केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने श्रम शक्ति भवन, नई दिल्ली में ‘जल शक्ति हैकाथॉन-2025’ और भारत-विन पोर्टल का शुभारंभ किया। यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण और भारत के जल क्षेत्र में वैज्ञानिक एवं तकनीकी समाधानों को मज़बूत करने के लिए उनके ‘जल विज़न@2047’ पर ज़ोर के अनुरूप है।
सी.आर. पाटिल ने कहा कि उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जल शक्ति हैकाथॉन-2025 महज एक प्रतियोगिता नहीं है बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन है। इसे भारत के लिए एक सुरक्षित, समावेशी और प्रौद्योगिकी-संचालित जल भविष्य के निर्माण हेतु देश की सामूहिक प्रतिभा को जुटाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
राष्ट्रीय भागीदारी के लिए एक सार्वजनिक भलाई
हैकाथॉन का उद्देश्य जल क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है। इसे सभी हितधारकों के लिए एक वास्तविक सार्वजनिक हित बनाना है। यह समग्र सरकार और समग्र समाज (जनभागीदारी) दृष्टिकोण अपनाता है, जिससे नागरिकों, शोधकर्ताओं, उद्योगों और नवप्रवर्तकों की व्यापक भागीदारी संभव हो सके।
https://bharatwin.mowr.gov.in पर उपलब्ध यह पोर्टल राष्ट्रीय मंच भारत-विन (जल नवाचार नेटवर्क) का हिस्सा है। इसका उद्देश्य जमीनी स्तर की जल चुनौतियों के लिए व्यावहारिक, मापनीय और क्षेत्र-तैयार समाधानों को बढ़ावा देना है। इनमें खेत-स्तर पर जल संरक्षण, ग्रामीण जल गुणवत्ता, स्मार्ट निगरानी, पारंपरिक जल व्यवस्थाओं का पुनरुद्धार, बाढ़ और सूखा प्रबंधन शामिल हैं।
यह पहल जल-क्षेत्र अनुसंधान के दायरे को सीमित संस्थानों से आगे बढ़ाती है। यह स्टार्टअप, एमएसएमई, उद्योग, वैज्ञानिक, शिक्षा, प्रयोगशालाएं, इनक्यूबेटर, युवा इनोवेटर, ग्रामीण और महिला युवा, निजी क्षेत्र और वैश्विक संस्थानों सहित हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला की भागीदारी सुनिश्चित करती है।
प्रमुख विशेषताऐं
‘जल क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय जल मिशन का कार्यान्वयन’ योजना के अंतर्गत, जल संसाधन विभाग, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय चयनित नवाचारों के लिए अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे।
हैकाथॉन विजेताओं को प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट (पीओसी) विकसित करने के लिए 1 लाख रुपये का अनुदान मिलेगा। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में जल संसाधन प्रबंधन, अपशिष्ट जल उपचार, जल-उपयोग दक्षता, सर्कुलर अर्थव्यवस्था, जलवायु लचीलापन, आईओटी और स्मार्ट वाटर ग्रिड, सटीक कृषि, वर्षा जल संचयन, नदी-बेसिन और बाढ़ प्रबंधन, और जल विज्ञान मॉडलिंग आदि शामिल हैं।
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच), रुड़की को प्रस्तुत प्रस्तावों की जांच करने तथा जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव के अनुमोदन हेतु परियोजना कार्यान्वयन एजेंसी (पीआईए) के रूप में नामित किया गया है।
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