अत्याधुनिक स्वदेशी दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए दूरसंचार विभाग के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र- सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) ने ‘लियो सैटेलाइट घटकों और जीएनएसए आरएफ फ्रंट एंड के डिजाइन और विकास’ के लिए सिलिज़ियम सर्किट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। सिलिज़ियम सर्किट्स, आईआईटी हैदराबाद के फैबलेस चिप डिजाइन इनक्यूबेटर (एफएबीसीआई) के तहत एक फैबलेस सेमीकंडक्टर आईपी और सीओसी स्टार्टअप है।
दूरसंचार विभाग की दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) योजना के तहत इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। स्टार्टअप, शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को कोष उपलब्ध कराने के लिए तैयार की गई यह योजना, दूरसंचार उत्पादों और समाधानों के डिजाइन, विकास और व्यावसायीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसका उद्देश्य किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को सक्षम करना है, जो पूरे भारत में डिजिटल अंतर को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीटीडीएफ) की मदद से सिलिजियम सर्किट लियो उपग्रह घटकों के लिए उन्नत सेमीकंडक्टर समाधान विकसित करने के लिए तैयार है। इस पहल का उद्देश्य बिजली दक्षता, उच्च गति डेटा संचरण और मजबूत सिग्नल अखंडता जैसी प्रमुख चुनौतियों का समाधान करके भारत के उपग्रह संचार तंत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है। एनालॉग, आरएफ और मिश्रित-सिग्नल प्रौद्योगिकियों में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए सिलिज़ियम सर्किट उच्च प्रदर्शन, विश्वसनीय संचार प्रणालियों के निर्माण में योगदान देगा। इसका लक्ष्य लियो उपग्रह अवसंरचना परियोजनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को आधार देना है, जो वैश्विक बाजार और आत्मनिर्भरता, भविष्य के लिए तैयार उपग्रह संचार नेटवर्क के लिए भारत के दृष्टिकोण दोनों को पूरा करता है जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ाता है और अत्याधुनिक ब्रॉडबैंड सेवाओं को आगे बढ़ाता है।
समझौते पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित समारोह में सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय, सिलिज़ियम सर्किट के सह-संस्थापक और सीईओ रिजिन जॉन, सी-डॉट के निदेशक डॉ. पंकज कुमार दलेला व शिखा श्रीवास्तव और दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डीडीजी (टीटीडीएफ) डॉ. पराग अग्रवाल और डीडीजी (एसआरआई) विनोद कुमार उपस्थित थे।
अपने संबोधन में डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने संचार आवश्यकताओं के लिए स्वयं के चिप्स विकसित करने के महत्व को रेखांकित किया और परियोजना कार्यान्वयन के दौरान इसके बुनियादी ढांचे सहित सी-डॉट की मदद पर बल दिया।
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