भारत सरकार ‘एआई फॉर ऑल’ की अवधारणा पर बल देती है, जो प्रौद्योगिकी के उपयोग को लोकतांत्रिक बनाने के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एआई समाज के सभी क्षेत्रों को लाभान्वित करे, नवाचार और विकास को बढ़ावा दे।
भारत को प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कौशल की राजधानी माना जाता है। एआई में सबसे विश्वसनीय रैंकिंग भारत को एआई कौशल, एआई क्षमताओं और एआई का उपयोग करने की नीतियों वाले शीर्ष देशों में रखती है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने 42 संकेतकों के आधार पर वैश्विक और राष्ट्रीय एआई जीवंतता रैंकिंग में अमेरिका, चीन और ब्रिटेन के साथ भारत को शीर्ष चार देशों में स्थान दिया है। डेवलपर्स के समुदाय जीआईटीहब ने सभी परियोजनाओं में 24% की वैश्विक हिस्सेदारी के साथ भारत को शीर्ष स्थान दिया है।
सरकार विभिन्न क्षेत्रों में हमारे लोगों की भलाई के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही, सरकार एआई द्वारा उत्पन्न जोखिमों और एआई को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए सुरक्षा उपाय करने की आवश्यकता से अवगत है।
महाराष्ट्र सरकार ने सूचित किया है कि मेटा का एआई मॉडल सूचनात्मक चैटबॉट है जो वर्तमान में अपने प्रारंभिक चरण में है।
माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 मार्च 2024 को इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दी है, जो देश के विकास लक्ष्यों के साथ संरेखित मजबूत और समावेशी एआई पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने की रणनीतिक पहल है। यह मिशन सात आधारभूत स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करके भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अग्रणी वैश्विक देश के रूप में स्थापित करने की दृष्टि से प्रेरित है: इंडियाएआई कंप्यूट, इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्स, इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग, इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर, इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म, इंडियाएआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव और सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई।
इंडियाएआई मिशन के प्रमुख स्तंभों में से एक इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर (आईएआईसी) है, जिसके तहत इंडियाएआई ने 30 जनवरी, 2025 को भारतीय डेटासेट पर प्रशिक्षित अत्याधुनिक आधारभूत एआई मॉडल बनाने के बारे में सहयोग करने के लिए स्टार्टअप, शोधकर्ताओं और उद्यमियों से प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए कॉल फॉर प्रपोजल लॉन्च किया। इस पहल का उद्देश्य स्वदेशी एआई मॉडल स्थापित करना है जो भारतीय संदर्भ में अद्वितीय चुनौतियों से निपटने और अवसरों का लाभ उठाते हुए वैश्विक मानकों के अनुरूप हों।
पहले महीने में, इंडियाएआई मिशन को 15 फरवरी 2025 तक कुल 67 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनका उद्देश्य भारत के आधारभूत मॉडल का निर्माण करना है, जिसमें स्थापित स्टार्टअप और शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों की नई टीमों का योगदान है। 22 बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) और बड़े मल्टीमॉडल मॉडल (एलएमएम) पर केंद्रित हैं, जबकि शेष 45 डोमेन-विशिष्ट मॉडल (एसएलएम) पर केंद्रित हैं। अधिकांश एसएलएम स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और वित्तीय सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों को लक्षित करते हैं। वित्तीय सहायता के साथ-साथ, इन प्रस्तावों को प्रस्तुत करने वाली टीमों द्वारा विभिन्न प्रकार के जीपीयू की मांग की गई है।
इसके अलावा, भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्रालय के माध्यम से डिजिटल इंडिया भाषिणी पहल को लागू किया। इसका लक्ष्य मराठी सहित सभी 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं के लिए भाषिणी मंच (https://bhashini.gov.in) के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित भाषा प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करना, आवाज आधारित पहुंच प्रदान करना और भारतीय भाषाओं में सामग्री के निर्माण में सहायता करना है। डिजिटल इंडिया भाषिणी का उद्देश्य विभिन्न भारतीय भाषाओं और बोलियों के लिए स्पीच-टू-स्पीच मशीन अनुवाद प्रणाली का निर्माण करना और एकीकृत भाषा इंटरफेस (यूएलआई) विकसित करना है। इस पहल ने नागरिकों को अपनी स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाओं तक पहुँचने में सक्षम बनाया, जिससे डिजिटल समावेशन और पहुंच में और वृद्धि हुई, जैसा कि एसडीजी 10 (देशों के भीतर और उनके बीच असमानता को कम करना) में अनुशंसित है। यह प्लेटफॉर्म वर्तमान में 350 से अधिक एआई-आधारित भाषा मॉडल होस्ट करता है, जिसमें स्वचालित वाक् पहचान (एएसआर), मशीन अनुवाद (एमटी), टेक्स्ट-टू-स्पीच (टीटीएस), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर), और लिप्यंतरण तथा पाठ्य भाषा पहचान जैसी अन्य सेवाएं शामिल हैं, जो 17 से अधिक भाषा सेवाओं को कवर करती हैं।
इसके अतिरिक्त, मेटा के सहयोग से इंडियाएआई ने आईआईटी जोधपुर में सृजनात्मक एआई, सृजन केंद्र की स्थापना की घोषणा की है, साथ ही भारत में ओपन सोर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की उन्नति के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के सहयोग से “युवएआई इनिशिएटिव फॉर स्किलिंग एंड कैपेसिटी बिल्डिंग” की शुरुआत की है। यह साझेदारी स्वदेशी एआई एप्लिकेशंस के विकास, एआई में कौशल विकास को आगे बढ़ाने, तकनीकी संप्रभुता सुनिश्चित करने के भारत के एआई मिशन में योगदान देने के उद्देश्य से अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ावा देने और भारत के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए एआई समाधान बनाने के दृष्टिकोण को सक्षम करेगी। शिक्षा, क्षमता निर्माण और नीति परामर्श के माध्यम से, भारत सरकार अगली पीढ़ी के शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और चिकित्सकों को जेनएआई प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदार विकास और तैनाती के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरणों से सशक्त बनाएगी।
भारत सरकार डेटा विज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे उभरते क्षेत्रों में पेशेवरों की बढ़ती मांग को पूरा करने पर ध्यान दे रही है, एआई और साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण को मौजूदा कौशल विकास कार्यक्रमों में एकीकृत करने के लिए भारत सरकार की कुछ पहलें इस प्रकार हैं:
यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने लोकसभा में लिखित उत्तर में दी
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