कोयला क्षेत्र में बदलाव लाने के अपने अथक प्रयास में कोयला मंत्रालय बुनियादी ढांचे के विकास कार्य को तेज़ करने और प्रमुख हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक व्यापक रणनीति बना रहा है। यह पहल मंत्रालय के उस दृष्टिकोण की आधारशिला है, जिसके तहत भारत को 2047 तक समृद्ध और विकसित राष्ट्र के व्यापक लक्ष्य के साथ तालमेल बिठाते हुए अनवरत कोयला उत्पादन और लॉजिस्टिक्स में दुनिया भर में अग्रणी के रूप में स्थापित किया जाएगा।
देश के बिजली संयंत्रों और उद्योगों की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए कोयले की निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक मजबूत कोयला निकासी नेटवर्क महत्वपूर्ण है। इस नेटवर्क को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कोयला मंत्रालय ने महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स परियोजनाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ एक रणनीतिक योजना का अनावरण किया है। यह प्रयास “एकीकृत योजना और समन्वित समयबद्ध कार्यान्वयन” के पीएम गति शक्ति विजन के अनुरूप है, जो विकसित भारत 2047 के महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण को साकार करने के लिए आवश्यक है।
इस रणनीति के तहत कोयला मंत्रालय ने कोयला लॉजिस्टिक्स योजना के अंतर्गत प्राथमिकता वाली 38 रेल परियोजनाओं को चिन्हित किया है, जिन्हें रेल मंत्रालय के साथ मिलकर तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। ये परियोजनाएं रेल संपर्क में सुधार, समय पर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए आवश्यक हैं, जिससे देश भर में कोयला परिवहन की समग्र दक्षता बढ़ेगी।
इन प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में से सरकार ने हाल ही में ओडिशा में दो महत्वपूर्ण रेल परियोजनाओं – सरडेगा-भालुमुडा डबल लाइन और बरगढ़ रोड-नवापारा रोड सिंगल लाइन को मंजूरी दी है।
आईबी घाटी और मांड-रायगढ़ कोलफील्ड के विभिन्न कोयला ब्लॉकों से होकर गुजरने वाली 37.24 किलोमीटर लंबी सरडेगा-भालुमुडा नई डबल लाइन परियोजना महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) और कई निजी खदान संचालकों द्वारा संचालित खदानों से कोयले की निकासी की सुविधा प्रदान करेगी। यह परियोजना विशेष रूप से रणनीतिक है क्योंकि यह सरदेगा से उत्तर भारत में बिजली संयंत्रों तक परिवहन दूरी को कम करती है, जिससे दक्षता में वृद्धि होती है।
इसी तरह, 138.32 किलोमीटर लंबी बरगढ़ रोड-नवापारा रोड नई सिंगल लाइन तालचेर कोलफील्ड से कोयला निकासी में काफी सुधार करेगी, जिससे नागपुर और पश्चिमी क्षेत्रों की ओर एक सीधा और छोटा मार्ग उपलब्ध होगा। इस परियोजना से लॉजिस्टिक्स लागत में काफी कमी आने और तालचेर क्षेत्र से कोयला परिवहन की समग्र दक्षता में सुधार होने की उम्मीद है।
कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में कोयला मंत्रालय इन और अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत का कोयला क्षेत्र न केवल वर्तमान बिजली मांगों को पूरा करे, बल्कि 2047 तक एक टिकाऊ और विकसित राष्ट्र की नींव भी रखे।
भारत के पुनर्चक्रण प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए…
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