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सरकार ने AI से तैयार सामग्री की स्‍पष्‍ट लेबलिंग अनिवार्य बनाते हुए सूचना प्रौद्योगिकी विनियमों में बदलाव प्रस्तावित किया

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (“आईटी नियम, 2021”) में संशोधन करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2025 को अधिसूचित किया है। ये संशोधन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (“आईटी अधिनियम”) के तहत मध्यस्थों के उचित परिश्रम दायित्वों के ढांचे को मजबूत करते हैं। विशेष रूप से, नियम 3(1)(डी) में संशोधन अतिरिक्त सुरक्षा उपायों को प्रस्तुत करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मध्यस्थों द्वारा गैरकानूनी सामग्री को पारदर्शी, आनुपातिक और जवाबदेह तरीके से हटाया जाए। संशोधित नियम 15 नवंबर, 2025 से प्रभावी होंगे।

आईटी नियम, 2021 को मूल रूप से 25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किया गया था। बाद में 28 अक्टूबर, 2022 और 6 अप्रैल, 2023 को इसे संशोधित किया गया। ये नियम ऑनलाइन सुरक्षा, संरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया मध्यस्थों सहित मध्यस्थों पर उचित परिश्रम संबंधी दायित्व निर्धारित करते हैं।

नियम 3(1)(डी) के तहत, मध्यस्थों को न्यायालय के आदेश या उपयुक्त सरकार की अधिसूचना के माध्यम से वास्तविक जानकारी प्राप्त होने पर गैरकानूनी जानकारी को हटाना आवश्यक है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा की गई समीक्षा में वरिष्ठ स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने, गैरकानूनी सामग्री का सटीक विवरण देने तथा उच्च स्तर पर सरकारी निर्देशों की आवधिक समीक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

संशोधनों की मुख्य विशेषताएं

  • वरिष्ठ स्तर का प्राधिकरण :

अब मध्यस्थों को गैरकानूनी सूचना हटाने के लिए कोई भी सूचना केवल संयुक्त सचिव या समकक्ष पद के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा ही जारी की जा सकेगी, या जहां ऐसे पद की नियुक्ति नहीं की गई है, वहां निदेशक या समकक्ष पद के अधिकारी द्वारा जारी की जा सकेगी। इसके अलावा, जहां ऐसी एजेंसी को इस प्रकार नियुक्त किया गया है या जहां ऐसा प्राधिकृत किया गया है, वहां अपनी प्राधिकृत एजेंसी में एकल समतुल्य अधिकारी के माध्यम से कार्यान्वयन किया जा सकेगा।

पुलिस प्राधिकारियों के मामले में, केवल वही अधिकारी जो पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद से नीचे का न हो और जिसे विशेष रूप से प्राधिकृत किया गया हो, ऐसी सूचना जारी कर सकता है।

  • विशिष्ट विवरण के साथ तर्कसंगत सूचना :

सूचना में कानूनी आधार और वैधानिक प्रावधान, गैरकानूनी कृत्य की प्रकृति तथा हटाई जाने वाली सूचना, डेटा या संचार लिंक (“सामग्री”) का विशिष्ट यूआरएल/पहचानकर्ता या अन्य इलेक्ट्रॉनिक स्थान स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किया जाना चाहिए।

इससे पहले ‘अधिसूचनाओं’ के व्यापक संदर्भ को ‘तर्कसंगत सूचना’ से प्रतिस्थापित किया गया है, ताकि नियमों को आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) के तहत अनिवार्य ‘वास्तविक ज्ञान’ की आवश्यकता के साथ जोड़ा जा सके, जिससे स्पष्टता और सटीकता आए।

  • आवधिक समीक्षा तंत्र :

नियम 3(1)(डी) के अंतर्गत जारी सभी सूचनाएं, समुचित सरकार के सचिव स्तर से नीचे के अधिकारी द्वारा मासिक समीक्षा के अधीन होंगी।

इससे यह सुनिश्चित होता है कि ऐसी कार्रवाइयां आवश्यक, आनुपातिक और कानून के अनुरूप बनी रहें।

  • अधिकारों और जिम्मेदारियों का संतुलन :

ये संशोधन नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और राज्य की वैध नियामक शक्तियों के बीच संतुलन बनाते हैं तथा यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रवर्तन कार्य पारदर्शी हों और मनमाने प्रतिबंध न लगें।

अपेक्षित प्रभाव

  • पारदर्शिता और जवाबदेही : कौन और कैसे निर्देश जारी कर सकता है से जुड़े स्पष्ट दिशानिर्देश, आवधिक समीक्षा के साथ, जांच और संतुलन सुनिश्चित करता है।
  • मध्यस्थों के लिए स्पष्टता : विस्तृत और तर्कसंगत सूचनाओं को अनिवार्य करने से मध्यस्थों को कानून के अनुपालन में कार्य करने के लिए बेहतर मार्गदर्शन मिलेगा।
  • सुरक्षा उपाय और आनुपातिकता : ये सुधार आनुपातिकता सुनिश्चित करते हैं और आईटी अधिनियम, 2000 के तहत वैध प्रतिबंधों को सुदृढ़ करते हुए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को कायम रखते हैं।
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