भारत

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के वडोदरा में सरदार सभा को संबोधित किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इस बात का सबूत है कि भारत उन लोगों को करारा जवाब देता है जो शांति और सद्भाव की भाषा नहीं समझते। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई की तुलना सरदार वल्लभभाई पटेल की सुदृढ़ इच्छाशक्ति और नेतृत्‍व से की। उन्होंने कहा कि पटेल ने हमेशा संवाद के ज़रिए समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर कभी भी साहसी रास्ता चुनने में हिचकिचाए नहीं, जैसा कि हैदराबाद को भारत में विलय के मामले में हुआ था। रक्षा मंत्री 2 दिसंबर, 2025 को गुजरात के वडोदरा में सरदार सभा को संबोधित कर रहे थे। यह सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के तहत मेरा युवा (एमवाई) भारत द्वारा आयोजित ‘एकता मार्च’ का हिस्सा था।

ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए सशस्‍त्र बलों के साहस और समर्पण की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आज (वर्तमान समय में) विश्‍व भारतीय सैनिकों की वीरता और क्षमता को स्‍वीकार कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इस अभियान ने स्‍पष्‍ट संकेत दिया है कि ‘‘हम शांतिप्रिय राष्‍ट्र हैं, जो किसी देश को उकसाते नहीं, लेकिन यदि कोई उकसाये तो उसे बख्‍शते भी नहीं।”

राजनाथ सिंह ने सरदार पटेल को देश को एक करने में अहम योगदान देने वाला बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का उनका सपना और मज़बूत हुआ है। अनुच्‍छेद 370 के निर्सन का उल्‍लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस निर्णय ने जम्मू-कश्मीर को देश की मुख्यधारा में पूरी तरह से जोड़ दिया।

रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि सरकार सरदार पटेल द्वारा दिखाए गए रास्‍ते पर चल रही है, जिसके परिणामस्‍वरूप एक समय संदेहों से घिरा भारत आज अपनी शर्तों पर विश्‍व से संवाद कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज पूर्व की तुलना में अब अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर भारत की बात ध्‍यानपूर्वक सुनी जाती है। उन्होंने आगे कहा, “भारत एक बड़ी आर्थिक और सामरिक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है। यह सरदार पटेल अमूल्‍य योगदान का परिणाम है।”

सरकार के राष्‍ट्रीय हितों की रक्षा के संकल्‍प से बताते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 2014 से पहले भारत विश्‍व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था थी और आज यह चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है तथा शीघ्र ही शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ‘न्‍यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के लक्ष्य के साथ काम कर रही है, जबकि राजनीतिक और भौगोलिक एकता के ज़रिए यह एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र की सरदार पटेल की विरासत को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार भारत को सांस्कृतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और आर्थिक एकता के सूत्र में पिरो रही है। हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विज़न के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमारा लक्ष्य 2047 तक एक विकसित भारत का निर्माण करना है।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार सरदार पटेल के राष्ट्रीय सुरक्षा विज़न को आगे बढ़ा रही है, जिन्होंने रक्षा आधुनिकीकरण और रक्षा हथियारों व गोला-बारूद के स्वदेशी उत्‍पादन पर ज़ोर दिया था। उन्होंने कहा, “आज, ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल के कारण हम रक्षा उत्‍पादन में आत्मनिर्भर बन रहे हैं, जबकि मित्र देशों को सैन्‍य उपकरण निर्यात कर रहे हैं। पिछले 11 वर्षों में हमारा रक्षा निर्यात लगभग 34 गुना बढ़ गया है। हमारा लक्ष्य 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्‍पादन और 50,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात हासिल करना है।”

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि सरदार पटेल का पूरा जीवन पवित्रता और ईमानदारी का प्रतीक था और इन उच्‍च आदर्शों से प्रेरित होकर सरकार का लक्ष्य संसद में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 को पारित कराना है, जो उच्‍चतम पदों पर आसीन लोगों से भ्रष्टाचार के खिलाफ नैतिक व्‍यवहार करने की मांग करता है। उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि यदि पद पर आसीन किसी व्‍यक्ति को किसी गंभीर आरोप के तहत गिरफ्तार किया जाता है और 30 दिनों के भीतर ज़मानत नहीं मिलती है, तो वे अपने आप अपने पद से मुक्त हो जाएंगे।”

रक्षा मंत्री ने युवाओं से एक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रयास करने का आग्रह किया। ​​उन्होंने कहा कि राष्‍ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता बनाए रखना एक ज़िम्मेदारी है, जिसे सरदार पटेल ने देश की भावी पीढ़ियों के लिए छोड़ा था। उन्होंने कहा, “देश और समाज को एकजुट रखना हमारा दायित्‍व है। हमें संकल्‍प लेना होगा कि हम न केवल सरदार पटेल के मूल्यों को पूर्व निष्‍ठा से आत्‍मसात करेंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इसके लिए तैयार करेंगे। यही सरदार पटेल की विरासत को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

इस अवसर पर पंजाब के राज्‍यपाल गुलाब चंद कटारिया, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और राज्य सरकार के अन्‍य अधिकारी उपस्थित थे।

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