राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया है कि 2 फरवरी, 2025 को कोलकाता लेदर कॉम्प्लेक्स में सीवर जॉइंट की मरम्मत के लिए 10 फुट गहरे मैनहोल में प्रवेश करते समय जहरीली गैसों के कारण डूबने से तीन निर्माण श्रमिकों की मौत हो गई। 3 फरवरी, 2025 को प्रसारित मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) के तहत एक ड्रेनेज नेटवर्क के एक हिस्से के नवीनीकरण के लिए एक ठेकेदार द्वारा तैनात किया गया था।
आयोग ने पाया है कि यदि सामग्री सत्य है, तो पीड़ितों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा उठाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ (डब्ल्यूपी(सी) संख्या 324/2020) दिनांक 20.10.2023 के मामले में पारित अपने फैसले में माना है कि सीवर आदि की सफाई के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करना स्थानीय अधिकारियों और अन्य एजेंसियों का कर्तव्य है।
आयोग लगातार पर्याप्त और उचित सुरक्षात्मक/सुरक्षा गियर या उपकरण के बिना खतरनाक सफाई की गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की वकालत करता रहा है और काम के अनुकूल और प्रौद्योगिकी आधारित रोबोटिक मशीनों के उपयुक्त उपयोग की भी वकालत करता रहा है। इसने 24 सितंबर, 2021 को केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय अधिकारियों को खतरनाक सफाई में लगे व्यक्तियों के मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए एक एडवाइजरी जारी की, जिसका उद्देश्य ऐसी प्रथा का पूर्ण उन्मूलन सुनिश्चित करना है।
इसलिए, आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त, पश्चिम बंगाल को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें जांच की स्थिति भी शामिल होने की उम्मीद है।
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