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वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश

संयुक्त संसदीय समिति द्वारा रिपोर्ट किया वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025, आज विचार और पारित करने के लिए लोकसभा में पेश किया गया। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक का मुसलमानों की धार्मिक प्रथाओं से कोई लेना-देना नहीं है। उन्‍होंने कहा कि यह केवल वक्फ बोर्डों से संबंधित संपत्तियों से जुड़ा है।

गवर्मेंट किसी भी धार्मिक व्‍यवस्‍था को, किसी भी रिलीजियस इंस्‍टीट्यूशन कोई धार्मिक काम में हस्‍तक्षेप करने नहीं जा रही है, ना ही वक्‍फ बोर्ड किसी धार्मिक स्‍थापित व्‍यवस्‍था में कोई भी तरीके से हाथ डालने का प्रावधान है। बिलकुल नहीं है, ये वक्‍फ बोर्ड का जो प्रावधान किसी मस्जिद, किसी मंदिर, किसी धार्मिक स्‍थल का व्‍यवस्‍था का कोई लेना-देना नहीं है। ये सिंपली एक प्रॉपटी का मैनेजमेंट का व्‍यवस्‍था है।

किरेन रिजिजू ने कहा कि यह कानून मस्जिद के प्रबंधन के लिए नहीं है। किरेन रिजिजू ने कहा कि मौजूदा विधेयक के अनुसार, वक्फ बोर्ड में विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों, महिलाओं और गैर-मुस्लिमों और अन्य लोगों का प्रतिनिधित्व होगा। उन्होंने विपक्ष पर विधेयक को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति के साथ-साथ सरकार ने भी कानून बनाते समय हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श किया था।

कुल मिलाकर के 97 लाख 27 थाउजेंड 772 याचिकाएं, ऑनलाइन, फिजिकल मेमोरेंडम के रूप में रिक्‍वेस्‍ट के रूप में और सुझाव के रूप में पूरे तरह से सरकार ने देखा है वो जेपीसी के माध्‍यम से हो या डाइरेक्‍ट दिया हो हमने सब उसको देखा है इससे बड़ा कभी भी इससे ज्‍यादा संख्‍या में किसी भी बिल के ऊपर में लोगों का याचिकाएं नहीं आया आज तक। कुल मिला कर के 284 डेलिगेशन में अलग-अलग समुदाय के जो स्‍टेक होल्‍डर्स हैं उन्‍होंने कमेटी के सामने में अपने बात को रखा है सुझाव भी दिया है।

चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के गौरव गोगोई ने सरकार पर यह विधेयक लाकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि यह विधेयक संविधान के खिलाफ है।

ये बिल आज इस संविधान के इस जो मूल जो ढांचा है उस पर आक्रमण है और इनकी जो पूरा जो भाषण था वो हमारे संविधान के इस मौलिक अधिकार पर हमारे संघीय ढांचा था एक आक्रमण था।

विधेयक पर चर्चा जारी है।

इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा विस्तृत विचार-विमर्श के बाद लाया गया है और इसे मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।

भारत सरकार की कैबिनेट में इस बारे में एक बिल अप्रूव कर कर सदन के सामने रखा। आपके द्वारा ये बिल ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को दिया जिसका विपक्ष का भी बड़ा आग्रह। कमेटी ने इस पर सुविचारित रूप से अपना मत प्रकट किया। वो जो मत प्रकट हुआ वो मत फिर से कैबिनेट के सामने गया। कमेटी के जो सुझाव थे वो भारत सरकार की कैबिनेट ने स्‍वीकार किए और एमिंडमेंट के रूप में किरेन रिजिजू जी लेकर आए।

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