बिज़नेस

भारत-जापान इस्पात वार्ता (स्टील डायलॉग) नई दिल्ली में सफलतापूर्वक आयोजित की गई

जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय (एमईटीआई) और भारत के इस्पात मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीसरी भारत-जापान इस्पात वार्ता (स्टील डायलॉग) 4 फरवरी, 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में सफलतापूर्वक आयोजित की गई। वार्ता की अध्यक्षता भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव विनोद कुमार त्रिपाठी और जापान के एमईटीआई के उप महानिदेशक हिदेयुकी उराता ने की, जिन्होंने दोनों देशों के संबंधित प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया।

चर्चा के दौरान, दोनों पक्षों ने भारत और जापान में मौजूदा आर्थिक विकास, दोनों देशों में इस्पात क्षेत्र के परिदृश्य, इस्पात उद्योग में नवीनतम रुझान, दोनों देशों के बीच इस्पात व्यापार की स्थिति और अंतर्राष्ट्रीय इस्पात बाजार से जुड़ी अहम जानकारियों का आदान-प्रदान किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई रणनीतिक पहलों, बुनियादी ढांचे में निवेश से प्रेरित इस्पात की मांग में निरंतर वृद्धि और ग्रीन स्टील रिपोर्ट और ग्रीन स्टील के वर्गीकरण जैसे ठोस कदमों पर प्रकाश डाला। इसके अलावा, इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प, जनसांख्यिकीय लाभों के साथ मिलकर जापानी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है।

इस संवाद ने यूरोपीय संघ के कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (ईयू सीबीएएम) सहित प्रमुख मुद्दों पर दृष्टिकोण साझा करने के लिए एक मंच भी प्रदान किया, जिसका वैश्विक इस्पात व्यापार पर बड़ा प्रभाव है।

जापानी पक्ष ने जापानी इस्पात उद्योग में वर्तमान आर्थिक विकास और प्रगति के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने वर्तमान में जारी क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर भी जानकारी प्रदान की और आपसी हितों के अन्य मुद्दों पर चर्चा की।

बैठक का मुख्य आकर्षण प्रौद्योगिकी सहयोग और कौशल विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से चल रही क्षमता निर्माण पहलों की प्रगति और भविष्य की समीक्षा थी। दोनों पक्षों ने आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने और इस्पात क्षेत्र में रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों की पहचान करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। जापानी प्रतिनिधिमंडल ने भारत में नई इस्पात प्रौद्योगिकियों में निवेश के लिए निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। इसके बदले में, भारत ने वार्ता की रूपरेखा के तहत जापानी कंपनियों के लिए कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

भारत-जापान इस्पात वार्ता इस्पात उत्पादन, उत्पाद विविधीकरण और कार्यस्थल सुरक्षा में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए एक संस्थागत तंत्र के रूप में कार्य करती है। इस साझेदारी को 22 दिसंबर, 2020 को दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित इस्पात क्षेत्र पर सहयोग ज्ञापन (एमओसी) के तहत दिशा दी गई है। यह वार्ता इस्पात उद्योग में नवाचार, सतत विकास और लचीलेपन को बढ़ावा देने में भारत और जापान के साझा दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।

Editor

Recent Posts

2025 में सकल घरेलू उत्‍पाद साढे छह प्रतिशत और 2026 में 6 दशमलव 7 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान

भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी, 2025 में सकल घरेलू…

2 घंटे ago

भारत ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों पर गंभीर दंड लगाने का आह्वान किया

भारत ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों पर गंभीर दंड लगाने का…

2 घंटे ago

भारत ने पेट्रोल में 20 % इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित समय से 5 साल पहले हासिल किया: हरदीप सिंह पुरी

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत ने पेट्रोल…

2 घंटे ago

गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा भारतीय तटरक्षक के लिए स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत ‘समुद्र प्रचेत’ का जलावतरण हुआ

गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) द्वारा निर्मित दो स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोतों (पीसीवी) में से अंतिम…

2 घंटे ago

नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की 97वीं बैठक में रेल और सड़क परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया

नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की 97वीं बैठक आज आयोजित की गई, जिसमें सड़क परिवहन एवं…

2 घंटे ago

भारतीय रक्षा संपदा सेवा, सैन्य अभियंता सेवा और केंद्रीय जल अभियांत्रिकी सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की

भारतीय रक्षा संपदा सेवा, सैन्य अभियंता सेवा और केंद्रीय जल अभियांत्रिकी सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों…

2 घंटे ago