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Union Minister Shobha Karandlaje inaugurates regional conference on employment generation and labour reforms in Guwahati
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केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने गुवाहाटी में रोजगार सृजन और श्रम सुधारों पर क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, शोभा करंदलाजे ने आज गुवाहाटी में आठ पूर्वोत्तर राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के साथ क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा निर्धारित सहकारी संघवाद की भावना से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ छह क्षेत्रीय बैठकों की श्रृंखला में छठी क्षेत्रीय कार्यशाला है।

बैठक में श्रम सुधारों, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना, ई-श्रम-वन स्टॉप सॉल्यूशन और भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक (बीओसीडब्ल्यू), गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन और आंकड़े साझा करने के बारे में चर्चाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।

अपने संबोधन में, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, शोभा करंदलाजे ने श्रम सुधारों के सफल कार्यान्वयन में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने, बीओसी वर्कर्स के लिए कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के लिए व प्रवासी श्रमिको को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सेस का उपयोग करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह महत्वपूर्ण है कि कोड के तहत प्रदेश में लागू नियमों में गैप और विचलन को दूर किया जाए और सहयोगी तरीके से आगे का रास्ता तैयार किया जाए। उन्होंने सभी भाग लेने वाले राज्यों को श्रम सुधारों में बताए गए समग्र दृष्टिकोण के साथ अपने नियमों को अनुकूल बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव, सुमिता दावरा ने बैठक का संदर्भ देते हुए श्रम क्षेत्र में सुधार के लिए ‘ सरकारके समग्र’ दृष्टिकोण को अपनाने के महत्व को दोहराया। उन्होंने राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के नियमों को श्रम संहिताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने और रोजगार सृजन के आंकड़ों को जुटाने और साझा करने के लिए प्रभावी प्रणालियाँ स्थापित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कर्मचारियों के बीच वित्तीय साक्षरता के पहलू के साथ-साथ राज्यों में रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना को लोकप्रिय बनाने पर भी जोर दिया।

सुमिता दावरा ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि अनुपालन में आसानी के लिए और किसी भी भ्रम को दूर करने के लिए राज्यों में नियमों की एकरूपता और सामंजस्य महत्वपूर्ण है और इससे अंततः नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों को उनके अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट रूप से समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि चल रहे श्रम सुधारों को लागू करने के लिए राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा अधिक सहयोग और व्यापक परामर्शी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

राज्यों से अनुरोध किया गया था कि वे ई-श्रम पोर्टल को वन-स्टॉप-सॉल्यूशन के रूप में विकसित करने और समय पर व नियमित रूप से रोजगार रिटर्न अपडेट करने के लिए अति आवश्यक टू-वे एकीकरण प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएँ। बीओसीडब्ल्यू के लिए प्रमुख बिंदुओं में कल्याण कवरेज का विस्तार, ऑडिट सुनिश्चित करना और पंजीकरण को बढ़ाने और केंद्र सरकार की जरूरी कल्याणकारी योजनाओं की पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए ई-श्रम के साथ डेटा को एकीकृत करना शामिल था।

रोजगार सृजन, रोजगार कार्यालयों के आधुनिकीकरण, शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी और उद्योगों के साथ सहयोग पर चर्चा की गई। बुनियादी ढांचे के अधिकतम उपयोग के माध्यम से ईएसआईसी सेवाओं में सुधार, राज्य ईएसआईसी सोसायटी का गठन और फंड फ्लो को सुव्यवस्थित करने पर भी जोर दिया गया। ईपीएफओ और ईएसआईसी के क्षेत्रीय कार्यालयों को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और नियोक्ताओं के साथ लंबित मुद्दों को हल करने के लिए नियमित बैठकें करने के लिए कहा गया।

राज्यों और श्रम और रोजगार मंत्रालय, ईपीएफओ और ईएसआईसी के अधिकारियों के बीच व्यापक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किए गए, जिसमें विभिन्न राज्यों के मुद्दों पर चर्चा की गई, प्रश्नों का समाधान किया गया और भविष्य की कार्रवाइयों के लिए सुझाव नोट किए गए।

विभिन्न राज्यों से सर्वोत्तम प्रथाओं को भी साझा किया गया। असम और सिक्किम के श्रम सचिवों ने क्रमशः बीओसी श्रमिकों के लिए विकसित पोर्टल और मोबाइल ऐप का प्रदर्शन दिया।

यह बैठक पूर्वोत्तर राज्यों और भारत सरकार के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने, रोजगार सृजन के लिए नए रास्ते खोलने और श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

अलोक चंद्रा, वरिष्ठ श्रम और रोजगार सलाहकार ने राज्यों के प्रतिनिधियों को उनकी इंटरैक्टिव भागीदारी और क्षेत्रीय बैठक के सफल आयोजन के लिए असम राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए गए सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। क्षेत्रीय कार्यशाला में दिए गए सुझाव भविष्य की साझेदारियों और पहलों के लिए आधार तैयार करते हैं जो हितधारकों को लाभान्वित करेंगे।

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