विद्युत मंत्रालय के अपर सचिव और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के महानिदेशक आकाश त्रिपाठी ने राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (एसईईआई) 2024 जारी किया । यह बीईई द्वारा ऊर्जा कुशल अर्थव्यवस्था गठबंधन (एईईई) के सहयोग से शुरू की गई एक पहल है। एसईईआई 2024, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 36 भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के ऊर्जा दक्षता प्रदर्शन का आकलन करता है। यह सूचकांक राज्य-स्तरीय डेटा निगरानी को संस्थागत बनाने, ऊर्जा प्रबंधन पर नजर रखने, सर्वोत्तम विधियों को बढ़ावा देने और राज्यों में ऊर्जा दक्षता में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस अवसर पर आकाश त्रिपाठी ने कहा, “भारत में ऊर्जा परिवर्तन जलवायु संबंधी अनिवार्यताओं के अनुकूल है और नवाचार, लचीलापन और समावेशी विकास को बढ़ावा देने का एक रणनीतिक अवसर है। वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन और वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कमी लाने के लक्ष्य की दिशा में ऊर्जा दक्षता एक आधारभूत स्तंभ के रूप में सभी क्षेत्रों में प्रभावशाली और कम लागत वाले समाधान प्रदान कर रही है। राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (एसईईआई) जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन, क्षेत्रीय परिणामों और मापनीय प्रगति पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। भवन, उद्योग, परिवहन, डिस्कॉम और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में राज्यों का मूल्यांकन करके यह देश के परिपक्व ऊर्जा दक्षता इको-सिस्टम को दर्शाता है।”
इस सूचकांक के छठे संस्करण में सात प्रमुख मांग क्षेत्रों में 66 संकेतकों के साथ एक उन्नत कार्यान्वयन-केंद्रित रूपरेखा में भवन, उद्योग, नगरपालिका सेवाएं, परिवहन, कृषि, विद्युत वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) और क्रॉस-सेक्टर पहल शामिल है, जो ऊर्जा सेवा कंपनियों के (ईएससीओ) मॉडल, भवनों के लिए स्टार रेटिंग , एमएसएमई क्लस्टर प्रोफाइलिंग, पीएटी योजना विस्तार, ईवी मांग-पक्ष प्रोत्साहन और डिस्कॉम के मांग-पक्ष प्रबंधन प्रयासों संबंधी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को दर्शाता है। यह ढांचा ऊर्जा ऑडिट, रेट्रोफिट, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों जैसी राज्य-नेतृत्व वाली पहलों के आकलन और कार्यान्वयन पर ज़ोर देता है ।
राज्यों को अग्रणी (कुल मूल्यांकन स्कोर का 60 प्रतिशत से अधिक), सफल (50-60 प्रतिशत), दावेदार (30-50 प्रतिशत) और आकांक्षी (<30 प्रतिशत) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और आगे उनके कुल अंतिम ऊर्जा उपभोग (टीएफईसी) के आधार पर समूहों में विभाजित किया गया है । प्रत्येक समूह में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य इस प्रकार हैं:
समूह 1 (>15 एमटीओई): महाराष्ट्र
समूह 2 (5-15 एमटीओई): आंध्र प्रदेश
समूह 3 (1-5 एमटीओई): असम
समूह 4 (< 1 एमटीओई): त्रिपुरा
एसईईआई 2023 की तुलना में, अग्रणी राज्यों की संख्या सात से घटकर पांच हो गई है, जबकि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु की स्थिति यथावत है। दो राज्य- असम और केरल – सफल श्रेणी में हैं, जबकि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, ओडिशा और उत्तर प्रदेश को दावेदारों की श्रेणी में रखा गया है ।
एसईईआई विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता में उल्लेखनीय प्रगति दर्शाता है। भवन निर्माण क्षेत्र में 24 राज्यों ने ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी) 2017 को अधिसूचित किया है और 20 राज्यों ने इसे नगरपालिका उप-नियमों में शामिल कर लिया है।
10 राज्यों ने उद्योग क्षेत्र में एमएसएमई ऊर्जा दक्षता नीतियों को अपनाया है, जबकि सात राज्यों में गैर- पीटीए उद्योगों के लिए ऊर्जा लेखा परीक्षा (एमईए) अनिवार्य है। नगरपालिका क्षेत्र में 25 राज्यों ने जलवायु कार्य योजनाएं लागू की हैं, जिनमें से 12 राज्यों में एजेंसियों और शहरी स्थानीय निकायों के बीच सहयोग को बढावा दिया गया है। 31 राज्यों ने परिवहन क्षेत्र में राज्य विद्युत गतिशीलता नीतियों को लागू किया है और 14 राज्यों ने इमारतों में ईवी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को अनिवार्य किया है। कृषि क्षेत्र में, 13 राज्य एकीकृत शीत भंडारण और सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों को बढ़ावा दे रहे हैं, केरल ने 74 प्रतिशत सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों को अपनाया है।
यह सूचकांक मांग-पक्ष प्रबंधन (डीएसएम) रणनीतियों को अपनाने में वृद्धि को भी दर्शाता है, जहां 11 राज्यों ने डीएसएम कार्ययोजनाओं को अपनी समग्र राजस्व आवश्यकता (एआरआर) में शामिल किया है। सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने राज्य ऊर्जा दक्षता कार्ययोजनाएं(एसईईएपी) लागू की गई हैं। जबकि 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने देश के राष्ट्रीय जलवायु और ऊर्जा दक्षता लक्ष्यों के अनुरूप, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में ऊर्जा परिवर्तन पर राज्य-स्तरीय संचालन समितियों (एसएलएससी) के गठन की जानकारी दी है।
एसईईआई 2024 एक महत्वपूर्ण नीतिगत उपकरण के रूप में उप-राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता कार्यों का मार्गदर्शन और देश के ऊर्जा परिवर्तन में सहयोग करेगा। यह सूचकांक देश के व्यापक जलवायु और ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राज्यों को ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए क्रियाशील अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
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