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सरकारी ई-मार्केटप्लेस ने गवर्नेंस के 100 दिन पूरे होने का जश्न मनाया; अपने लेनदेन शुल्क में भारी कटौती की घोषणा की

सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने व्यापार में सुगमता को बढ़ावा देने और अधिक समावेशी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता के अनुरूप हाल ही में अपने प्लेटफ़ॉर्म पर लेन-देन करने वाले विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं पर लगाए जाने वाले लेन-देन शुल्क में भारी कटौती की घोषणा की है। यह साहसिक कदम सरकार की 100 दिनों की पहल का हिस्सा था। तदनुसार, सरकारी ई-मार्केटप्लेस ने पोर्टल की नई राजस्व नीति की घोषणा की है जिसे 9 अगस्त 2024 से लागू किया गया है।

इस नीति के अनुसार:

  • 10 लाख रुपये मूल्य तक के सभी ऑर्डर पर अब कोई लेन-देन शुल्क नहीं लगेगा, जबकि पहले यह ऑर्डर मूल्य की सीमा 5 लाख रुपये थी।
  • 10 लाख रुपये से 10 करोड़ रुपये तक के ऑर्डर पर कुल ऑर्डर मूल्य का 0.30 प्रतिशत लेन-देन शुल्क लिया जाएगा, जबकि पहले 0.45 प्रतिशत लेन-देन शुल्क लगता था।
  • 10 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर पर लेन-देन शुल्क में भारी कटौती की गई है। इस पर अब 3 लाख रुपये का फ्लैट शुल्क देना होगा, जो पहले 72.5 लाख रुपये था।

सरकारी ई-मार्केटप्लेस पर लगभग 97 प्रतिशत लेन-देन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा जबकि शेष पर 10 लाख रुपये मूल्य से अधिक के ऑर्डर पर 0.30 प्रतिशत की दर से नाममात्र शुल्क लगेगा, इसकी अधिकतम सीमा केवल 3 लाख रुपये होगी चाहे ऑर्डर कितने भी मूल्य का हो। यह कदम सरकारी ई-मार्केटप्लेस पर व्यापार सुगमता के मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह लेनदेन की लागत में कमी लाने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप भी है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस ने एक ही झटके में अपने लेनदेन शुल्क में लगभग 33 प्रतिशत से 96 प्रतिशत की भारी कटौती की है। इससे सरकारी ई-मार्केटप्लेस पर विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं को और अधिक प्रतिस्पर्धी होने की उम्मीद है।

नवीनतम लेन-देन शुल्क व्यवस्था का उद्देश्य सार्वजनिक खरीद प्रणाली तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना है। इसका उद्देश्य विशेष रूप से मध्यम एवं लघु उद्यमों को लाभ पहुंचाना है, जिनको अक्सर बोझिल वित्तीय और परिचालन संबंधी समस्याओं को दूर करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस का उद्देश्य लेन-देन शुल्क में अत्याधिक कमी करके सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध करवाकर लघु स्तर के व्यवसायों के लिए सार्वजनिक खरीद में मूल्य और नवाचार के अवसर उपलब्ध कराना है।

वित्त वर्ष 2024-25 सेवा क्षेत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण है, जिसमें सेवा क्षेत्र ने बहुत तेज़ गति से छलांग लगाई है और सकल माल मूल्य उत्पाद को अच्छे अंतर से पीछे छोड़ दिया है। 31 अगस्त 2024 तक 1.39 लाख करोड़ रुपये का सेवा सकल माल मूल्य उसी अवधि में 2.15 लाख रुपये करोड़ के कुल व्यापारिक मूल्य का लगभग 65 प्रतिशत है। प्लेटफ़ॉर्म पर कई उच्च मूल्य वाली सेवा बोलियाँ प्रदान की गई हैं।

प्लेटफ़ॉर्म पर सेवा खरीद में यह उछाल 325+ सेवा श्रेणियों की एक बड़ी सूची के कारण है। अपने उपयोगकर्ता अनुकूल इंटरफ़ेस के साथ, सरकारी ई-मार्केटप्लेस ने सरकारी खरीदारों के लिए अपनी ज़रूरतों के आधार पर सेवा प्रदाताओं का मूल्यांकन करना, चयन करना और उनसे जुड़ना आसान बना दिया है। प्लेटफ़ॉर्म की पारदर्शी ई-बोली प्रक्रिया निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करती है तथा यह भी सुनिश्चित करती है कि सरकारी खरीदार को अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए सही साझेदार मिले।

सरकारी ई-मार्केटप्लेस के बारे में:

सरकारी ई-मार्केटप्लेस एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य के विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, स्वायत्त निकायों, पंचायतों, बहु और एकल राज्य सहकारी समितियों आदि को वस्तुओं और सेवाओं की एंड-टू-एंड खरीद की सुविधा प्रदान करता है। हमारे प्रधानमंत्री द्वारा ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ को प्राप्त करने के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की शक्ति का उपयोग करने के ठोस प्रयासों के कारण 2016 में सरकारी ई-मार्केटप्लेस बनाया गया। ऑनलाइन पोर्टल की स्थापना अक्षमताओं और भ्रष्टाचार से भरी पुरानी मैनुअल सार्वजनिक खरीद प्रक्रियाओं को खत्म करने के एक स्पष्ट उद्देश्य से की गई थी।

सरकारी ई-मार्केटप्लेस, सरकारी खरीदारों को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से अखिल भारतीय विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से सीधे उत्पाद और सेवाएँ खरीदने के लिए एक कागज़ रहित, नकद रहित और संपर्क रहित व्यवस्था प्रदान करता है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस खरीद प्रक्रिया के पूरे दायरे को कवर करता है जिसमें विक्रेता का पंजीकरण और खरीदारों द्वारा आइटम के चयन से लेकर माल की प्राप्ति और समय पर भुगतान की सुविधा शामिल है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस की परिकल्पना डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ आने वाली सुगमता और शीघ्रता का उपयोग करने के लिए की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक खरीद प्रणालियों को पुनर्जीवित करना और वंचितों के साथ-साथ राष्ट्र के लिए एक स्थायी बदलाव लाना था।

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