प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीनेट के सभापति महामहिम वेड मार्क और सदन के अध्यक्ष महामहिम जगदेव सिंह के निमंत्रण पर आज त्रिनिदाद और टोबैगो [टीएंडटी] की संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया। टीएंडटी की संसद को संबोधित करने वाले वह भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं और यह अवसर भारत-त्रिनिदाद और टोबैगो द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
इस गरिमापूर्ण सदन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सदस्यों को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की ओर से विशेष शुभकामनाएं दीं। उन्होंने टीएंडटी का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान प्रदान करने के लिए वहाँ की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया। भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत ने इस पद्धति को अपनी संस्कृति और जीवन का अभिन्न अंग बना लिया है। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण ने भारत की विविधता को फलने-फूलने और समृद्ध होने तथा सभी विचारों के सह-अस्तित्व तथा संसदीय विमर्शों और सार्वजनिक चर्चाओं को समृद्ध बनाने का अवसर दिया है।
प्रधानमंत्री ने टीएंडटी को उसकी सफल लोकतांत्रिक यात्रा के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत को स्वतंत्रता की राह पर टीएंडटी के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े होने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आधुनिक राष्ट्रों के रूप में दोनों देशों के बीच गहरे संबंध और मजबूत हुए हैं। भारत द्वारा उपहार में दी गई अध्यक्ष की कुर्सी में सटीक रूप से परिलक्षित होते दोनों लोकतंत्रों के घनिष्ठ संबंधों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संसदीय आदान-प्रदान को और बढ़ाने का आह्वान किया। सदन में महिला सांसदों की काफी संख्या में उपस्थिति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने भारत द्वारा संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने की दिशा में उठाए गए ऐतिहासिक कदम पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत में जमीनी स्तर पर नेतृत्व करने वाली महिला नेताओं के बारे में भी विस्तार से बताया और इस संदर्भ में, देश में स्थानीय शासन संस्थानों को सशक्त बनाने वाली 1.5 मिलियन निर्वाचित महिलाओं का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने मानवता के समक्ष मौजूद चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने विश्व समुदाय से शांतिप्रिय समाज के लिए गंभीर खतरा बन चुके आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने वैश्विक शासन में सुधार और ग्लोबल साउथ को उसका हक दिए जाने का आह्वान किया। उन्होंने भारत-कैरिकॉम संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
त्रिनिदाद में भारतीयों के आगमन के 180 साल पूरे होने के अवसर पर जारी समारोह को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते सदियों पुराने संबंधों की बुनियाद पर आधारित हैं तथा ये रिश्ते और भी प्रगाढ़ और समृद्ध होते जाएंगे।
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