केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शीघ्र संचालित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का निरीक्षण करने के लिए मोरमुगाओ बंदरगाह का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने नए टर्मिनल भवन के निर्माण स्थल का दौरा किया और नौका सवारी के साथ बंदरगाह की अत्याधुनिक सुविधाओं के बारे में भी जानकारी ली। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के तहत, केन्द्रीय मंत्री ने मोरमुगाओ बंदरगाह के परिसर में एक पौधा भी लगाया।
सर्बानंद सोनोवाल ने कल गोवा में होने वाली 20वीं समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) की बैठक के बारे में मीडिया को जानकारी दी।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, बंदरगाह पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय भारत के समुद्री क्षेत्र के रूपांतरण के लिए सागरमाला के तहत गोवा में 24,000 करोड़ रूपए की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को आगे बढ़ा रहा है। समुद्री राज्य विकास परिषद इन पहलों की प्रगति की समीक्षा करेगी, जिसमें समुद्री भारत विजन 2030 और अमृत काल विजन 2047 शामिल हैं, क्योंकि हम अपने भविष्य के लक्ष्यों के साथ तालमेल स्थापित करते हैं। तटीय राज्यों के सभी हितधारकों को एक साथ लाकर, बंदरगाह पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय का लक्ष्य विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा बनाना है।”
सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “मोरमुगाओ बंदरगाह पर नए क्रूज टर्मिनल के साथ, हम उत्कृष्टता के लिए एक मानक स्थापित कर रहे हैं, जिसका लक्ष्य ऐसी सुविधाएं प्रदान करना है जो हमें 2030 तक 15 लाख क्रूज पर्यटकों के हमारे लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगी।”
उल्लेखनीय है कि सर्बानंद सोनोवाल, 12 और 13 सितंबर 2024 को गोवा में होने वाली समुद्री राज्य विकास परिषद (एमसीडीसी) की 20वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम तटीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों, वरिष्ठ मंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को एक साथ लाएगा। इसमें सभी नौ तटीय राज्यों, चार केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
भारत के समुद्री भविष्य के लिए 20वीं एमएसडीसी बैठक में कई प्रमुख समुद्री पहलों पर चर्चा की जाएगी। इसका प्राथमिक उद्देश्य सागरमाला कार्यक्रम की समीक्षा, इसकी प्रगति का आकलन और बंदरगाह-आधारित विकास को आगे बढ़ाने के लिए भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा तैयार करना होगा। गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) पर भी रणनीतिक चर्चा होगी, जिसमें भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास को संरक्षित करने और इसे प्रदर्शित करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला जाएगा। देश के अंतर्देशीय जलमार्ग नेटवर्क का विकास एक अन्य प्रमुख विषय होगा, जिसमें कार्गो और यात्री परिवहन को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जाएगा।
बैठक में बंदरगाहों तक सड़क और रेल संपर्क में सुधार करने, माल और यात्रियों की सुगम आवाजाही की सुविधा प्रदान करने पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इसमें केरल समुद्री बोर्ड की ड्रेजिंग (तलमार्जन) गतिविधियों के मुद्रीकरण की रणनीति, गुजरात समुद्री बोर्ड की बंदरगाह गतिविधियों से जुड़ी शहरी विकास परियोजनाएं और समुद्री विकास के लिए आंध्र प्रदेश समुद्री बोर्ड के व्यापक मास्टर प्लान सहित अभिनव राज्य-नेतृत्व वाली पहलों का भी प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें पर्यावरणीय स्थिरता एक प्रमुख विषय होगा, जिसमें गंदे माल (डर्टी कार्गो) की हैंडलिंग पर अंकुश लगाकर गोवा बंदरगाह पर प्रदूषण को कम करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह पहल स्वच्छ, अधिक टिकाऊ बंदरगाह संचालन को बढ़ावा देने, पर्यटकों और निवासियों के लिए एक गंतव्य के रूप में गोवा की इस अपील को बढ़ाने के व्यापक प्रयासों के साथ श्रेणीबद्ध होगा।
इसके अलावा, प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों की अनुपालन स्थिति, जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत उद्योगों को बढ़ावा देने की रणनीतिक योजनाओं, सागरकलान दिशानिर्देशों की समीक्षा और भारत में बंदरगाह रैंकिंग प्रणाली में सुधार पर चर्चा की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 1997 में स्थापित एमएसडीसी भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए शीर्ष सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य राज्य सरकारों के साथ नजदीकी तालमेल स्थापित कर प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के एकीकृत विकास को बढ़ावा देना है। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता वाली इस परिषद में सभी समुद्री राज्यों के बंदरगाहों के संबद्ध मंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक और नौसेना, तटरक्षक और अन्य एजेंसियों के प्रतिनिधियों सहित प्रमुख हितधारक शामिल हैं।
यह महत्वपूर्ण बैठक भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने, बंदरगाह संपर्क और समुद्री क्षेत्र के लिए सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। प्रमुख बंदरगाहों के साथ छोटे बंदरगाहों का एकीकरण और सड़कों, रेलवे एवं अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) के लिए नए प्रस्ताव एक मजबूत समुद्री अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
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