केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह और वस्त्र राज्य मंत्री पबित्र मार्घेरिटा ने आज नई दिल्ली के जनपथ स्थित हैंडलूम हाट में आयोजित “विरासत” प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी का आयोजन 10वें राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस के उपलक्ष्य में किया गया है। प्रदर्शनी 3 अगस्त से 16 अगस्त, 2024 एक पखवाड़े तक चलेगी।
गिरिराज सिंह ने हथकरघा बुनकरों और कारीगरों से बातचीत की और इस बात पर बल दिया कि सरकार बुनकरों और उनके परिवारों के लिए बेहतर आय के अवसरों के लिए वस्त्र मूल्य श्रृंखला में सुधार करने का प्रयत्न कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा हथकरघा समुदाय है जो स्थिरता और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करता है। दुनिया टिकाऊ उत्पादों के उपयोग की ओर बढ़ रही है और हथकरघा शून्य-कार्बन रहित उद्योग है और किसी भी ऊर्जा की खपत नहीं करता है तथा हथकरघा उद्योग शून्य-जल रहित फुटप्रिंट वाला क्षेत्र है।
पबित्र मार्घेरिटा ने हथकरघा क्षेत्र में प्राकृतिक रंगों के अनुप्रयोग के लाइव प्रदर्शन को देखा। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में फैशन उद्योग में प्राकृतिक रंगों वाले हथकरघा कपड़ों की भारी मांग बाजार में देखी जाने लगी है। हथकरघा बुनकरों द्वारा प्राकृतिक रंगों के उपयोग से न केवल मूल्यवर्धन होता है बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि होती है।
मंत्रियों ने हथकरघा हाट में पौधारोपण कर “एक पेड़ मां के नाम”अभियान को प्रोत्साहित किया। उन्होंने “हर घर तिरंगा” अभियान के तहत हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को तिरंगा झंडे भी वितरित किए।
यह प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए हथकरघा उत्पाद प्रदर्शित और बिक्री के लिए रखे गए हैं। इनमें कोसा, चंदेरी, मधुबनी, मंगलगिरी, मेखला चादर, मोइरांग फी, इकत आदि शामिल हैं।
हैंडलूम हाट में कई गतिविधियाँ भी आयोजित की जा रही हैं, जैसे कि हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के लिए 75 स्टॉल, जहाँ वे सीधे उत्पादों की खुदरा बिक्री कर सकेंगे और शीर्ष समितियों, बोर्डों आदि द्वारा 07 स्टॉल, भारत के उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों का क्यूरेटेड थीम प्रदर्शन और हथकरघा हाट में प्राकृतिक रंगों, कस्तूरी कपास, डिजाइन और निर्यात पर कार्यशालाएँ, 12 अगस्त 2024 को बुनकरों और कारीगरों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर, लोई लूम और फ्रेम लूम का लाइव प्रदर्शन, भारत के लोक नृत्य और स्वादिष्ट क्षेत्रीय व्यंजन आदि।
भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख लोगों को रोजगार देता है, जो देश में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत सरकार ने हथकरघा के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें पर्यावरण पर शून्य प्रभाव वाले उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की ब्रांडिंग की जाती है, ताकि उत्पादों की विशिष्टता को उजागर करने के अलावा उत्पादों को प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें एक अलग पहचान दी जा सके। यह खरीदार के लिए एक गारंटी भी है कि खरीदा जा रहा उत्पाद वास्तव में हस्तनिर्मित है। प्रदर्शनी में सभी प्रदर्शकों को अपने उत्कृष्ट उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और इस प्रकार हथकरघा उत्पादों के लिए बाजार और हथकरघा समुदाय की आय में सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है। “विरासत” श्रृंखला – “विशेष हथकरघा एक्सपो” हथकरघा दिवस के अवसर पर आयोजित की जाने वाली प्रमुख प्रदर्शनी है। इस वर्ष 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त को मनाया गया। यह आयोजन हथकरघा और हस्तशिल्प की गौरवशाली परंपरा पर केंद्रित है और हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को बाजार से भी जोड़ता है।
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