बारे में भी जानकारी दी गई—जिसे निर्णयकर्ताओं की प्रभावी सहायता के लिए डिज़ाइन किया गया है।

बैठक में भूजल पुनःपूर्ति की एक आधुनिक रणनीति, प्रबंधित जलभृत पुनर्भरण (एमएआर) पर भी प्रकाश डाला गया। आधार प्रवाह बढ़ाकर नदियों के पुनर्जीवन के लिए वास्तविक समय जल-भूवैज्ञानिक मॉडलिंग का उपयोग करने की योजना साझा की गई। केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटिल ने दो महत्वाकांक्षी परियोजनाओं—वरुणा बेसिन में जल-भूवैज्ञानिक मॉडलिंग और गंगा बेसिन में उभरते प्रदूषकों का फिंगरप्रिंट विश्लेषण—की भी समीक्षा की। दोनों परियोजनाएं फ्लोटेम और एलसी-एचआरएमएस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठा रही हैं, जो नदी प्रदूषण निगरानी और उपचार प्रयासों को एक आधुनिक, वैज्ञानिक बढ़त प्रदान करती हैं।

आईआईटी दिल्ली ने बैठक के दौरान आईएंडडी-रिवर्स पहल के अंतर्गत एक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करने का रोडमैप प्रस्तुत किया। यह पहल राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और नीदरलैंड सरकार के सहयोग से संचालित की जा रही है। केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल को बताया गया कि यह केंद्र न केवल व्यावहारिक अनुसंधान का नेतृत्व करेगा, बल्कि जल क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स के प्रशिक्षण और इनक्यूबेटिंग के लिए एक केंद्र के रूप में भी काम करेगा। विशेष फोकस क्षेत्रों में शहरी नदी प्रबंधन योजनाएं, डिजिटल ट्विन, एआई-आधारित भू-स्थानिक मॉडलिंग, जल गुणवत्ता सुधार और प्लास्टिक जैसे उभरते प्रदूषकों का उपचार शामिल हैं। इस पहल का उद्देश्य नदी संरक्षण के लिए विज्ञान और नवाचार के नए आयाम खोलना है।

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