संसद ने केंद्रीय बजट 2025-26 का अनुमोदन कर दिया है। राज्यसभा ने आज वित्त विधेयक-2025 और विनियोग विधेयक संख्या-तीन-2025, चर्चा के बाद लोकसभा को लौटा दिया। इसके साथ ही 2025-26 के लिए बजटीय प्रक्रिया पूरी हो गई है। लोकसभा ने मंगलवार को वित्त विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी थी। वित्त विधेयक का उद्देश्य वित्तीय वर्ष 2025-2026 के लिए केंद्र सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान करना है।
वित्त विधेयक-2025 और विनियोग विधेयक संख्या-तीन-2025 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्त विधेयक 2025 का उद्देश्य कर निश्चितता लाना, व्यापार में सुगमता को बढ़ावा देना और भारतीय करदाताओं का सम्मान करना है। उन्होंने कहा कि नए आयकर स्लैब सरलीकरण लाए हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्त विधेयक में औद्योगिक वस्तुओं के लिए कुछ सीमा शुल्क दरों को हटाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि कई भारतीय निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार एक के बाद एक बजटों में बैटरियों के लिए विनिर्माण केंद्र बनने की देश की आकांक्षा को पूरा करने के लिए शुल्क कम कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त विधेयक का एक और प्रमुख आकर्षण स्रोत पर कर कटौती टीडीएस दरों को युक्तिसंगत बनाना है। उन्होंने कहा कि वस्तुओं की बिक्री के संबंध में स्रोत पर कर संग्रह टीसीएस की आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम करदाता और कर संग्रह करने वालों की मदद करते हैं। वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि समानता के संबंध में पेंशनभोगियों की मांग पर सहमति व्यक्त की गई है। उन्होंने सभी पेंशनभोगियों के लिए समान व्यवहार लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और लाभों को संशोधित करने के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग की स्थापना को मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री ने बताया कि भारत कुछ वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जबकि यूपीए शासन में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में शामिल थी।
इससे पहले, बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के पी० चिदम्बरम ने कहा कि देश में खाद्य वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि हो रही है और शिक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल का खर्च बढ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत कई तरह के संकटों से गुजर रहा है, जिनमें बढती बेरोजगारी, स्थिर पारिश्रमिक, उपभोग में गिरावट, मुद्रा अवमूल्यन, घरेलू कर्ज में बढोत्तरी और घरेलू वित्तीय बचत में कमी शामिल है। पी० चिदम्बरम ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मदों के परिव्यय ने बेरहमी से कटौती की है।
भारतीय जनता पार्टी के आरपीएन सिंह ने कहा कि पिछले दशक में राष्ट्र ने, किसानों से लेकर समाज के कमजोर वर्गों तक, सभी क्षेत्रों में प्रगति की है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने देश में मध्यम वर्ग और किसानों के कल्याण के लिए अनेक उपाय किए हैं। आरपीएन सिंह ने यह भी कहा कि जीएसटी से राष्ट्र को लाभ पहुंचा है। इससे सभी प्रकार के करों से छुटकारा मिला है।
तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष ने कहा कि निजी उपभोग में बहाली नहीं हुई है और निर्धनों की क्रय शक्ति घट रही है तथा निजी निवेश में कोई बढोत्तरी नहीं हो रही है।
आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि लोगों को, विकसित देशों के समान करों का भुगतान करना पड रहा है जबकि सेवाएं उप-सहारा क्षेत्र के देशों के समान मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि देश में करों के बोझ के कारण खपत में कमी आ रही है। मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी के डॉ. जॉन ब्रिटास ने आरोप लगाया कि सहकारी संघवाद की बजाय देश में क्रोनी संघवाद बढ रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार यदि भारत को विकसित बनाना चाहती है तो उसे संघवाद के सिद्धान्तों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी – एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार लाखों युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि आज ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास अपने वाहन, घरेलू साजो-सामान और पक्के मकान हैं। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि केन्द्र की योजनाएं लोगों तक पहुंच रही हैं और बेहतर परिणाम दिखाई पड रहे हैं।
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