केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “राष्ट्रीय राजमार्ग हमारी राष्ट्रीय संपत्ति हैं और हमने उनकी गुणवत्ता और सुरक्षा बढ़ाने पर बहुत ज़ोर दिया है। हमने निर्माण की गुणवत्ता बढ़ाने और हमारी प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ठेकेदारों की ज़िम्मेदारी तय करने के उपाय किए हैं।”
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा नई दिल्ली में गुरुवार को आयोजित हितधारक परामर्श कार्यशाला को संबोधित करते हुए, नितिन गडकरी ने कहा, “प्रौद्योगिकी एक महान सक्षमकर्ता है और स्वचालित और कुशल मशीन-सहायता प्राप्त निर्माण को अपनाना सही दिशा में एक कदम है। हमने लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे पायलट परियोजना में सफलता हासिल की है और जल्द ही हम इस तकनीक को अन्य परियोजनाओं में भी लागू करेंगे।”
सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा अपने संबोधन में ने कहा, “भारत ने विश्व स्तरीय सड़कों और राजमार्गों के विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे हमारे बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस परिवर्तन में प्रत्येक हितधारक की महत्वपूर्ण भूमिका है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, सेंसर, उपग्रह और वास्तविक समय की निगरानी जैसी उन्नत तकनीक का लाभ उठाना प्रगति को गति देने के लिए महत्वपूर्ण होगा। निरंतर तकनीकी प्रगति के साथ हम भारत के सड़क बुनियादी ढांचे को दृष्टिकोण 2047 के साथ संरेखित करने और हमारे राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को विश्व स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव वी. उमाशंकर ने कहा, “आज हम जो सड़कें और राजमार्ग बना रहे हैं, वे आने वाले कई वर्षों तक हमारे देश की सेवा करेंगे। इसलिए, निर्माण का समय और गुणवत्ता दो महत्वपूर्ण मापदंड हैं जिन पर हम ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। संघनन सड़क निर्माण के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है और आज उपलब्ध तकनीक हमें संघनन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाती है। मुझे यकीन है कि इस कार्यशाला में विचार-विमर्श से महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी जो हमें राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण को बढ़ाने के लिए एआईएमसी तकनीक को अपनाने में सहायता करेगी।”
एनएचएआई के सदस्य (प्रशासन) विशाल चौहान ने अपने स्वागत भाषण में इस बात पर जोर दिया कि इस हितधारक परामर्श कार्यशाला से प्राप्त इनपुट एआई-एमसी प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके पारंपरिक एनएच निर्माण विधियों को डेटा-संचालित दृष्टिकोण में बदलने में योगदान देंगे। साथ ही, एनएचएआई के सदस्य (परियोजनाएं) अनिल चौधरी ने कार्यशाला के दौरान आयोजित हितधारक परामर्श पर संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की।
‘स्वचालित और कुशल मशीन-सहायता प्राप्त निर्माण’ (एआईएमसी) प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण कौशल को बढ़ाने के लिए, एनएचएआई ने परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य ‘राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में स्वचालित और कुशल मशीन-सहायता प्राप्त निर्माण (एआईएमसी) को अपनाने’ के लिए हाल ही में जारी मसौदा नीति को बढ़ाने के लिए विचार-विमर्श करना और सुझाव देना था।
हाल ही में, एनएचएआई लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे पर एआईएमसी की पायलट परियोजना को सफलतापूर्वक लागू कर रहा है, जिसमें जीपीएस से सहायता प्राप्त मोटर ग्रेडर, इंटेलिजेंट कॉम्पैक्टर और स्ट्रिंगलेस पेवर जैसी स्वचालित और कुशल मशीनों का उपयोग किया गया है। इस परियोजना में प्रदर्शित एआईएमसी की प्रभावकारिता के मूल्यांकन के आधार पर, परियोजना हितधारकों से फीडबैक के साथ और अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों/विनिर्देशों पर विचार करते हुए, एनएचएआई कुछ और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे/एक्सेस-कंट्रोल्ड कॉरिडोर परियोजनाओं के निर्माण के लिए एआईएमसी को लागू करेगा।
मसौदा नीति देश भर में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास को बदलने में स्वचालित और कुशल मशीन-सहायता प्राप्त निर्माण के विभिन्न पहलुओं और क्षमताओं को रेखांकित करती है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, एनएचएआई, एनएचआईडीसीएल, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, रियायतदाताओं, परामर्शदाताओं, मशीन उपकरण निर्माताओं और अन्य हितधारकों के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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