आगरा और ग्वालियर के पर्यटन केन्द्रों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) 88 किलोमीटर लंबा 6-लेन एक्सेस नियंत्रित आगरा-ग्वालियर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (एनएच-719डी) विकसित करेगा। एनएचएआई ने आज एनएचएआई के अध्यक्ष संतोष कुमार यादव और एनएचएआई और रियायतकर्ता के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में मेसर्स जी.आर. इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड के साथ परियोजना के कार्यान्वयन के लिए रियायत समझौते पर हस्ताक्षर किए। आगरा-ग्वालियर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे आगरा के देवरी गांव से शुरू होकर ग्वालियर के सुसेरा गांव में समाप्त होगा। इस परियोजना को बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (टोल) मोड पर 4613 करोड़ रुपये (एलए लागत सहित) की कुल पूंजी लागत पर विकसित किया जाएगा।
अनुबंध की रियायत अवधि 20 वर्ष है, जिसमें 30 महीने की निर्माण अवधि शामिल है। प्राधिकरण निर्माण अवधि के दौरान रियायतकर्ता को 820 करोड़ रुपये की निर्माण सहायता प्रदान करेगा, जो परियोजना की प्रगति से जुड़ी होगी। एनएच-44 पर मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए ओवरले/सुदृढ़ीकरण, सड़क सुरक्षा और सुधार उपायों को भी आगरा-ग्वालियर परियोजना समझौते में शामिल किया गया है।
परियोजना को 2.42 प्रतिशत की अपेक्षित प्रीमियम के मुकाबले वसूली योग्य शुल्क के राजस्व हिस्से के रूप में उद्धृत @17.170 प्रतिशत प्रीमियम पर प्रदान किया गया है। प्रीमियम परियोजना के पूरा होने के बाद दूसरे वर्ष से देय होगा, जिसे शेष रियायत अवधि के लिए बाद के वर्षों में हर साल वसूली योग्य राशि के 1 प्रतिशत से बढ़ाया जाएगा।
ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों से होकर गुजरेगा। यह न केवल आगरा और ग्वालियर के बीच हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, बल्कि एनएच-44 के मौजूदा आगरा-ग्वालियर सेक्शन पर विभिन्न शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों में भीड़भाड़ को कम करने में भी मदद करेगा। एक्सप्रेसवे यात्रा के समय को कम करेगा, कार्बन फुटप्रिंट को कम करेगा और आगरा, धौलपुर, मुरैना और ग्वालियर के बीच वाणिज्यिक और माल ढुलाई की रसद दक्षता को बढ़ाएगा।
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में आठ बड़े पुल, 23 छोटे पुल, छह फ्लाईओवर, एक रेल-ओवर-ब्रिज और 192 पुलिया होंगी। यह परियोजना राष्ट्रीय चंबल वन्यजीव अभयारण्य से भी होकर गुजरेगी। वन्यजीव शमन उपायों के हिस्से के रूप में, नदी के पानी में ‘घड़ियाल’ के संरक्षण के लिए चंबल नदी पर एक केबल स्टे ब्रिज की योजना बनाई गई है। इसके अलावा, पुल पर ध्वनि अवरोधक और लाइट कटर जैसे अन्य वन्यजीव शमन उपाय भी प्रदान किए जाएंगे।
भारत सरकार बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (टोल) परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही है। हाल ही में, एनएचएआई ने बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (टोल) मोड पर 121 किलोमीटर लंबी गुवाहाटी रिंग रोड विकसित करने के लिए रियायत समझौते पर हस्ताक्षर किए। सड़क क्षेत्र में मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी देश में विश्व स्तरीय राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के विकास के साथ-साथ संचालन और रखरखाव में योगदान देगी।
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