भारत का विदेशी मुद्रा भण्डार असाधारण वृद्धि दर्ज करते हुए सात सौ बिलियन अमरीकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। इससे भारत विश्व में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। 2014 से 2024 के दशक में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लगभग 709 बिलियन डॉलर का हुआ था। वैश्विक प्रतिस्पर्धी सूचकांक में 2014 के 71वें स्थान से छलांग लगाते हुए भारत 2018 में 39वें स्थान पर पहुंच गया। यह बुनियादी ढांचा, बाजार के आकार और नवाचार में वृद्धि को दर्शाता है।
भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। देश ने लॉजिस्टिक्स से लेकर नवाचार, सुरक्षा और साइबर सुरक्षा तक के क्षेत्रों में काफी प्रगति की है। 2015 और 2018 के बीच ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में, 42 रैंक की बढोतरी दर्ज की है जिसने भारत को निवेश के लिए अनुकूल गंतव्य के रूप में स्थापित किया है।
इस साल, भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक बन गया। इसके अलावा भारत ने मोबाइल फोन के उत्पादन में भी वैश्विक स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया है और यह एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरा है। वहीं, भारत के शिक्षा क्षेत्र भी उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग: एशिया 2025 के अनुसार, भारत अब सात संस्थान, एशिया के शीर्ष 100 संस्थानों में अपना स्थान बना चुके हैं।
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