भारतीय निर्वाचन आयोग ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा के आम चुनावों के लिए आज जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में तैनात किए जाने वाले पर्यवेक्षकों को जानकारी देने के लिए एक बैठक का आयोजन किया। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. एसएस संधू के साथ पर्यवेक्षकों को उनके आवंटित निर्वाचन क्षेत्रों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में व्यक्तिगत रूप से जानकारी दी।
नई दिल्ली के रंग भवन सभागार में आयोजित इस बैठक में आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के साथ-साथ भारतीय राजस्व सेवा और कुछ अन्य केंद्रीय सेवाओं के 400 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में करीब 200 सामान्य पर्यवेक्षक, 100 पुलिस पर्यवेक्षक और 100 व्यय पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पर्यवेक्षकों को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाते हुए जोर दिया कि आयोग के प्रतिनिधि के रूप में पर्यवेक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वे पेशेवर तरीके से व्यवहार करें और उम्मीदवारों तथा आम जनता सहित सभी हितधारकों के लिए सुलभ रहें। उन्होंने उन्हें भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने तथा यह सुनिश्चित करने की भी सलाह दी कि परस्पर संवाद में कोई अंतराल न रहे। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षकों पर पार्टियों, उम्मीदवारों, मतदाताओं तथा आयोग की भी सतर्क निगाह रहेगी। उन्होंने कहा कि चुनावों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में उनके सुझाव महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने पर्यवेक्षकों को चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश करने वाली भ्रामक खबरों के प्रति सतर्क रहने तथा समय पर कार्रवाई करने की भी सलाह दी।
चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए पर्यवेक्षकों को पूरे चुनाव तंत्र का निरीक्षण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव अत्यधिक कड़ी टक्कर वाले होते हैं और इन चुनावों में पर्यवेक्षकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
चुनाव आयुक्त डॉ. संधू ने पर्यवेक्षकों को संबोधित करते हुए आयोग की आंख और कान के रूप में उनकी भूमिका के बारे में तीन बिंदुओं पर जोर दिया। डॉ. संधू ने कहा कि चुनाव के संचालन को बेहतर बनाने के लिए सुगमता, दृश्यता और जवाबदेही आवश्यक है।
सभी पर्यवेक्षकों को महत्वपूर्ण जानकारी दी गई ताकि उन्हें आयोग की विभिन्न नई पहलों और निर्देशों के बारे में संवेदनशील बनाया जा सके। जानकारी सत्र के दौरान निम्नलिखित बातों पर जोर दिया गया:
दिन भर चले जानकारी सत्रों के दौरान, वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त, डीईसी और ईसीआई के महानिदेशकों द्वारा चुनाव प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं के बारे में अधिकारियों को व्यापक और गहन जानकारी प्रदान की गई। चुनाव नियोजन, पर्यवेक्षक की भूमिका और जिम्मेदारियों, मतदाता सूची के मुद्दों, आदर्श आचार संहिता लागू किए जाने, चुनाव व्यय निगरानी, कानूनी प्रावधानों, ईवीएम/वीवीपीएटी प्रबंधन, मीडिया की भागीदारी और आयोग के प्रमुख एसवीईईपी (प्रणालीगत मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी) कार्यक्रम के तहत मतदाता सुविधा के लिए की जाने वाली गतिविधियों की विस्तृत विषयगत प्रस्तुतियाँ दी गईं।
पर्यवेक्षकों को मतदाता सुविधा के लिए आयोग की विभिन्न आईटी पहलों और मोबाइल एप्लीकेशन के साथ-साथ क्षेत्र में चुनाव प्रक्रियाओं के प्रभावी और कुशल प्रबंधन से भी अवगत कराया गया। पर्यवेक्षकों को ईवीएम और वीवीपैट का कार्यात्मक प्रदर्शन दिखाया गया और ईवीएम इकोसिस्टम को पूरी तरह से सुरक्षित, मजबूत, विश्वसनीय, छेड़छाड़-रहित और विश्वसनीय बनाने के लिए इसके विविध तकनीकी सुरक्षा सुविधाओं, प्रशासनिक प्रोटोकॉल और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी दी गई। पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया गया कि वे अपने काम को सुविधाजनक बनाने के लिए चुनाव प्रबंधन से संबंधित सभी विषयों पर अद्यतन और व्यापक मैनुअल, हैंडबुक, निर्देशों का संग्रह, क्या करें और क्या न करें का अध्ययन करें। ये सभी निर्देश और दिशा-निर्देश ईसीआई की वेबसाइट पर ई-बुक और खोज योग्य प्रारूप में उपलब्ध हैं, ताकि किसी भी निर्देश और दिशा-निर्देश तक सुगमता से पहुँचा जा सके।
आयोग जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20बी तथा संविधान की पूर्ण शक्तियों के अंतर्गत पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है। पर्यवेक्षकों को चुनाव प्रक्रिया, भेद-भाव रहित, निष्पक्षता और विश्वसनीयता के अनुपालन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जो हमारी लोकतांत्रिक राजनीति का आधार है। आयोग अपने सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों पर अत्यधिक विश्वास करता है तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में ऐसे पर्यवेक्षकों की भूमिका आयोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये केंद्रीय पर्यवेक्षक न केवल स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी चुनाव कराने के अपने संवैधानिक दायित्व को पूरा करने में आयोग की मदद करते हैं, बल्कि मतदाताओं की जागरूकता और चुनाव में भागीदारी को भी बढ़ाते हैं। चुनाव पर्यवेक्षण का मुख्य उद्देश्य सुधार के क्षेत्रों की पहचान करना और ठोस और प्रभावी अनुशंसाएं तैयार करना है। ये पर्यवेक्षक आयोग की आंख और कान माने जाते हैं।
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