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AYUSH Ministry organizes sensitization program for insurance companies and AYUSH hospital owners
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आयुष मंत्रालय ने बीमा कंपनियों और आयुष अस्पताल के मालिकों के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किया

आयुष उपचार अंतिम छोर के रोगी को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, बीमा कंपनियों और आयुष अस्पताल के मालिकों के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित संवेदीकरण कार्यक्रम में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में आयुष उपचार को मुख्यधारा में लाने के लिए आवश्यक नियामक ढांचे और नीतिगत समर्थन पर चर्चा करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में हितधारक एकत्र हुए।

आयुष उपचार को 01 अप्रैल, 2024 से प्रभावी स्वास्थ्य बीमा कवर के अंतर्गत लाने के लिए हाल ही में बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के निर्देशों और आयुष अस्पतालों व स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और बीमा क्षेत्र के हितधारकों के बीच गहरी समझ बनाने की आवश्यकता तथा नागरिकों के लिए सस्ती आयुष स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के कारण बैठक आवश्यक हो गई थी।

सभा को संबोधित करते हुए, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “इसका उद्देश्य आयुष उपचारों तक सभी की आसान पहुंच सुनिश्चित करना है। डीजीएचएस और आयुष (एसटीजी) द्वारा मानक उपचार दिशानिर्देशों के संयुक्त प्रकाशन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली गई है, जो भारत में अपनी तरह का पहला एकीकरण है। इसका उद्देश्य आयुष उपचार तक सभी की आसान पहुंच सुनिश्चित करना है। सभी तक पहुंच पर ध्यान इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ जुड़ा हुआ है, पिछले दशक में आयुष उत्पादों के निर्माण में आठ गुना वृद्धि हुई है।”

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) की निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी ने कहा, “हम आयुष उपचार को मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली से जोड़ने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं। बीमा कंपनियों के साथ हमारा सहयोग टीपीए नेटवर्क के माध्यम से आयुष सेवाओं तक कैशलेस पहुंच को सक्षम करने पर केन्‍द्रित है। आज की बैठक इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमें आयुष उपचार को सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाने के हमारे दृष्टिकोण को साकार करने के करीब लाती है।”

आयुष अस्पतालों के लिए अलग रजिस्ट्री की आवश्यकता के बारे में, आयुष मंत्रालय के बीमा विशेषज्ञों के कोर समूह के अध्यक्ष प्रोफेसर बेजोन कुमार मिश्रा ने कहा, “एक प्रमुख सिफारिश आयुष एचसीओ पैनल को बढ़ावा देना और आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित मानक उपचार दिशानिर्देशों (एसटीजी), आईसीडी-टीएम2 कोड को अपनाना और प्रमुख समितियों में आयुष प्रतिनिधित्व बढ़ाना है।”

अपोलो आयुर्वेद हॉस्पिटल्स के एमडी और सीईओ राजीव वासुदेवन ने आयुष हॉस्पिटल्स के नजरिए से बीमा क्षेत्र में आयुष के विस्तार के बारे में कहा, “मौजूदा बीमा सेवाएं काफी हद तक सर्जिकल और आपातकालीन सेवाओं पर केन्‍द्रित हैं, लेकिन दो-तिहाई क्षेत्र इसी का है। दीर्घकालिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता है। सवाल यह है कि लंबे समय से चली आ रही समस्याओं, बार-बार होने वाली ऑटोइम्यून बीमारियों, न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों वाले मरीज क्या करें? अब समय आ गया है जब रोग के लक्षणों से राहत से लेकर बीमारी के मूल कारण की पहचान करने और उस पर काम किया जाए। गंभीर और जटिल बीमारियों वाले लोगों में पीड़ा को कम करने वाली देखभाल और आखिरी सांस गिन रहे लोगों की देखभाल के मामले में भी आयुष उपचार अत्यधिक प्रभावी होंगे।”

बेजोन कुमार मिश्रा ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि जनरल इंश्योरेंस काउंसिल अपने 39 सामान्य बीमा, स्टैंडअलोन स्वास्थ्य बीमा, पुनर्बीमा और विशेष बीमा कंपनियों की ओर से श्वेत पत्र प्रकाशित करने में एक अभिन्न घटक के रूप में नेतृत्व प्रदान करेगी।”

इस कार्यक्रम में कई हितधारकों ने बीमा क्षेत्र और आयुष अस्पतालों दोनों से अपनी संभावना बताई, जिसमें आयुष क्षेत्र में बीमा कवरेज, मानक उपचार दिशानिर्देश और बीमा क्षेत्र में आयुष की पैठ और रोहिणी मंच पर आयुष अस्पतालों को शामिल करना व बीमा कवरेज के लिए पैनल में शामिल करना, शामिल था।

आयुष मंत्रालय के सलाहकार ने कहा, “आयुष मंत्रालय डॉ. कौस्तुभ उपाध्याय ने अक्टूबर 2023 में बीमा क्षेत्र के लिए विशेषज्ञों का एक कोर समूह गठित किया है, जिसका उद्देश्य आयुष क्षेत्र में बीमा से संबंधित मामलों की सलाह देना व निगरानी करना और स्वास्थ्य बीमा के तहत आयुष प्रणाली की वर्तमान स्थिति का अध्ययन करना और एक श्वेत पत्र तैयार करना है”।

उन्होंने कहा, आयुष मंत्रालय और एनएचए आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) में आयुष से जुड़े प्रयासों को शामिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक में उप महानिदेशक (आयुष) आयुष वर्टिकल डॉ. ए. रघु ने कहा, “एक फ्लैट रेट तैयार करने की आवश्यकता है क्योंकि आयुष उपचार के लिए लंबे समय की आवश्यकता होती है और इसे रोग बल (रोग शक्ति) और रोगी बल (मरीज की ताकत) के आधार पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए।” उन्होंने प्रत्येक बीमारी के लिए चिकित्सा प्रबंधन के 3 स्तरों (हल्के/मध्यम/गंभीर) पर भी जोर दिया, जहां उपचार की अवधि विशेषज्ञों द्वारा व्यवस्थित तरीके से तय की जानी चाहिए।

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