केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मध्य प्रदेश के रायसेन (सांची) में ‘नक्शा’ (NAKSHA) कार्यक्रम का शुभारंभ किया
केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मध्य प्रदेश के रायसेन (सांची) में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित शहरी पर्यावास भू-सर्वेक्षण (National geospatial Knowledge-based land Survey of urban Habitations)-‘नक्शा’ (NAKSHA) कार्यक्रम का शुभारंभ किया। भू-सूचना के माध्यम से भूमि प्रबंधन में सटीकता व पारदर्शिता के लिए इस सिटी सर्वे प्रोग्राम के शुभारंभ अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव तथा केंद्रीय ग्रामीण विकास व संचार राज्य मंत्री डा. चंद्रशेखर पेम्मासानी सहित मध्य प्रदेश के मंत्री व अन्य जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित थे। साथ ही, इस मौके पर मिट्टी-जल संरक्षण के लिए जन-जागरूकता हेतु मध्य प्रदेश में वाटरशेड यात्रा को शिवराज सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज यहां जो कार्यक्रम हो रहा है यह केवल रायसेन और प्रदेश का कार्यक्रम नहीं है। यह पूरे देश का कार्यक्रम है। आज रायसेन से पूरे भारत में 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 152 शहरी स्थानीय निकायों में शहरी भूमि सर्वेक्षण ”नक्शा” पायलट कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से कहा कि शहरी क्षेत्रों में ड्रोन से सर्वे होगा और नक्शा बनाकर भूमि स्वामी को दिया जाएगा। नक्शा नहीं होने से कई परेशानियां होती हैं। अब नागरिकों के पास उनकी जमीन का व्यवस्थित रिकार्ड होगा, यह एक क्रांति है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुई है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि ‘नक्शा’ कार्यक्रम का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड बनाना, अपडेट करना है ताकि भूमि स्वामित्व का सटीक- विश्वसनीय दस्तावेजीकरण सुनिश्चित किया जा सके। ये कदम शहरी नागरिकों को सशक्त बनाकर संपत्ति के निर्धारण प्रणाली में क्रांति लाने वाला है। इस कार्यक्रम का मतलब है आपके घर का परफेक्ट नक्शा। आपके पास आपकी जमीन का व्यवस्थित डिजिटल रिकॉर्ड होगा। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लैंड रिकॉर्ड अपडेट करना एक क्रांति है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हो रही है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वाटरशेड यात्रा आज पूरे मध्य प्रदेश में प्रारंभ हो रही है। जल जीवन का आधार है, जल और जमीन से ही हमारी जिंदगी है। उन्होंने बताया कि गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में रोकने के लिए यह वाटरशेड योजना बनाई गई है। उन्होंने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के लिए जनता की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस परियोजना से रायसेन, विदिशा सहित अन्य जिलों को फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि जहां आवश्यकता होगी वहां जल संरचनाएं बनाकर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। शिवराज सिंह चौहान ने उनके मुख्यमंत्रित्व काल में प्रारंभ की गई व देशभर में अत्यंत लोकप्रिय हुई लाड़ली बहना योजना के बारे में कहा कि मध्य प्रदेश में लाड़ली बहना योजना जारी रहेगी लेकिन बहनों को केवल लाड़ली बहना नहीं रहना है,अब लखपति दीदी भी बनना है। तीन करोड़ लखपति दीदी बनाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक योजना बनाई है कि अगर आलू, प्याज, टमाटर जैसे उत्पाद, किसान महानगरों में ले जाकर बेचना चाहें तो ट्रांसपोर्टेशन का खर्च राज्य और केंद्र सरकार वहन करेगी। उन्होंने कहा कि तुअर, मसूर व उड़द जितनी भी पैदा होगी, पूरी की पूरी एमएसपी पर खरीदी जाएगी। किसानों की भलाई व कल्याण में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। शिवराज सिंह ने कहा कि हर गरीब को पक्का आवास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है। मध्य प्रदेश के गरीबों के लिए भारत सरकार का खजाना खुला है, हम गरीबों के कल्याण के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास तथा संचार राज्यमंत्री डॉ चन्द्रशेखर पेम्मासानी ने कहा कि देश की प्रगति स्पष्टता से शुरू होती है। विजन में स्पष्टता, गर्वनेन्स में स्पष्टता और भूमि स्वामित्व में भी स्पष्टता। शहरी क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व में स्पष्टता नहीं होने से विकास बाधित हुआ। व्यापार को आर्थिक बाधाएं दीं, परिवारों में झगड़ें पैदा किए, सालों तक अतिक्रमण बढ़ गए और विकास के प्रोजेक्ट रूके रह गए। यह सिर्फ शासन की समस्या नहीं करोड़ों लोगों के सपनों और आशाओं में बाधक है। आज ऐतिहासिक कदम ले रहे हैं! नक्शा केवल योजना नहीं, यह शहरी भारत के लिए परिवर्तन है। प्रधानमंत्री मोदी और केन्द्रीय कृषि मंत्री चौहान के नेतृत्व में हमारी सरकार प्रतिबद्ध है कि हर शहर, हर कॉलोनी और हर घर को सुरक्षित और पारदर्शी भूमि स्वामित्व मिले। नक्शा योजना में आधुनिक तकनीक के साथ में शहर सुरक्षित और व्यवस्थित होंगे। ड्रोन सर्वे के माध्यम से नक्शा बनाया जाएगा और हर रहवासी को उसकी भूमि के स्वामित्व का व्यवस्थित नक्शा और दस्तावेज मिलेगा। नागरिकों का भरोसा बढ़ेगा कि उनका घर, दुकान, भूमि सुरक्षित है।
नक्शा कार्यक्रम- अ.भा. ऋण व निवेश सर्वेक्षण-2019 (एनएसएसओ) के अनुसार, भारत में 90% संपत्तियां भूमि व भवन के रूप में हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि अधीनस्थ न्यायालयों में निजी विवादों का दो तिहाई हिस्सा भूमि व भवन से संबंधित हैं, जिसका मुख्य कारण भूमि रिकॉर्ड का अद्यतन न होना है। इसके अतिरिक्त, भूमि रिकॉर्ड के अद्यतन न होने के कारण शहरी नियोजन और भूमि प्रबंधन प्रभावी नहीं होते हैं, केंद्र व राज्यों की विभिन्न योजनाओं व सार्वजनिक सेवा वितरण की प्रभावशीलता व दक्षता कम होती है एवं सरकारी योजनाओं एवं सेवाओं के लाभ को संपत्ति के सही लाभार्थी को पहुंचाने में कठिनाई होती है। कुल मिलाकर, देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 1.3 प्रतिशत की हानि होती है। भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने की भारत सरकार की संकल्पना को, अद्यतन और भू-स्थानिक दृष्टि से स्पष्ट भू-रिकॉर्ड एवं सुदृढ़ भूमि प्रबंधन प्रणाली के बिना साकार नहीं किया जा सकता है। म.प्र. सरकार ग्रामीण एवं शहरी भूमि-अभिलेख प्रशासन तथा ग्रामीण विकास संबंधी सुधारों में अग्रणी रही है। यहां संपदा 2.0 के माध्यम से संपत्ति दस्तावेज़ पंजीकरण प्रक्रिया को डिजिटल बना दिया गया है, जिससे प्रक्रिया परेशानीमुक्त व कागजरहित हो गई है। अब संपत्ति लेन-देन दस्तावेजों के पंजीयन के लिए उप-पंजीयक कार्यालय जाने की भी आवश्यकता नहीं है। प्रदेश में भूमि अभिलेखों में नामान्तरण के अविवादित मामलों के निपटारे की प्रक्रिया साइबर तहसील के माध्यम से, प्रारंभ से अंत तक पेपरलेस, फेसलेस और ऑनलाइन है। सूचना व संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए क्रन्तिकारी विकास का लाभ उठाते हुए, केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम लागू किया। भूमि संसाधन विभाग व राज्य सरकारों के ठोस प्रयासों से अब तक 6.29 लाख गांवों में भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण, 13.58 लाख मानचित्रों का डिजिटलीकरण एवं 5229 सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों के कम्प्यूटरीकरण का कार्य पूर्ण हो चुका है व लगभग 29 करोड़ विशिष्ट भू-खंड पहचान संख्या (भू-आधार) बनाए जा चुके हैं।
वाटरशेड यात्रा- मिट्टी व पानी जीवन के मूल आधार तत्व हैं और ये दोनों कृषि, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए आवश्यक हैं। भूमि संसाधन विभाग द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड विकास घटक को वर्ष 2021-2026 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 8136 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन के माध्यम से वर्षा सिंचित या अवक्रमित भूमि की उत्पादन क्षमता में सुधार लाना है। इस योजना से अब तक 11.52 लाख किसानों को लाभ मिल चुका है। वाटरशेड विकास घटक योजना अंतर्गत कई प्रकार की संरचनाओं, जैसे चेक डैम, परकोलेशन टैंक, एनीकट और खेत तालाब का निर्माण किया जा रहा है जो मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करने के साथ साथ जल संचयन, भूजल पुनर्भरण, सतही जल की उपलब्धता और सतत कृषि को भी बढ़ावा देती हैं। इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग की देश में ‘वाटरशेड यात्रा’ के रूप में विशेष अभियान की शुरूआत की है। देशभर में यह यात्रा 60-90 दिनों तक 26 राज्यों एवं 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 800 परियोजना क्षेत्रों से निकलेगी। मध्य प्रदेश में वाटरशेड यात्रा 37 जिलों के 400 से ज्यादा गांवों से होकर गुजरेगी। वाटरशेड यात्रा के दौरान आम जनता में मृदा एवं जल संरक्षण के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए नए कार्यो का भूमिपूजन, पूर्ण किए गए कार्यों का लोकार्पण, वाटेरशेड महोत्सव, वाटरशेड की पंचायत, उल्लेखनीय कार्य करने वाले मार्गदर्शकों का सम्मान, श्रमदान एवं भूमि और जल संरक्षण शपथ आदि गतिविधियां सम्मिलित हैं।
कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री नारायण सिंह पंवार व नरेंद्र शिवाजी पटेल, सांसद दर्शन सिंह चौधरी, सांची के विधायक प्रभुराम चौधरी, भोजपुर के विधायक सुरेंद्र पटवा सहित अन्य जनप्रतिनिधि- वरिष्ठ नेता रामपाल सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष बबलू, राकेश शर्मा, सविता सेन केंद्रीय भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी तथा केंद्र व राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।