आज गीता जयंती मनाई जा रही है। यह दिन उस पल की याद दिलाता है जब भगवान श्री कृष्ण ने पांच हजार वर्ष से भी पहले कुरुक्षेत्र के रण में अर्जुन को भगवद गीता का कालजयी उपदेश दिया था। गीता जयंती सिर्फ़ धार्मिक अनुष्ठान का दिन नहीं है, बल्कि यह भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए सार्वभौमिक ज्ञान की याद दिलाता है, जो लाखों लोगों को उनके आध्यात्मिक और दैनिक जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करता है। भगवद गीता की शिक्षाएँ समय से परे हैं, और जीवन, कर्तव्य और अस्तित्व की प्रकृति के बारे में सबसे मूलभूत प्रश्नों का उत्तर भी हैं।
कल आकाशवाणी पर अपने मन की बात कार्यक्रम में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवद गीता में बढ़ती वैश्विक रुचि पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह देखकर वे बहुत प्रभावित हैं कि कैसे दुनिया भर के लोग गीता से प्रेरित हो रहे हैं।
कुरूक्षेत्र में बह्म सरोवर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शामिल होना भी मेरे लिए बहुत विशेष रहा। मैं यह देखकर बहुत प्रभावित हुआ कि कैसे दुनियाभर के लोग दिव्यग्रंथ गीता से प्रेरित हो रहे हैं। इस महोत्सव में यूरोप और सेन्ट्रल एशिया सहित विश्व के कई देशों के लोगों की भागीदारी रही।
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