अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में पहली बार ब्लैक होल के जोड़े में छोटी वस्तु को प्रत्यक्ष रूप से देखा गया

10 देशों (फिनलैंड, पोलैंड, भारत, चीन, अमेरिका, चेक गणराज्य, जापान, जर्मनी, स्पेन, इटली) के 32 वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में एक जोड़ी छोटे ब्लैक होल को देखा गया, जिससे पहली बार एक परिक्रमा करने वाले ब्लैकहोल का ‘दृश्य (sight)’ की बात सामने आई।

कई अंतरराष्ट्रीय शोध समूहों ने पहले ही इस सिद्धांत की पुष्टि कर दी है कि चार अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशगंगा OJ 287 के केंद्र में दो ब्लैक होल हैं, जिसके बारे में सबसे पहले फिनलैंड के तुर्कू विश्वविद्यालय के खगोलविदों ने बताया था।

2021 में नासा के एक्सोप्लेनेट-हंटिंग सैटेलाइट को आकाशगंगा OJ 287 की ओर किया गया था, ताकि खगोलविदों को आकाशगंगा के केंद्र में दो ब्लैक होल के बारे में फिनलैंड के तुर्कू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा शुरू में प्रस्तावित सिद्धांत की पुष्टि करने में मदद मिल सके।

ट्रांज़िटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) को आकाश में सबसे चमकीले छोटे तारों के चारों ओर परिक्रमा करने वाले हज़ारों एक्सोप्लेनेट की खोज करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। टीईएसएस छोटे, चट्टानी दुनिया से लेकर विशाल ग्रहों तक के ग्रहों की खोज कर रहा है, जो हमारी आकाशगंगा में ग्रहों की विविधता को दर्शाता है। इसने अब तक सूर्य के अलावा अन्य तारों की परिक्रमा करने वाले 410 पुष्ट एक्सोप्लेनेट या “नई दुनिया” की खोज की है।

2021 में, टीईएसएस ने कई हफ़्ते एक अन्य प्रकार की प्रणाली का अध्ययन करने में बिताए, जो 4 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर OJ 287 नामक एक आकाशगंगा है। शोधकर्ताओं को अप्रत्यक्ष सबूत मिले हैं कि OJ 287 में एक बहुत बड़ा ब्लैक होल अपने आकार से 100 गुना बड़े एक विशाल ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहा है।

छोटे ब्लैक होल के अस्तित्व को सत्यापित करने के लिए, टीईएसएस ने प्राथमिक ब्लैक होल की चमक और उससे जुड़े जेट की निगरानी की। बड़े ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहे छोटे ब्लैक होल का प्रत्यक्ष अवलोकन बहुत मुश्किल है, लेकिन शोधकर्ताओं को इसकी उपस्थिति का पता अचानक चमक से चला।

OJ287 में इस तरह की घटना पहले कभी नहीं देखी गई थी, लेकिन फिनलैंड के तुर्कू विश्वविद्यालय के शोधकर्ता पाउली पिहाजोकी ने 2014 में ही अपने डॉक्टरेट शोध प्रबंध में इस घटना की भविष्यवाणी की थी। उनके शोध प्रबंध के अनुसार, 2021 के अंत में अगली बार चमकने की संभावना व्यक्त की गई थी, और उस समय कई उपग्रह और दूरबीनें उस ऑब्जेक्ट पर फोकस थीं।

टीईएसएस उपग्रह ने 12 नवंबर 2021 को अपेक्षित चमकने का पता लगाया और 12 घंटे की घटना के अवलोकन हाल ही में एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित किए गए।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज के शुभम किशोर, आलोक सी. गुप्ता और अमेरिका के न्यू जर्सी कॉलेज के पॉल विटा द्वारा अवलोकन के अध्ययन में एक छोटे ब्लैक होल की खोज की गई।

इस खोज की पुष्टि नासा के स्विफ्ट टेलीस्कोप द्वारा भी की गई, जिसे भी उसी लक्ष्य पर इंगित किया गया था।

इसके अलावा, पोलैंड के क्राको में जगियेलोनियन विश्वविद्यालय के स्टाज़ेक ज़ोला के नेतृत्व में एक बड़े इंटरनेशनल कोलाबोरेशन ने पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में दूरबीनों का उपयोग करके एक ही घटना का पता लगाया। अवलोकन के लिए अलग-अलग दूरबीनों को लक्षित किया गया था ताकि पूरे दिन में कम से कम एक दूरबीन स्थान पर हमेशा रात के समय रहे।

इसके अलावा, स्वेतलाना जोरस्टेड और अन्य पर्यवेक्षकों के नेतृत्व में बोस्टन विश्वविद्यालय, यूएसए के एक समूह ने चमकने से पहले और बाद में प्रकाश के पोलराइजेशन का अध्ययन करके खोज की पुष्टि की।

पिछले सभी अवलोकनों को मिलाकर एक नए अध्ययन में तुर्कू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर मौरी वाल्टोनन और उनकी शोध टीम ने दिखाया है कि 12 घंटे का प्रकाश का विस्फोट कक्षा में छोटे ब्लैक होल और उसके आसपास से आया था।

चमक का तेज़ विस्फोट तब होता है जब छोटा ब्लैक होल बड़े ब्लैक होल के चारों ओर मौजूद एक्रीशन डिस्क के एक बड़े टुकड़े को “निगल” लेता है, जिससे यह गैस के एक बाहरी जेट में बदल जाता है। छोटे ब्लैक होल का जेट तब लगभग बारह घंटों तक बड़े ब्लैक होल के जेट से ज़्यादा चमकीला होता है। इससे OJ287 का रंग सामान्य लाल के बजाय कम लाल या “पीला” हो जाता है। विस्फोट के बाद, लाल रंग वापस आ जाता है। “पीला” रंग दर्शाता है कि 12 घंटे की अवधि के लिए, हम छोटे ब्लैक होल से प्रकाश देख रहे हैं। उसी समय अवधि में OJ287 से उत्सर्जित प्रकाश की अन्य विशेषताओं से भी यही परिणाम निकाले जा सकते हैं।

प्रोफेसर वाल्टोनन कहते हैं, “इसलिए, अब हम कह सकते हैं कि हमने एक परिक्रमा करने वाले ब्लैक होल को ‘देखा’ है, ठीक उसी तरह जैसे हम कह सकते हैं कि टीईएसएस ने अन्य तारों की परिक्रमा करने वाले ग्रहों को देखा है और ग्रहों की तरह ही, छोटे ब्लैक होल की सीधी तस्वीर प्राप्त करना बेहद मुश्किल है। वास्तव में, OJ 287 की बड़ी दूरी के कारण, जो कि लगभग चार बिलियन प्रकाश वर्ष है, हमारे अवलोकन के तरीकों को बड़े ब्लैक होल की तस्वीर लेने के लिए पर्याप्त विकसित होने में शायद बहुत लंबा समय लगेगा।”

मुंबई, भारत में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के ए. गोपकुमार कहते हैं, “हालांकि, छोटा ब्लैक होल जल्द ही अन्य तरीकों से अपना अस्तित्व प्रकट कर सकता है, क्योंकि यह नैनो-हर्ट्ज गुरुत्वाकर्षण तरंगों का उत्सर्जन करने की उम्मीद है। OJ287 की गुरुत्वाकर्षण तरंगों को आने वाले वर्षों में परिपक्व पल्सर टाइमिंग एरे द्वारा पता लगाया जा सकता है”।

Editor

Recent Posts

UIDAI ने देश भर में सहकारी बैंकों के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण ढ़ांचा तैयार किया

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में सहकारी बैंकों को…

11 घंटे ago

अठारहवीं लोकसभा का पांचवां सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित, 12 विधेयक पारित किए गए

18वीं लोकसभा का पांचवां सत्र, जो 21 जुलाई, 2025 को शुरू हुआ था, आज संपन्न…

13 घंटे ago

ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025 संसद में पारित हुआ

ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025 राज्यसभा में पारित हुआ। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्‍णव…

14 घंटे ago

रूस ने कल रात यूक्रेन पर इस वर्ष का सबसे बड़ा ड्रोन और मिसाइल हमला किया

यूक्रेन की वायुसेना ने बताया है कि रूस द्वारा रातभर किये गए हमले यूक्रेन पर…

15 घंटे ago

इंडिया गठबंधन के उपराष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार और सर्वोच्‍च न्‍यायालय के पूर्व न्‍यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी ने आज नामांकन पत्र दाखिल किया

इंडिया गठबंधन के उपराष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार सर्वोच्‍च न्‍यायालय के पूर्व न्‍यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी…

15 घंटे ago