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भारतीय विदेश व्यापार संस्थान ने अपना 57वां दीक्षांत समारोह मनाया, 650 से ज्यादा छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गई

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के 57वें दीक्षांत समारोह को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में छात्रों को नए व्यापार समझौतों के बारे में जानकार बनने के लिए प्रेरित किया और कहा कि इसका उपयोग नए व्यापार का अवसर उत्पन्न करने और नए बाजारों तक पहुंच प्राप्त के लिए होना चाहिए। नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन, पीयूष गोयल ने कहा कि यह ज्ञान 2 ट्रिलियन डॉलर के व्यापार लक्ष्य की प्राप्ति सहित ‘विकसित भारत’ के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देगा। उन्होंने दूरसंचार, अर्धचालक, गहरे समुद्र में अन्वेषण एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों पर प्रकाश डाला और उनसे आगे बढ़ने की सोच के साथ इन क्षेत्रों में योगदान देने का आग्रह किया।

पीयूष गोयल ने अपने प्रेरणादायक संदेश में स्नातकों से समाज के प्रति जिम्मेदार पेशेवरों के रूप में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं के महत्व पर बल दिया और बताया कि किस प्रकार के वर्तमान समय में संगठनों से कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) सिद्धांतों का पालन करने की उम्मीद की जाती है। उन्होंने स्नातकों को अपने प्रबंधन प्रथाओं में सामाजिक मुद्दों को एकीकृत करने, समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने हेतु कॉर्पोरेट लक्ष्यों को सामुदायिक कल्याण के साथ संरेखित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने युवा स्नातकों को नवाचार के माध्यम से सफलता प्राप्त करने की सलाह दी, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ जुड़कर।

पीयूष गोयल ने आईआईएफटी को अकादमिक उत्कृष्टता का केंद्र बनाने के लिए कुलाधिपति, कुलपति, संकाय सदस्यों और छात्रों की सराहना की। उन्होंने दुबई में स्थापित आईआईएफटी के पहले विदेशी परिसर का भी उल्लेख किया जिससे संस्थान ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समुदाय में अपनी पैठ बनाई है। उन्होंने छात्रों के समर्पण और लचीलेपन पर बल दिया जिन्होंने इस संस्थान को इस मील के पत्थर तक पहुंचाया है, जो उन्हें अपने भविष्य के करियर में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल एवं ज्ञान से युक्त करते हैं।

भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) ने 11 नवंबर, 2024 को नई दिल्ली में बड़ी भव्यता के साथ अपने 57वें दीक्षांत समारोह की मेजबानी की, जो संस्थान की उत्कृष्टता की विरासत में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री, भारत सरकार, पीयूष गोयल, आईआईएफटी के कुलाधिपति और वाणिज्य विभाग के सचिव सुनील बर्थवाल ने की। इस समारोह में गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (अमूल) के प्रबंध निदेशक डॉ. जयन मेहता मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, जिन्होंने स्नातकों को एक प्रेरक दीक्षांत भाषण दिया। दीक्षांत समारोह में विभिन्न विषयों से 650 से अधिक छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं, जिनमें फ्लैगशिप एमबीए (अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं वित्त में विशेषज्ञता के साथ एमए (अर्थशास्त्र), प्रबंधन एवं अर्थशास्त्र में पीएच.डी. और कार्यकारी कार्यक्रम शामिल हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय, अर्थशास्त्र और व्यापार के क्षेत्रों में छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए आईआईएफटी की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

सुनील बर्थवाल, कुलाधिपति, आईआईएफटी और सचिव, वाणिज्य विभाग, भारत सरकार ने स्नातक छात्रों को अपने जीवन में इस महत्वपूर्ण चरण तक पहुंचने के लिए उनके दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की सराहना की और उन्हें अपने पेशेवर करियर में आईआईएफटी से मिली सीख को समाहित करने के लिए प्रोत्साहित किया। सुनील बर्थवाल ने अनुसंधान एवं परामर्श में आईआईएफटी की हाल में प्राप्त की गई उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और कहा कि संस्थान ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वातावरण का विश्लेषण करने तथा कंपनियों के लिए कार्यनीति समाधान का निर्माण करने में पर्याप्त विशेषज्ञता प्राप्त की है। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में आईआईएफटी के शानदार प्रदर्शन की सराहना की, जहां पर यह भारत के शीर्ष 15 बिजनेस स्कूलों में शामिल है। उन्होंने दुबई में आगामी विदेशी परिसर की भी बात की, जिससे संयुक्त अरब अमीरात में स्थित भारतीय लोगों और बड़े पैमाने पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा आईआईएफटी की अनूठी शैक्षिक पेशकश से लाभ उठाने की उम्मीद है, जिससे गहरे वैश्विक संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। श्री बर्थवाल ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कुशल व्यापारियों की आवश्यकता पर बल देते हुए आईआईएफटी में अंतर्राष्ट्रीय वार्ता के लिए नवस्थापित केंद्र के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की, जो कि छात्रों, सरकारी अधिकारियों और कार्पोरेट वार्ताकारों को एक दूसरे की विशेषज्ञता से सीखने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। उन्होंने भविष्य की पहल, आईआईएफटी केस सेंटर की स्थापना के बारे में भी बात की। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि केस सेंटर उच्च-गुणवत्ता, भारत केंद्रित व्यावसायिक मामलों को विकसित करके तथा वैश्विक व्यवसायिक चुनौतियों के संदर्भ में वास्तविक वैश्विक समस्याओं का समाधान करने के लिए छात्रों के अनुभव को समृद्ध बनाएगा।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. जयन मेहता ने स्नातक छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और व्यापार में सर्वोत्तम करियर की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने नए वैश्विक बाजारों तक पहुंच प्राप्त करने में भारतीय कंपनियों की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार से अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञता छात्रों को भारत के बढ़ते वैश्विक कद में सबसे आगे रहने में मददगार साबित हो सकती है। उन्होंने अंतर्दृष्टि साझा किया कि कैसे अमूल और अन्य प्रमुख भारतीय ब्रांड वैश्विक रूप से भारत की उपस्थिति को मजबूती प्रदान कर रहे हैं तथा व्यापार और वाणिज्य में प्रतिभाशाली पेशेवरों के लिए अवसर उत्पन्न कर रहे हैं। डॉ. मेहता ने अपने संबोधन में भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और अंततः किसानों को सशक्त बनाने में सहकारी समितियों के महत्व को रेखांकित किया और जमीनी स्तर पर आर्थिक लचीलापन को बढ़ावा देने में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. मेहता ने स्नातकों से मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देने और अपने पेशेवर जीवन में मजबूत नैतिक सिद्धांतों का पालन करने का भी आग्रह किया। इसके अलावा, उन्होंने छात्रों को अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य एवं कल्याण पर भी ध्यान देने के लिए कहा, क्योंकि दीर्घकालिक सफलता और पूर्ण संतुष्टि के लिए एक संतुलित एवं स्वस्थ जीवन शैली बहुत आवश्यक है।

प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी, कुलपति, आईआईएफटी ने स्नातक छात्रों को बधाई दिया और उन्हें कड़ी मेहनत करने और समकालीन प्रबंधकीय कौशल को कॉर्पोरेट जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कारकों के रूप में आत्मसात करने की सलाह दी। प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त करने में संकाय सदस्यों और कर्मचारियों की प्रतिबद्धता की सराहना की, जिन्होंने आईआईएफटी को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार शिक्षा में एक लीडर के रूप में स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राकेश मोहन जोशी ने कहा कि रोजगार में चुनौतियां होने के बावजूद, आईआईएफटी ने अपने स्नातकों के लिए 100 प्रतिशत प्लेसमेंट प्राप्त किया, जो कौशल के साथ उद्योग जगत की मांगों को पूरा करने वाले छात्रों को तैयार करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने उद्योग और सरकार के साथ मिलकर काम करने के महत्व पर बल दिया, जिसने संस्थान को अत्याधुनिक अनुसंधान एवं नीतिगत इनपुट में योगदान देने में सहायता प्रदान की। प्रो. राकेश मोहन जोशी ने अमेरिका और यूरोप के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के साथ आईआईएफटी के हालिया सहयोग को भी स्वीकार किया, जिसके द्वारा इसकी वैश्विक भागीदारी मजबूत हुई और छात्रों को मूल्यवान अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्राप्त हुआ। उन्होंने आईआईएफटी की अनुसंधान पहलों की सराहना की, जिसने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर इसकी उच्च रैंकिंग प्राप्त करने में योगदान दिया और व्यापार एवं वाणिज्य शिक्षा के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका को मजबूत किया।

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