प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज असम के गुवाहाटी में एडवांटेज असम 2.0 निवेश एवं अवसंरचना शिखर सम्मेलन 2025 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर भारत आज भविष्य की एक नई यात्रा पर निकल रहे हैं और एडवांटेज असम, असम की अविश्वसनीय क्षमता और प्रगति को दुनिया के साथ जोड़ने की एक बड़ी पहल है। उन्होंने कहा कि इतिहास भारत की समृद्धि में पूर्वी भारत की प्रमुख भूमिका का साक्षी है। प्रधानमंत्री ने आशा जताते हुए कहा कि आज जब हम विकसित भारत की ओर बढ़ रहे हैं तो इस दिशा में पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर अपनी वास्तविक क्षमता प्रदर्शित करेंगे। उन्होंने कहा कि एडवांटेज असम उसी भावना का प्रतिनिधित्व करता है। प्रधानमंत्री ने इस भव्य कार्यक्रम के आयोजन के लिए असम सरकार और मुख्यमंत्री को बधाई दी। उन्होंने 2013 के अपने शब्दों का भी स्मरण किया, जब उन्होंने कहा था कि वह समय दूर नहीं जब ‘ए फॉर असम’ आदर्श बन जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, विशेषज्ञ एक बात पर एकमत हैं: भारत का तेज़ विकास। उन्होंने कहा कि आज का भारत इस शताब्दी के अगले 25 वर्षों के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया को भारत की तेज़ी से कुशल और नवोन्मेषी बनती युवा आबादी पर बहुत भरोसा है। उन्होंने भारत के नव-मध्यम वर्ग में बढ़ते आत्मविश्वास का भी उल्लेख किया, जो नई आकांक्षाओं के साथ निर्धनता से उबर रहा है। राजनीतिक स्थिरता और नीतिगत निरंतरता का समर्थन करने वाले भारत के 140 करोड़ लोगों पर दुनिया के भरोसे को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के शासन का उल्लेख किया जो सुधारों को लागू करना जारी रखे हुए है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भारत अपनी स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत कर रहा है और विभिन्न वैश्विक क्षेत्रों के साथ मुक्त व्यापार समझौते कर रहा है। उन्होंने पूर्वी एशिया के साथ मजबूत संपर्क और नए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे का भी उल्लेख किया, यह नए अवसरों को लेकर आ रहा है।
असम में उपस्थित जनसमूह द्वारा भारत में बढ़ते वैश्विक विश्वास की चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के विकास में असम का योगदान निरंतर रूप से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि एडवांटेज असम शिखर सम्मेलन का पहला संस्करण 2018 में आयोजित किया गया था, उस समय असम की अर्थव्यवस्था का मूल्य 2.75 लाख करोड़ रुपये था। आज, असम लगभग 6 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के नेतृत्व में असम की अर्थव्यवस्था केवल छह वर्षों में दोगुनी हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह केंद्र और राज्य में उनकी सरकारों का दोहरा प्रभाव है। उन्होंने कहा कि असम में कई निवेशों ने इसे असीमित संभावनाओं वाले राज्य में बदल दिया है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि असम सरकार शिक्षा, कौशल विकास और बेहतर निवेश वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने हाल के वर्षों में कनेक्टिविटी से संबंधित बुनियादी ढांचे पर व्यापक स्तर पर कार्य किया है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि 2014 से पहले, ब्रह्मपुत्र नदी पर केवल तीन सेतु थे, जिनका निर्माण 70 वर्षों में बनाया गया था। हालांकि, पिछले 10 वर्षों में चार नए सेतुओं का निर्माण किया गया है। इनमें से एक सेतु का नाम भारत रत्न भूपेन हजारिका के नाम पर रखा गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2009 से 2014 के बीच असम को औसतन 2,100 करोड़ रुपये का रेल बजट मिला था, लेकिन उनकी सरकार ने असम के रेल बजट को चार गुना से अधिक बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया। उन्होंने कहा कि असम में 60 से अधिक रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है और पूर्वोत्तर में पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन अब गुवाहाटी और न्यू-जलपाईगुड़ी के बीच शुरू हो गई है।
असम में हवाई संपर्क के तेजी से विस्तार का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 तक केवल सात मार्गों पर उड़ानें संचालित होती थीं, लेकिन अब लगभग 30 मार्गों पर उड़ानें हैं। उन्होंने कहा कि इस विस्तार ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया है और युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये बदलाव केवल बुनियादी ढांचे तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि कानून और व्यवस्था में अभूतपूर्व सुधार हुए हैं, पिछले दशक में कई शांति समझौते हुए हैं और कई लंबित सीमा मुद्दों का समाधान हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि असम का हर क्षेत्र, हर नागरिक और हर युवा राज्य के विकास के लिए अथक प्रयास कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों और स्तरों पर महत्वपूर्ण सुधारों से गुजर रहा है और कारोबार में सुगमता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास के साथ-साथ उद्योग और नवाचार संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक पारिस्थितिकी व्यवस्था स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप, पीएलआई योजनाओं के माध्यम से विनिर्माण और नई विनिर्माण कंपनियों एवं एमएसएमई के लिए कर छूट हेतु उत्कृष्ट नीतियां तैयार की गई हैं। उन्होंने देश के बुनियादी ढांचे में सरकार द्वारा किए जा रहे पर्याप्त निवेश का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संस्थागत सुधार, उद्योग, बुनियादी ढांचे और नवाचार का संयोजन भारत की प्रगति का आधार बनता है। उन्होंने कहा कि यह प्रगति असम में भी देखी जा रही है, जो डबल इंजन की गति से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने बताया कि असम ने 2030 तक 150 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि असम इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, इसका श्रेय असम के सक्षम और प्रतिभाशाली लोगों और उनकी सरकार की प्रतिबद्धता को दिया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि असम दक्षिण पूर्व एशिया और भारत के बीच एक प्रवेश द्वार के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षमता को और बढ़ाने के लिए सरकार ने पूर्वोत्तर परिवर्तनकारी औद्योगिकीकरण योजना ‘उन्नति’ का शुभारंभ किया है। उन्होंने कहा कि ‘उन्नति’ योजना असम सहित पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में उद्योग, निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देगी। प्रधानमंत्री ने उद्योग भागीदारों से इस योजना और असम की असीमित क्षमता का पूरा लाभ उठाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि असम के प्राकृतिक संसाधन और रणनीतिक स्थल इसे निवेश के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनाते हैं। उन्होंने असम की क्षमता के उदाहरण के रूप में असम की चाय का उदाहरण देते हुए कहा कि यह पिछले 200 वर्षों में एक वैश्विक ब्रांड बन चुकी है, जिसने अन्य क्षेत्रों में भी प्रगति को प्रेरित किया है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रहे महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख करते हुए, दुनिया भर में उदार आपूर्ति श्रृंखलाओं की बढ़ती मांग के साथ, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अपने विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए मिशन-मोड प्रयास प्रारंभ किए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मेक इन इंडिया पहल के तहत, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में कम लागत वाले विनिर्माण को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का उद्योग न केवल घरेलू मांगों को पूरा कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विनिर्माण उत्कृष्टता के लिए नए मानक भी स्थापित कर रहा है। उन्होंने बताया कि असम इस विनिर्माण क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
वैश्विक व्यापार में हमेशा से असम की हिस्सेदारी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत के तटीय प्राकृतिक गैस उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक असम से आता है और हाल के वर्षों में असम की रिफाइनरियों की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि असम इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में तेजी से उभर रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी नीतियों के कारण असम उच्च तकनीक उद्योगों के साथ-साथ स्टार्टअप का केंद्र बन रहा है।
हाल ही में बजट में केंद्र सरकार द्वारा नामरूप-4 संयंत्र को स्वीकृति दिए जाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह यूरिया उत्पादन संयंत्र भविष्य में पूरे पूर्वोत्तर और देश की मांग को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब असम पूर्वी भारत में एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र बन जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार इस लक्ष्य को प्राप्त करने में असम राज्य सरकार का पूरा समर्थन कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी की दुनिया की प्रगति डिजिटल क्रांति, नवाचार और तकनीकी प्रगति पर निर्भर करती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम जितने बेहतर तरीके से तैयार होंगे, हम वैश्विक स्तर पर उतने ही मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार 21वीं सदी की नीतियों और रणनीतियों के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने पिछले एक दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल विनिर्माण में भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धि की जानकारी देते हुए सेमीकंडक्टर उत्पादन में इस सफलता की कहानी को दोहराने की इच्छा व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने गर्व से कहा कि असम भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है और हाल ही में असम के जगीरोड में टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट सुविधा के उद्घाटन का उल्लेख किया, जो पूर्वोत्तर में तकनीकी विकास को बढ़ावा देगा। उन्होंने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में नवाचार के लिए आईआईटी के साथ सहयोग और देश में सेमीकंडक्टर अनुसंधान केंद्र पर चल रहे कार्य पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने अनुमान लगाया कि इस दशक के अंत तक इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र का मूल्य 500 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। उन्होंने विश्वास के साथ कहा कि भारत की गति और पैमाने के साथ, देश सेमीकंडक्टर उत्पादन में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरेगा, जिससे लाखों लोगों के लिए रोजगारों का सृजन होगा और असम की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक में अपनी पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को समझते हुए नीतिगत निर्णय लिए हैं और दुनिया भारत के अक्षय ऊर्जा मिशन को एक आदर्श अभ्यास के रूप में मानती है। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले दस वर्षों में सौर, पवन और सतत ऊर्जा संसाधनों में महत्वपूर्ण निवेश किया है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल पारिस्थितिक प्रतिबद्धताएं पूरी हुई हैं, बल्कि देश की अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता में भी कई गुना वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश ने 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि सरकार 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन का वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन हासिल करने के मिशन पर काम कर रही है। देश में बढ़ते गैस बुनियादी ढांचे से मांग में वृद्धि और संपूर्ण गैस आधारित अर्थव्यवस्था क्षेत्र के तेजी से विस्तार पर बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस यात्रा में असम को महत्वपूर्ण लाभ है। उन्होंने कहा कि सरकार ने उद्योगों के लिए कई मार्ग उपलबध कराए हैं, जिनमें पीएलआई योजनाएं और हरित पहल के लिए नीतियां शामिल हैं। उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि असम नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में उभरे तथा उद्योग जगत प्रमुखों से असम की क्षमता का अधिकतम उपयोग करने का आग्रह किया।
पूर्वी भारत के 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत बुनियादी ढांचे, रसद, कृषि, पर्यटन और उद्योग में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वह दिन दूर नहीं जब दुनिया इस क्षेत्र को भारत की विकास यात्रा का नेतृत्व करते हुए देखेगी। उन्होंने सभी को असम के साथ इस यात्रा में भागीदार और सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने असम को एक ऐसा राज्य बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया जो वैश्विक दक्षिण में भारत की क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाए। प्रधानमंत्री ने निवेशकों और उद्योग जगत प्रमुखों का विश्वास बढ़ाते हुए कहा कि वे उनके योगदान का पूरा समर्थन करके विकसित भारत की यात्रा में उनके साथ खड़े हैं।
इस कार्यक्रम में असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री डॉ. एस जयशंकर, सर्बानंद सोनोवाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा, केंद्रीय राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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